सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST आरक्षण में उपवर्गीकरण का आदेश क्यों दिया? Creamy Layer in SC/ST reservation l

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  • Опубліковано 9 жов 2024
  • इस वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त, 2024 के फैसले को बहुत ही आसान भाषा में समझाया गया है, जो कि SC/ST आरक्षण में उपवर्गीकरण और क्रीमी लेयर से संबंधित है।
    आप यदि हमसे कोई विशिष्ट जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमारे ईमेल पते पर बताएँ।
    हमारा ईमेल पता: sktbasra@gmail.com
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КОМЕНТАРІ • 17

  • @rambabuchakravarti2076
    @rambabuchakravarti2076 Місяць тому +2

    अभी ST मे वेकेंसी खाली रह जाती है, अब SC मे खाली रहने लगेंगी।

  • @ashutoshranjan4030
    @ashutoshranjan4030 29 днів тому

    ❤❤

  • @RohitSingh-gj4de
    @RohitSingh-gj4de Місяць тому

    Saandaar sir

  • @RohitSingh-gj4de
    @RohitSingh-gj4de 27 днів тому

    Ultimate sir

  • @RAJUBAUDDHRANPH
    @RAJUBAUDDHRANPH Місяць тому +2

    आपको एक टीना डाबी तो दिख रही है लेकिन एक आईपीएस को बारात निकालने के लिए पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी , आपको यह भेदभाव नहीं दिखाई देता है . आप अपना विश्लेषण निष्पक्ष छोड़कर करें ना कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर

    • @chanakya377
      @chanakya377 Місяць тому

      Are you in favour of caste census? Now SC ST and OBC will be classified into many parts after caste census

    • @fashionstudiopro
      @fashionstudiopro 28 днів тому

      एक IPS को बरात निकलवाना इस देश का चिंता होने लगेगा अब😂
      जहां जिसको दिक्कत है वो नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करेगा न की दिक्कत के बदले पूरा देश में आरक्षण मांगेगा।
      कल को किसी एक ने किसी दुसरे की जान ले ली तो केस करने के बदले वो नौकरी में आरक्षण मांगने लगेगा

    • @Bedhadak_Aavaaz
      @Bedhadak_Aavaaz  27 днів тому

      मान्यवर, सवाल ये है कि टीना डाबी, जिनके पैरेंट्स क्लास-1 नौकरी में थे, क्या उन्हें एससी कोटा का लाभ मिलना चाहिए था? सुप्रीम कोर्ट ने “दविन्दर सिंह बनाम पंजाब राज्य-2024” केस में कहा है कि ऐसे लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखना चाहिए, तभी इस आरक्षण का लाभ उस व्यक्ति को मिल सकेगा जिसे इसकी ज़रूरत है।
      आपको आरक्षण का असली मकसद समझना चाहिए। आरक्षण कोई गरीबी मिटाओ कार्यक्रम नहीं है। और न ही यह अनंतकाल तक बना रहेगा। इसका मकसद था कि समाज में निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति को भी शिक्षा और सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले, ताकि सामाजिक समानता कायम हो सके।
      भारत की आबादी लगभग 145 करोड़ के आसपास है। और टाइम्स ऑफ इंडिया अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल सरकारी नौकरियाँ (केंद्र और राज्यों को मिलाकर) एक करोड़ 40 लाख हैं। यानी हमारे देश में 104 लोगों पर एक सरकारी नौकरी है।
      इसका मतलब हुआ कि सभी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। ऐसे में अगर एससी/एसटी के भीतर जो विशेष/संपन्न वर्ग (इलिट क्लास) बन गये हैं, यदि वही लोग बार-बार आरक्षण का अवैध लाभ लेते रहेंगे, तो फिर निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति तक आरक्षण पहुँच ही नहीं पायेगा। और परिणामस्वरूप कभी सामाजिक समानता नहीं आ पायेगी।
      राजनेता नहीं चाहते हैं कि सामाजिक समानता कायम हो। क्योंकि समाज जब ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-धर्म, शिक्षित-अशिक्षित आदि में बँटा रहता है तब इनके लिए राजनीति करनी बहुत आसान हो जाती है। ऐसे में राजनेताओं के लिए किसी एक वर्ग को अपना वोट बैंक बना लेना बड़ा सहज हो जाता है। बँटा हुआ समाज राजनेताओं के लिए उपजाऊ ज़मीन है...।

  • @mangilalmarmit8797
    @mangilalmarmit8797 28 днів тому

    जज किस जाति के हैं ?सभी वर्गों के जजेस से फैसला चाहते हैं !
    काॅलेजियम वाले जजेस के फैसले का हम बिरोध करते हैं !

    • @fashionstudiopro
      @fashionstudiopro 28 днів тому +1

      तुम्हारे लिए ऑस्ट्रेलिया से जज लाए जाएंगे अब😂😂

    • @Bedhadak_Aavaaz
      @Bedhadak_Aavaaz  28 днів тому

      😂😂

  • @RajeshJena-l8o
    @RajeshJena-l8o Місяць тому

    Tina Dabi UR quota me rank1 layi thi, joki merit aadharit hota hai. Isne to SC quota ka labh nhi liya.Ha agar iske parents class 1 he to ise SC quota me selection nahi hona chahiye creamy layer ke hisab se.Magar koi ek family creamy layer hone se uski puri jaat ko quota me kam percentage dena Sahi nahi.iske liye sabhi jaati ka har family, uski ki property ka sahi aaklan creamy layer ka pehchan kar payega.isliye subclassification sahi nahi .kebal creamy layer hona sahi. Aur creamy layer nahi balki lowest income balo ko hi pahla aarakshan hona chahiye chahe bo kisi jati ka ho,but jamana aiaa hai ki highest income bala lowest income certificate bana lete hai

    • @Bedhadak_Aavaaz
      @Bedhadak_Aavaaz  Місяць тому +1

      मान्यवर, टीना डाबी का सलेक्शन सामान्य कोटा में नहीं, बल्कि एससी कोटा में हुआ था।
      सवाल ये है कि टीना डाबी, जिनके पैरेंट्स क्लास-1 नौकरी में थे, क्या उन्हें एससी कोटा का लाभ मिलना चाहिए था? सुप्रीम कोर्ट ने “दविन्दर सिंह बनाम पंजाब राज्य-2024” केस में कहा है कि ऐसे लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखना चाहिए, तभी इस आरक्षण का लाभ उस व्यक्ति को मिल सकेगा जिसे इसकी ज़रूरत है।
      आपको आरक्षण का असली मकसद समझना चाहिए। आरक्षण कोई गरीबी मिटाओ कार्यक्रम नहीं है। और न ही यह अनंतकाल तक बना रहेगा। इसका मकसद था कि समाज में निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति को भी शिक्षा और सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले, ताकि सामाजिक समानता कायम हो सके।
      भारत की आबादी लगभग 145 करोड़ के आसपास है। और टाइम्स ऑफ इंडिया अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल सरकारी नौकरियाँ (केंद्र और राज्यों को मिलाकर) एक करोड़ 40 लाख हैं। यानी हमारे देश में 104 लोगों पर एक सरकारी नौकरी है।
      इसका मतलब हुआ कि सभी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। ऐसे में अगर एससी/एसटी के भीतर जो विशेष/संपन्न वर्ग (इलिट क्लास) बन गये हैं, यदि वही लोग बार-बार आरक्षण का अवैध लाभ लेते रहेंगे, तो फिर निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति तक आरक्षण पहुँच ही नहीं पायेगा। और परिणामस्वरूप कभी सामाजिक समानता नहीं आ पायेगी।
      राजनेता नहीं चाहते हैं कि सामाजिक समानता कायम हो। क्योंकि समाज जब ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-धर्म, शिक्षित-अशिक्षित आदि में बँटा रहता है तब इनके लिए राजनीति करनी बहुत आसान हो जाती है। ऐसे में राजनेताओं के लिए किसी एक वर्ग को अपना वोट बैंक बना लेना बड़ा सहज हो जाता है। बँटा हुआ समाज राजनेताओं के लिए उपजाऊ ज़मीन है...।

  • @Dhirajkumar-qy1jy
    @Dhirajkumar-qy1jy Місяць тому

    Sandar jabardast jindabaad

  • @studywithsandeeptiwari5699
    @studywithsandeeptiwari5699 Місяць тому

    Bahut khoob sir