हम जिस गजेन्द्र प्रियांशु को पहली बार सुने थे,वो तो प्रेम में डूबा वह कवि था जो निःसंकोच" इन अधरों को तुमसे आशा है," गीत गाकर किशोर मन में तरंग उत्पन्न कर सकता है।अधर की उपयोगिता पर युवा गुगल करने लगे।फिर कविवर की राजनैतिक सोच से अवगत हुए साथ ही दुखी भी
भगवत कृपा होती रहेगी, फूल बेहया तुम समझते रहो, हम म्लेच्छों का समूल उन्मूलन करके, कमल पर नारायण को बिठाते रहेंगे। कविवर कभी साक्षात दर्शन दें, आपके दर्शन शास्त्र की अवलोकन पद्धति बदलनी है।
अत्यंत प्रशंसनीय रचना 👌👌
गजब भैया जी
हम जिस गजेन्द्र प्रियांशु को पहली बार सुने थे,वो तो प्रेम में डूबा वह कवि था जो निःसंकोच" इन अधरों को तुमसे आशा है," गीत गाकर किशोर मन में तरंग उत्पन्न कर सकता है।अधर की उपयोगिता पर युवा गुगल करने लगे।फिर कविवर की राजनैतिक सोच से अवगत हुए साथ ही दुखी भी
श्रव्य काव्य गीत।💐
Bahot ache🎉🎉🎉🎉
लाजवाब 🙏😂
Nice guru ji
मातृ भूमि विंध्याचल मिर्जापुर में आपका स्वागत है🌹🌹🌹
सुन्दर,
चेतावनी हम समझ नहीं पाते,
प्यार आपके वश की बात नहीं।
भगवत कृपा होती रहेगी,
फूल बेहया तुम समझते रहो,
हम म्लेच्छों का समूल उन्मूलन करके,
कमल पर नारायण को बिठाते रहेंगे।
कविवर कभी साक्षात दर्शन दें,
आपके दर्शन शास्त्र की अवलोकन पद्धति बदलनी है।
पहला कमेंट
ua-cam.com/video/XgCyX32h8h0/v-deo.html
पहली बार बकवास लगी महोदय आपकी रचना।
सही कहा भाई
देश, काल और परिस्थिति के अनुसार जनमानस के भावों का प्रकटीकरण अत्यंत प्रामाणिकता से किया गया है कवि को धन्यवाद है।