सीनू भलेसा डोडा यात्रा

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  • Опубліковано 9 лют 2025
  • 18.1.2025 को हायर सैकेंडरी सीनू में ज्वाइन किया।
    जिस दिन आर्डर में अपने नए स्कूल का नाम पढ़ा था तो मैंने अपने एक मित्र रिषी कुमार जी, जो कि भद्रवाह के रहने वाले हैं और हायर सैकेंडरी स्कूल डोडा में बतौर प्रिंसीपल कार्यरत हैं, से सीनू की लोकेशन पूछी। रिषी जी के लिए यह नाम नया था, यानी डोडा का ही रहने वाला सीनू के बारे में अंजान था। उन्होंने पता लगाकर बताने के लिए कहा और दूसरे दिन ही वे बता पाए कि यह डोडा के भलेसा इलाके में है।
    पिछले ढाई वर्षों में यह मेरा चौथा कार्यस्थल है, और 28 वर्षों की नौकरी के दौरान अभी तक कुल आठ तबादले हुए हैं। और इन तबादले में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी इस प्रकार रही है :-
    1). पहले से दूसरे की दूरी- सात घंटे पैदल
    2). दूसरे से तीसरे की दूरी- 113 कि.मी.
    3). तीसरे से चौथे की दूरी- 148 कि.मी.
    4). चौथे से पाँचवें की दूरी- 132 कि.मी.
    5). पाँचवें से छठे की दूरी- 91 कि.मी.
    6). छठे से सातवें की दूरी- 116 कि.मी.
    7). सातवें से आठवें की दूरी- 96 कि.मी.
    8 ) . आठवें से नवमें की दूरी- 218 कि. मी.
    यानी कि रस्म कायम रही, पहले से भी ज़ोरदार तरीके से कायम रही।
    मेरे शुभचिंतकों को जब मेरी ताज़ा पोस्टिंग के बारे में पता चला तो उन्हें चिंता हुई और बहुत सारों ने पूछा,
    “आपने किसी से कहा नहीं था क्या?”
    प्रश्न उनका सहानुभूतिपूर्ण है, पर मेरा उत्तर भी प्रश्न ही है,
    “कहना भी होता है क्या?”
    पिछले 28 वर्षों के दौरान यह रहस्य मेरी समझ में क्यों नहीं आ पाया होगा, अपनी नालायकी पर हैरान होता हूँ। हैं मेरे जैसे और भी कुछ गिने-चुने नालायक, पर अधिकतर समझदार ही हैं और इसी समझदारी के कारण वे 20 कि.मी. के रेडियस से बाहर कभी नहीं जाते।
    सीनू की यात्रा में कुछ मित्र भी मेरे साथ हो लिए, कर्नैल जी (Karnail Singh) , इकबाल जी (Iqbal Singh Raina) , नीरज जी (Neeraj Sharma) .... और सीनू में शानदार स्वागत हुआ, अभूतपूर्व, अपेक्षा से बहुत आगे।
    पिछले ही दिन वहां भारी बर्फ़वारी हुई थी, फिर भी बहुत सारे लोकल्स, अध्यापक और विद्यार्थी स्वागत के लिए एकत्रित हो गए थे। बच्चों ने स्वागत में एक खूबसूरत गीत भी गाया। मेरी ज्वाइनिंग की खबर तेज़ी से वहां फैल गई और उस इलाके में रहने वाले मेरे मित्रों द्वारा मुझे काल्स आनी शुरू हो गईं, जो रास्ते भर आती रहीं।
    रात ग्यारह बजे हम वापिस पहुंचे और इस बीच सीनू से लगातार छोटे-छोटे अंतराल पर काल्स आती रहीं,
    “किधर पहुंचे”
    “चाय पी लीजिए कहीं रुक कर”
    “डिनर कर लीजिए कहीं रुक कर”
    “धीरे-धीरे ड्राइव करिए”
    इत्यादि।
    और आज दोपहर बाद फिर से उनकी काल्स आनी शुरू हो गईं,
    “थकावट उतरी के नहीं?”
    “आपसे लोग पूछ रहे होंगे कि इलाका कैसा है, हमारी कोई शिकायत तो नहीं की आपने?”
    इत्यादि।
    ईश्वर मुझे और मेरे जैसे गिने-चुने साथियों को इतनी शक्ति दे कि हम अपना ध्यान 20 कि.मी. के रेडियस से बाहर निकलने के डर से मुक्त रह कर अपने कर्तव्य के निर्वहन में लगाए रखें।
    जिनका आभार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, उनका आभार व्यक्त नहीं कर पाऊंगा लेकिन इतना कहूँगा कि बहुत सारे साथी मेरी विचारधारा को समझते भी हैं और इसी के कारण मुझसे प्रेम भी करते हैं, बावजूद इसके कि अब एक प्रजाति तेज़ी से विलुप्तता की ओर बढ़ रही है।
    अलविदा हायर सैकेंडरी स्कूल लाँदर।

КОМЕНТАРІ • 1

  • @sanjitkhajuria
    @sanjitkhajuria 9 днів тому

    Very interesting video. Background song is wonderful.