Mithun Chakraborty has got national awards many times,he got national award in his debut movie. Subhash Ghai couldn't harm Mithun because Mithun is Mithun!!
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
Mithunda made his Owned without any godfather & never wanted anyone support in his entire Super dupper hit Career. He was Superstar, He is Superstar & He'll be Superstar always !!!
Mana ki subhash ghai us waqt achhi filme banata tha...par mithun ka satardum 80s me top par tha use subhash ghai ki jarurat bhi nahi thi us waqt....apne dam pe mitunda ki filme chalti thi...
Lekin Mithun ke samne jhukna hi pada ...jab Yuvraj me Mithun Ko Liya aur uske Baad Kaanchi me bhi Mithun Ko Liya ...dada se takrana kaam nhi h bachchon ka ...tel Nikal jata h ache achon ka 👌👌👌👌
Subhash bhai Bhai aapke Jaise a Raees Logon ke sath Mithun Da Ne film na Karke a bahut hi Achcha kam Kiya aapke bagair dada ne bahut acchi filmen De De
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
Mithun is one Hindi film actor who never needed any big banners or big producers/directors he can work with any film makers and turn any film in super hit Mithun does not require Subash gai Prakash mehra or manmohan Desai or salim/Javed they always required him except for salim/Javed
राइट टू रिकॉल आंदोलन स्वदेशी और राइट टू रिकॉल देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं। इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो। स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है। इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है। tinyurl.com/RrpAllDrafts
mithun chakraborty always best har daur me best...subhas ghai ek achcha director hai but uski har roll me mithun chakraborty sabse best hota....subhas ghai ki sabse badi bhool ki usne mithun chakraborty ko nahi liya
This is the story of napotism with all production houses even then 40 years ago where they rushed to sign newcomer actors only after they were very successful with small time producers. They are Akshay Kumar, Ajay Devgan, Mala Sinha , Asha Parekh and many more.
mujhe Mithun da ki Khwab trana Surksha Mai aur mera hathi pyar jhukta nhi Agnipath Ganga Jmuna sarswati Muddat kya sabhi filme aaj bhi achchhi bhut achchhi lagti hai
जानकारी पूरी करो श्रीमान जी सुभाष गई जी आदरणीय मिथुन चक्रवर्ती को लेकर फिल्म राम लखन बना रहे थे ज्यादा व्यस्तता के कारण मिथुन चक्रवर्ती डेट ना दे सके तो मिथुन चक्रवर्ती की जगह अनिल कपूर को ले लिया जानकारी पूरी रखो बाद में डिटेल दो
Mithun akela low grade picture karke bhi dhum macha diya.....kisiki oukat nahin public ki dil se mithun ko chhin sake...aaj sabko maalom hain kahan subhasghai or kahan mithun dada
God is great.. Nobody can change whatever is written.. Subhas Ghai is a little creature to modify that written script.. Mithun Chakravarti is a megastar
Wish there was a film directed by Subhash Ghai with Mithun Chakraborty in the lead in the mid 80s. But Subhash Ghai Mithun Chakraborty per kyou shuru sehi chidte thee woh samajh mei nahi aaya.
Ram Lakhan me Lakhan ka rol Mithunda ke liye tha lekin Anil Kpoorne badi zid kar ke ye rol hasil kiya waise to Anil Kapoor Apne home production ki film Hum Paanch ka Mithoonda wala rol karna Chahte the lekin un ke papa Surindar Kapoorne nahi mana aur ye rol Mithoonda ko hi mila
Mera ek video cassette library dukaan tha mere pass jitne customer Aate the video casset lene ke liye usmein sabse Jyada Mithun ki film he log Pasand Karte The
Before Kanchi Mithun acted in Subhash Ghai directed Movie Yuvraaj starring Salman Khan. Also Subhash Ghai and Mithun Chakraborty are Guru Bhai they both trained under director Dulal Guha. Subhash Ghai and Dulal Guha had an issue at the time of making Khan Dost. Which Dulal Guha left half way and Subhash Ghai completed. Then Subhash Ghai branched out on his own. Whereas Mithun Da stayed with Dulal Guha as he was his uncle. Hence the issues between both of them.
Mithun Chakraborty is self made man & a real superstar ,
Bahut khoob 👍🙏
Mithun Chakraborty has got national awards many times,he got national award in his debut movie. Subhash Ghai couldn't harm Mithun because Mithun is Mithun!!
मिथुन चक्रवर्ती और सुभाष घई की दोस्त १९८० मे होती तो बहुत अच्छी मुव्ही बना सकते थे मिथुन चक्रवर्ती डान्सर और अॅक्शन दोनो मे ही फिट बैठ ते है
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
tinyurl.com/RrpAllDrafts
Àaq
Mithun Chakraborty, the greatest superstar of India!
Agree 👍👍
@@zubairrazzaq6271 no
Humble Down to earth One and the Only Our Beloved G 9 Mithun Da Tons of Love to You
Mithun all time dance super star 👌👌👌
I love you mithun da
Da is great actor
Mithun da super se uper
Koi shaq 😉
सुभाष की नसिब खराब था जो मिथुन दा के साथी काम नही कर पाया
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Yes
Mithun chakraborty is the greatest super star over world🇳🇵🇳🇵🇳🇵
Right
Mithun chakraborty super hero
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Mithunda made his Owned without any godfather & never wanted anyone support in his entire Super dupper hit Career.
He was Superstar,
He is Superstar &
He'll be Superstar always !!!
Mana ki subhash ghai us waqt achhi filme banata tha...par mithun ka satardum 80s me top par tha use subhash ghai ki jarurat bhi nahi thi us waqt....apne dam pe mitunda ki filme chalti thi...
Great artist of the bollywood
Mithun da ❤️
Lekin Mithun ke samne jhukna hi pada ...jab Yuvraj me Mithun Ko Liya aur uske Baad Kaanchi me bhi Mithun Ko Liya ...dada se takrana kaam nhi h bachchon ka ...tel Nikal jata h ache achon ka 👌👌👌👌
Subhash bhai Bhai aapke Jaise a Raees Logon ke sath Mithun Da Ne film na Karke a bahut hi Achcha kam Kiya aapke bagair dada ne bahut acchi filmen De De
mithun is megastar of bollywood
Dada ko apni film me nahi lekar subhash ghai Sir ne apna hi nuksan kiya hai
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Isiko kehte hain "apni pair kulhaadi par maarna!"
Supar dada best
घई बेवकूफ है.... क्योकी दादा जैसा मदत करनेवाला अॅक्टर दुसरा कोई नही है..
Right
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Mithun Da is Great actor
मिथुन दा मिथुन दा है 🙏🙏❤❤👍👌🌷🌷
Mithun is one Hindi film actor who never needed any big banners or big producers/directors he can work with any film makers and turn any film in super hit Mithun does not require Subash gai Prakash mehra or manmohan Desai or salim/Javed they always required him except for salim/Javed
Very nice comment great mithundaa
Absolutely correct..he is No. 1. of Bollywood..
Great da... Mithunda
Mithun da all in one mahanayak world famous international evergreen super star without any godfather baaki sab filmi family aur local hero
Mithun Da and Rishi Sahab both are my fav actors.
Rishi ka roll vendi jaisa rahta tha,
rahta zarur but bekar ka
LOVE YOU DADA....💐🌻🌹⚘🌹🌻💐
Mithun Da is a dynamic star .
Mithun Da Is one man of bollywood film industry.
Mithunda is great and humble personality...
Mithun best actor
Mithun Chakraborty is all time everybody to best
मिथुन दा कि एक्टिंग लाजवाब है
Mithun da best jio dada
राइट टू रिकॉल आंदोलन
स्वदेशी और राइट टू रिकॉल
देश में स्वदेशी लाने के लिए इतिहास में कई आंदोलन चले, और कई देशी कार्यकर्ताओं ने इसका प्रचार और विस्तार करने के लिए आजादी की लड़ाई के समय से ही संघर्ष किया। गत कुछ वर्षों में यह जिम्मेदारी बखूबी निभाकर देश में स्वदेशी को और काले धन को एक बहुत बड़ा मुद्दा बनाने वाले श्री राजीव दिक्षित आज हमारे बीच में नहीं रहे पर उनका दिया मार्गदर्शन और मुद्दा आज भी हमारे साथ है और देश में कई कार्यकर्ता इस में लगे हुए हैं।
इस दौरान कई जगह पर स्वदेशी आंदोलन पर उच्च स्तर पर कामयाबी नहीं हुए और ना ही व्यवस्था का अंग बन सके क्योंकि व्यवस्था कानूनों से चलती है और स्वदेशी की जो लड़ाई जीती गई वह मात्र तात्कालिक थी और दूरगामी प्रभाव नहीं डाल सकी। अगर हमें चाहिए कि हम स्वदेशी को देश का एक अभिन्न अंग बना दे तो इसके लिए आवश्यक यह है कि हम देश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जो स्वदेशी को ठिकाने वाली और आगे बढ़ाने वाली हो।
स्वदेशी मात्र साबुन तेल और वस्त्र पर रुकी रहे इसका प्रयत्न विदेशियों ने हमारे राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर पूरी तरह किया इसी कारण से स्वदेशी का स्तर हमारे देश में घटता चला गया हमारा आयात बढ़ता चला गया और निर्यात घटता चला गया। इसके साथ में जो सबसे घातक चीज हुई वह स्वदेशी कार्यकर्ताओं के मानस में यह बात गई कि स्वदेशी मात्र साबुन, तेल, वस्त्र तक सीमित है लेकिन देश का बहुत बड़ा धन का हिस्सा विदेशी हथियारों, उच्च तकनीकी मशीनों, गाड़ियां, फैक्ट्री के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि में चला जाता है। तो अगर इन सबको में स्वदेशी करना है तो हमें विधि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, कर व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को कानूनों के माध्यम से बदलने की आवश्यकता है।
इसके लिए राइट टू रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित कानून से हम देश में स्वदेशी लाकर उसे टीका भी सकते हैं। यह स्वदेशी निम्न तकनीक से बने हुए वस्तु उत्पादों से लेकर उच्च कोटि के तकनीक से बने हथियार मशीनें सब चीजों के बनाने की व्यवस्था और ठिकाने की व्यवस्था करेगा। जजों के भ्रष्टाचार के कारण स्वदेशी रोजगार, कंपनियां इत्यादि बंद पड़ रही हैं इसमें राजनीतिज्ञों की पूर्ण सहायता है विदेशी सरकारें, वर्ल्ड बैंक की तैयारियों से उन्होंने जिस प्रकार समझौते किए हैं उन समझौतों के कारण सरकारे बाद मैं और कमजोर हो गई हैं हालांकि इन समझौतों को तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सरकारों का और पार्टियों का पूरा कंट्रोल विदेशी कंपनी , विदेशी मीडिया और ईवीएम जो विदेश से संचालित होता है मैं है तो वह चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सकते और भ्रष्टाचार को हमेशा से मुद्दा रहा है। तो राइट टू रिकॉल और ज्यूरी कोर्ट से इस विधि व्यवस्था को सुधारा जा सकता है और राइट टू रिकॉल पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक जनता अपने s.m.s. , वोट वापसी पासबुक और मोबाइल ऐप द्वारा नियंत्रित कर सकती है।
अर्थव्यवस्था के लिए रिक्त भूमि कर और वेल्थ टैक्स जैसे कानूनों से धन इकट्ठा किया जा सकता है। इसके अलावा जीएसटी को रद्द किया जाना चाहिए जो कि एक विदेशी टैक्स प्रणाली है और छोटे व्यापार हो काम धंधा को मारने का एक षड्यंत्र है। उसी प्रकार कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य ,शिक्षा, खानपान में मिलावट इत्यादि को जिला लेवल पर नियंत्रित करने के लिए जिला लेवल के अधिकारियों को राइट टू रिकॉल के दायरे में वोट वापसी पासबुक के माध्यम से लाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली कानून का उपयोग किया जा सकता है। जनता अपनी सुरक्षा खुद कर सके इसके लिए जनता को बंदूक देने का काम गन कानून से किया जा सकता है।
इन सब कानूनों का प्रारूप नीचे दिए गए लिंक में दिया हुआ है जिसे चाहे वह इसे पढ़कर व्यवस्थित समझ सकता है।
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Mithun da super star 🌟
Mithun is mithun.great star
Mithun da 💪💪💪
Love you DADA
Dada actor mai legend or disco king ha
Mera ek video casset ka dukaan tha mere pass jitne bhi customer Aate the usmein sabse Jyada Mithun kaun se log Pasand Karte The
Mithun is great
mithun chakraborty always best har daur me best...subhas ghai ek achcha director hai but uski har roll me mithun chakraborty sabse best hota....subhas ghai ki sabse badi bhool ki usne mithun chakraborty ko nahi liya
Only Dada 🤟🏽🤟🏽🤟🏽🤟🏽🤟🏽❤❤❤❤
Mithun Chakraborty is the best in bollywood
Kasam khao yaa vada paav mithun ka koi bhi kuch nahi bigaad sakta wo superstar the hai aur rahenge dada koi shaq
मिथुन सुपर स्टार
Mithunda is the Greatest Meghastar..Actor of Bollywood..without any doubt...
Maine 1980 me Bhopal me Mithun da ki Khwab film dekhi thi jo bhut pasand aae thi
Beautiful ❤️ best thanks 🙏👍🙏
Mithun Chakraborty is best actor
Mithun chakravorthy is a great actor and a humble person..
Mithunda Great
Bollywood k 2 star he jo russia me most famous hue ek RK dusre Mithunda...vaha ki old generation ajj bhi in dono ko yaad karti he
Mithun da jaise actor ko koi na pasand kaise kar sakta hai .....Mithun da lajwaab hain
Tho Kya hua super dancer only mithun dada***!
Mithun da is the best 👌
Subash Gai wanted to Cast MithunDa in Ram Lakhan Jackie Shroffs Role but MithunDa didn’t have Dates...
This is the story of napotism with all production houses even then 40 years ago where they rushed to sign newcomer actors only after they were very successful with small time producers. They are Akshay Kumar, Ajay Devgan, Mala Sinha , Asha Parekh and many more.
mujhe Mithun da ki Khwab trana Surksha Mai aur mera hathi pyar jhukta nhi Agnipath Ganga Jmuna sarswati Muddat kya sabhi filme aaj bhi achchhi bhut achchhi lagti hai
Excellent video
Dost bane , lekin bahot late. Koi fayeda nehi Hua. Mithun Jaisa star ko ignore karna Ghai shahab ka galti thi.
जानकारी पूरी करो श्रीमान जी सुभाष गई जी आदरणीय मिथुन चक्रवर्ती को लेकर फिल्म राम लखन बना रहे थे ज्यादा व्यस्तता के कारण मिथुन चक्रवर्ती डेट ना दे सके तो मिथुन चक्रवर्ती की जगह अनिल कपूर को ले लिया जानकारी पूरी रखो बाद में डिटेल दो
सुभाष घई ने ऋषि कपूर star नहीं बनाया ऋषि कपूर 1 पहली ही फिल्म से star बन गए थे
Correct. Jab Rishi star they. Tab Ghai ne apna carreer bhi nhi start kiya tha
True Legend
Jai mithun bhagwan ki or main bhi chhota mithun hoo
Mithun akela low grade picture karke bhi dhum macha diya.....kisiki oukat nahin public ki dil se mithun ko chhin sake...aaj sabko maalom hain kahan subhasghai or kahan mithun dada
Mithun ki sabhi film supar hit hay
God is great.. Nobody can change whatever is written.. Subhas Ghai is a little creature to modify that written script.. Mithun Chakravarti is a megastar
श्रीमान जी सुभाष घई जी ने रामलखन में अनिल कपूर वाला रोल देना चाहते थे मगर डेट्स ना होने के कारण मिथुन चक्रवर्ती जी फ़िल्म ना कर सकें
ye sahi baat he ye khud subhash ghai ne ek interview mein kahi thi
V luv mithun only
Gret mithun da
Mithun Da is Genuine Mega Superstar
Disco king 👑 dada
Mithun da nice hero
Dada one of the BEST actor
Mithun da best actor 👌Dada is best
Agar waqt rahte Subhash ghai ne.
Mithun ko lekar film banaya hota to
Aaj ghai ke pas kuchh or super duper hit film hota..
Mithun great
Dada is great person
Mithun Da super hero hai n
Mitn da best
Dada best
Wish there was a film directed by Subhash Ghai with Mithun Chakraborty in the lead in the mid 80s. But Subhash Ghai Mithun Chakraborty per kyou shuru sehi chidte thee woh samajh mei nahi aaya.
Dada💐
Baad mein Yuvaraj aur Kaanchi mein liya Dada ko !!!
Aap sobko bahat dhanyabad mere Dada ko itna pyar dene k liye.
Ram Lakhan me Lakhan ka rol Mithunda ke liye tha lekin Anil Kpoorne badi zid kar ke ye rol hasil kiya waise to Anil Kapoor Apne home production ki film Hum Paanch ka Mithoonda wala rol karna Chahte the lekin un ke papa Surindar Kapoorne nahi mana aur ye rol Mithoonda ko hi mila
Subash Ghai is Bura Insane.
Mithun da is Great insane.
Mera ek video cassette library dukaan tha mere pass jitne customer Aate the video casset lene ke liye usmein sabse Jyada Mithun ki film he log Pasand Karte The
Subhai ghai jaise logo
Ki mithun ko jarurat nhin
Dada always great....
Rishi is Great actor
Karz film me agar Mithun sahab hote to ek aur etihaas ban jata.
Mithun da is Mithun da
👍
Jo Mithunda ko lekar Subhash ghai ne film banayi hoti to aaj mithunda Bollywood ke badshah hote isme koi nahi hai sak .
Subhash Ghai ka undino kismat kharap tha jo Mithun da ko nahi lepaya
Mithun Ko kisi ka Karz karne ki jarurat nahin Mithun to kuchh damdaar hai
Subhash Ghai Mithun Chakraverty &anil kapoor ko lekar film banate to bahut badi hit hota.
Subhash ghai bhut mast directer ha sabhi filme juberdust ha inki
Ram lakhan
Vidhata
Sudhagar
Karma
Karz
Kalicharan
Krodhi
Guatam govinda
Khalnayak
Tirmurti
Hiro
Meri jung
Taal
Pardes
Before Kanchi Mithun acted in Subhash Ghai directed Movie Yuvraaj starring Salman Khan. Also Subhash Ghai and Mithun Chakraborty are Guru Bhai they both trained under director Dulal Guha. Subhash Ghai and Dulal Guha had an issue at the time of making Khan Dost. Which Dulal Guha left half way and Subhash Ghai completed. Then Subhash Ghai branched out on his own. Whereas Mithun Da stayed with Dulal Guha as he was his uncle. Hence the issues between both of them.
Dulal Guha's son Gautam is Mithun's friend but Dulal Guha was not Mithun's uncle, nor are they related by blood otherwise.
@@raunakjoy right