श्लोक 62 - अध्याय 18 - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत। तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्॥ हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह 'सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण' होना है) जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा ॥62॥ Shared Via Bhagwad Gita App. onelink.to/qpcnmd
I had come here last Monday from Bilaspur Chhattisgarh to have Baba's darshan. It was time for Baba's makeup. Jai Ghogareshware Mahadev. But it was very sad to know that there is no electricity supply in the Dham for the last 7 months. Generator is the only system of electricity. While the electricity system is restored in the road at some distance from Dham. All of you devotees are requested to keep this matter in front of the Odisha government. So that power supply is ensured in Ghoghar Dham soon.
श्लोक 46 - अध्याय 18 - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्। स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः॥ जिस परमेश्वर से संपूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिससे यह समस्त जगत् व्याप्त है (जैसे बर्फ जल से व्याप्त है, वैसे ही संपूर्ण संसार सच्चिदानंदघन परमात्मा से व्याप्त है), उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मों द्वारा पूजा करके (जैसे पतिव्रता स्त्री पति को सर्वस्व समझकर पति का चिंतन करती हुई पति के आज्ञानुसार पति के ही लिए मन, वाणी, शरीर से कर्म करती है, वैसे ही परमेश्वर को ही सर्वस्व समझकर परमेश्वर का चिंतन करते हुए परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मन, वाणी और शरीर से परमेश्वर के ही लिए स्वाभाविक कर्तव्य कर्म का आचरण करना 'कर्म द्वारा परमेश्वर को पूजना' है) मनुष्य परमसिद्धि को प्राप्त हो जाता है ॥46॥ Shared Via Bhagwad Gita App. onelink.to/qpcnmd
ଶରୀରର କାର୍ଯ୍ୟଗୁଡ଼ାକ ତ ସ୍ପଷ୍ଟ ରୂପେ ଜଣା, ବ୍ୟଭିଚାର, ଅଶୁଚିତା କାମୁକତା, ପ୍ରତିମାପୂଜା, ନରହତ୍ୟା, କୁହୁକ, ଶତ୍ରୁତା, ବିବାଦ, ଦ୍ୱେଷ, କ୍ରୋଧ, ସ୍ୱାର୍ଥପରତା, ଦଳଭେଦ, ମତଭେଦ, ଈର୍ଷା, ମତ୍ତତା, ରଙ୍ଗରସ, ଇତ୍ୟାଦି ପ୍ରକାର କର୍ମଗୁଡ଼ାକ; ମୁଁ ପୂର୍ବରେ ଯେପରି ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହିଥିଲି, ସେହିପରି ଆଗରୁ କହୁଅଛି ଯେ, ଯେଉଁମାନେ ଏହି ସବୁପ୍ରକାର କର୍ମ କରନ୍ତି, ସେମାନେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟର ଅଧିକାରୀ ହେବେ ନାହିଁ।
ଗାଲାତୀୟ 5:19-21
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श्लोक 62 - अध्याय 18 - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्॥
हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह 'सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण' होना है) जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा
॥62॥
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Om namah Shivay
Omm namha shibay
Jay mahakaleswra nomoh dhanyabad baba
🙏🙏🙏
Om Namah Shivay🙏🙏
Looks very peaceful place, beautifully captured. I loved the background music and song👌👌👍
Thanks 🙏🙏
I had come here last Monday from Bilaspur Chhattisgarh to have Baba's darshan. It was time for Baba's makeup. Jai Ghogareshware Mahadev. But it was very sad to know that there is no electricity supply in the Dham for the last 7 months. Generator is the only system of electricity. While the electricity system is restored in the road at some distance from Dham. All of you devotees are requested to keep this matter in front of the Odisha government. So that power supply is ensured in Ghoghar Dham soon.
Om Namah Shivay🙏
Ati sundar sir
Missing my kansbahal
🙏🙏🙏...just touch the soul sir.....very beautiful creation....
Thanks
Beautiful place! You captured very well. Loved the background score 🎼
Jai Shiv Shambhu 🙏
Thanks 🙏
Kya mela lag raha hai
🙏🙏🙏🙏
श्लोक 46 - अध्याय 18 - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि
यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः॥
जिस परमेश्वर से संपूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिससे यह समस्त जगत् व्याप्त है (जैसे बर्फ जल से व्याप्त है, वैसे ही संपूर्ण संसार सच्चिदानंदघन परमात्मा से व्याप्त है), उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मों द्वारा पूजा करके (जैसे पतिव्रता स्त्री पति को सर्वस्व समझकर पति का चिंतन करती हुई पति के आज्ञानुसार पति के ही लिए मन, वाणी, शरीर से कर्म करती है, वैसे ही परमेश्वर को ही सर्वस्व समझकर परमेश्वर का चिंतन करते हुए परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मन, वाणी और शरीर से परमेश्वर के ही लिए स्वाभाविक कर्तव्य कर्म का आचरण करना 'कर्म द्वारा परमेश्वर को पूजना' है) मनुष्य परमसिद्धि को प्राप्त हो जाता है
॥46॥
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Om namah sivaya
ଓଁ ନମଃ ଶିବାୟ 🙏
Har Har Mahadev
Missing my KBL
🙏
🙏
🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
Absolutely no information about the temple.