भारत की फुलवारी, पर जब संकट छाया, टंकारा की धरती, से एक योगी आया,, स्वर: काजल चौधरी
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- Опубліковано 19 жов 2022
- भारत की फुलवारी पर, जब संकट छाया, टंकारा की धरती, से एक योगी आया,, स्वर: काजल चौधरी
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वेदों के रक्षक दया नन्द को कोटि कोटि नमन
बहुत बहुत धन्यवाद जी
स्वामी दया नन्द को कोटि कोटि नमन जय हो आर्य समाज की
बहुत बहुत धन्यवाद जी
आर्य बनो सत्यार्थ प्रकाश पढ़ो संस्कारी बनो वैदिक धर्म की जय 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Bahut sunder bahin ji ❤❤❤❤❤
बहुत बहुत धन्यवाद भाई 🙏🏻
ओ३म्
ॐ ॐ
Divya Rishi Dev Dayanand Saraswati ki jai
बहुत बहुत धन्यवाद जी
वैदिक सनातन धर्म की जय
नमस्ते गुरु जी
Nice bro ❤jai shiv ji sorry galt dost mot jai shiv ji
सुंदर अति सुन्दर प्रस्तुति 🕉️🔱🌄🌻❤️🙏🚩🌹💯✅
Bahut bahut dhanyawad ji
Sahi kaha hai Jai shree Krishna Jai Sri Ram
बहुत बहुत आभार जी 🙏🏻🙏🏻
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
❤nice bro jai shiv ji sorry galt dost mot jai shiv ji sorry galt dost mot jai shiv ji
Very nice ❤
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
❤
Thank you so much
Ati sundar bejan behan ji
Bahut bahut dhanyawad bhaiya ji 🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत बहुत धन्यवाद दीदी
❤jai shiv ji sorry
Jai bholenath 🙏🏻
🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद जी
👌👌👌महर्षि दयानंद की जय
बहुत बहुत धन्यवाद जी
काजल जी को शत् शत् नमन,,, प्यारी आवाज,,,,,,,,, सतीश कुमार आर्य,,,,,, वैदिक पथ
बहुत बहुत आभार जी 🙏🏻
Jai hind
बहुत बहुत धन्यवाद जी,, वंदे मातरम्
दयानंद सरस्वती जी की वास्तविकता भी जान लिजिए सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक के चतुर्थ समुल्लास के पेज न 63 को अवश्य पढ़ें।
बहुत बहुत धन्यवाद जी
सादर नमस्ते। धन्यवाद जय आर्य समाज।
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
बहुत सुन्दर ❤❤❤
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
Bahut badhiya
बहुत बहुत धन्यवाद जी
❤nice bro jai shiv ji sorry
अच्छा स्वर
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
Very nice voice di 👍👍
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🏻
🎉 ब्रह्म और पूर्ण ब्रह्म।
🎉 ब्रह्म जड़ जगत में सर्व व्यापक है फिर भी संसार मिथ्या है झूठ है फरेब है क्षणभंगुर है और जड़ रूप है और दुखों का घर है ऐसा ब्रह्म सर्व व्यापक संसार हमें नहीं चाहिए।
🎉 पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड सच्चिदानंद स्वरुप है। जहां सकते ही सत्य है झूठ का नाम तो निशाननहीं जहां चेतन ही चेतन है जड़ का नाम निशाननहीं जहां आनंद ही आनंद है दुख का नाम निशान नहीं। वहपरमधाम अर्श अजीम है। वेद भी उत्कंठा से पुकार रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद मत है। यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
🎉 पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद अल्लाह वाहेगुरु गॉड का साक्षात ब्रह्म धाम अर्श अजीम 28वे कलि बुध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक आखरुल जमा इमाम मेहदी साहब द्वारा कुरान पुराण दोनों के प्रमाण से जाहिर हुआ है इस लिए कलि चारों युगों में श्रेष्ठ है जिसका सतयुगादि से त्यागी राजाओं महाराजाओं ने ऋषि मुनियों ने तपस्याकरके ज्योतिसती आदि ने तपस्या करके वरदान प्राप्त कर रखे थे। आज का वरदान पूरे हो रहे हैं। परमात्मा का साक्षात धाम जाहिर हो गया है जीते जी प्राप्त करें।🎉🎉
बहुत बहुत धन्यवाद जी
जैसे राष्ट्र पति की कोई पार्टी नहीं होती ठीक वैसे ही सृष्टि कर्ता ईश्वर का कोई मत समप्रदाय महजब आदि अलग से नहीं होता। सत्य सनातन धर्म एक ही सबका धर्म है अन्य सब झूठ छल कपट और पाखण्ड है अतः सत्य बोले और धर्म का आचरण करैं धन्यवाद
@@HaridevSharma-rc1jv हमारा वैदिक सनातन धर्म है जिसकी साक्षी वेद भी दे रहे हैं क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर: वेद वाक्य।
ला इलाहा इल्लल्लाह। कुरान।
क्षर(ला):-पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार सरकारनिराकार 14 लोक सुन्न महा सुन्न मोह तत्व ब्रह्मा विष्णु महेश आदि नारायण। यह क्षर ब्रह्मांड है जिसे क्षर पुरुष कहते हैं। क्षर चार का मतलब है नाशवान स्वप्न झुठा फरेब मिथ्या।
अक्षर पुरुष इलाहा:-अक्षर ब्रह्म किसे कहते हैं अक्षर ब्रह्म के सपने में करोड़ों ब्रह्मांड बनते और मिटते हैं पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद का सत् अंग अक्षर ब्रह्म है।
सच्चिदानंद का अंग चिदानंद स्वरूप चिदघन पुरुष और आनन्द घन जुगल स्वरूप किशोर किशोरी श्यामश्याम जी क्षर अक्षर के पार परमधाम अरसे अजीम है।
श्री कृष्णा जी की भागवत गीता 15 अध्याय 16 वा श्लोक हे अर्जुन क्षर और अक्षर दोनों केपार पुरुष है उसका मुझे ज्ञान नहीं है। स्पष्ट गीता में वर्णन है।
@@HaridevSharma-rc1jv गीता का 15 अध्याय 16 वा श्लोक क्षर अक्षर के पार अन्य है। अर्थात अलग है।
Sumitjaat 2:48 😮
Bahut bahut dhanyawad ji
🎉🎉 आर्य समाज भटका हुआ समाज है जो परमात्मा को निराकार साकार मानते हैं यजुर्वेद कामंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
🎉जब से सृष्टि बनी है आज तक दुनिया में कोई निराकार के पार नहीं गया वेद भी निराकार तक सीमित है।
🎉 कलयुग बुद्ध शाखा में निराकार के पार उसके भी पार का जागृत ज्ञान प्रगट हुआ है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। श्री राम भी कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं।
कलयुग केवल नाम अधारा सुमर सुमर नर उतरि ही पारा।
वेद कहते हैं क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर:
कुरान कहती है ला इलाहा इल्लल्लाह। इन्हें समझना जरूरी है।
बहुत ही सुंदर वाक्यांश
@@kajalchaudharyofficial5516 जय श्री कृष्णा
अपना नंबर दीजिए
Bahut sundar