kinnaur kailash yatra 2024||सावन के चौथे सोमवार के दर्शन 🔱📿

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  • Опубліковано 18 вер 2024
  • पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती का पहली बार मिलन इसी पर्वत पर हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि जब दोनों का मिलन हुआ था, तब ब्रह्म कमल का फूल खिल उठा था और इसकी चमक पूरी दुनिया में फैल गई थी. कहा जाता है कि आज भी किन्नौर कैलाश की यात्रा के दौरान अक्सर ब्रह्म कमल के फूल दिखते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये फूल सिर्फ़ उन लोगों को ही दिखते हैं जिनका मन पवित्र होता है और भक्ति से भरा रहता है.
    किन्नौर कैलाश, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले के कल्पा क्षेत्र में स्थित है. इसकी ऊंचाई 6,050 मीटर है. यह हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लोगों के लिए पवित्र माना जाता है. किन्नर कैलाश की यात्रा हर साल सावन में शुरू होती है और एक महीने तक चलती है. इस यात्रा को पूरा करने में करीब 2 से 3 दिन लगते हैं. यह यात्रा मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन मानी जाती है.
    किन्नर कैलाश यात्रा के लिए, तीर्थयात्री पहले दिन शिमला से तांगलिंग गांव तक कार से जाते हैं. दूसरे दिन तांगलिंग से गणेश बाग तक 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं. तीसरे दिन गुफा तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं.

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