2024 | फ़ार्मूला ४४ ध्यान विधि | भगवान से बड़ा कोई भी नहीं ।गीता - मनभावन श्लोक श्रृंखला - १ | ७.७ |

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 10 вер 2024
  • भगवान से बड़ा कोई भी नहीं - सब कुछ उनमें उसी प्रकार से आश्रित है, जिस प्रकार से धागे में गुंथे मोती
    भगवद् गीता - भगवान की वाणी
    (स्वामी मुकुंदानंद द्वारा अनुवादित)
    Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 7
    मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय ।
    मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव ।।
    मत्तः-मुझसे; पर-तरम्-श्रेष्ठ; न-नहीं; अन्यत्-किञ्चित्-अन्य कुछ भी; अस्ति-है; ध नञ्जय-धन और वैभव का स्वामी, अर्जुन,; मयि-मुझमें; सर्वम्-सब कुछ; इदम्-जो हम देखते हैं; प्रोतम्-गुंथा हुआ; सूत्रे-धागे में; मणि-गणा:-मोतियों के मनके; इव-समान।
    TranslationBG 7.7:
    हे अर्जुन! मुझसे श्रेष्ठ कोई नहीं है। सब कुछ मुझ पर उसी प्रकार से आश्रित है, जिस प्रकार से धागे में गुंथे मोती।

КОМЕНТАРІ •