Ye Mojeza bhi mohabbat kabhi dikhaye mujhe, Shahrjah tour Rare version

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  • Опубліковано 24 кві 2013
  • Audio courtesy : Mahemood bhai.

КОМЕНТАРІ • 1

  • @vipulkumarjohnny3690
    @vipulkumarjohnny3690 3 роки тому +1

    ये मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
    कि संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
    (मोजज़ा =चमत्कार), (संग = पत्थर)
    वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
    वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
    (बदगुमाँ = जिसके मन में किसी के प्रति सन्देह उत्पन्न हुआ हो)
    मैं अपने पाँव तले रौंदता हूँ साये को
    बदन मेरा ही सही दोपहर न भाये मुझे
    मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँ
    बरहना शहर में कोई नज़र न आये मुझे
    (बरहना = नग्न, विवस्त्र),
    वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
    दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
    मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ "क़तील"
    ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
    (ग़म-ए-हयात = जीवन का दुःख)
    -क़तील शिफाई