Guddiyon Ka Anokha Khel- BK Rini USA
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- Опубліковано 9 лют 2025
- AM - 19.11.79
गुड़ियों का अनोखा खेल
आज बाप-दादा सदा सर्व भागय को देख रहे थे। जैसे बाप सर्व के भाग्य को देख हर्षित होते हैं वैसे आप सभी स्वयं के भाग्य को देख हर्षित होते हो? छोटी-छोटी बातों में भाग्य को भूल तो नहीं जाते? यह छोटी-छोटी बातें क्या हैं? जैसे भक्ति वालों को कहते हो कि यह पूजा आदि गुड़ियों की पूजा हैं, गुड़ियों को खेल खेलते हैं। जन्म भी देते हैं, सजाते भी हैं, पूजते भी हैं, और फिर डुबोते भी हैं, तो इसको आप गुड़ियों की पूजा वा गुड़ियों का खेल कहते हो। ऐसे ही मास्टर भाग्य-विधाता बच्चे भी इन छोटी-छोटी बातों की गुड़ियों को खेल बहुत करते हैं। रीयल बात नहीं होती लेकिन हिसाब-किताब चुक्तु होने के लिए व धारणाओं का पेपर लेने के लिए व अपनी स्थिति की चेकिंग होने के लिए यह बातें जीवन में नये-नये रूप से आती रहती हैं। निर्जीव बातें, असार बातें - लेकिन जब सामने आती हैं, जैसे वह जड़ मूर्ति में प्राण भर देते हैं और इतना विस्तार बना देते हैं वैसे आप सभी भी कभी ईर्ष्या की गुड़िया, कभी वहम की गुड़िया, कभी अनुमान की गुड़िया, कभी आवेश की गुड़िया, कभी रोब की गुड़िया, अर्थात् मूर्ति बनाकर बात रूपी गुड़िया में प्राण भर देते हो? और अनुभव करते और कराते हो कि यह सत्य है। यही बात ठीक है - यह प्राण भर देते हो। और, फिर क्या करते हो? आप लोगों का गीत बना हुआ है ना - डूब जा, डूब जा...तो क्या करते हो? उसी बात रूपी मूर्ति को आगे-पीछे की स्मृतियों से खूब सजाते हो। साथ-साथ जैसे वह भोग लगाते हैं देवी को अथवा मूर्ति को वैसे आप भी कौन-सा भोग लगाते हो? ज्ञान की पॉइन्टस उल्टे रूप से सोचते हो अर्थात् भोग लगाते हो। यह तो होता ही है, यह तो सबमें होता है। ड्रामा अनुसार पुरुषार्थी हैं, कर्मातीत तो अन्त में बनना है। इसी प्रकार के ज्ञान की भिन्न-भिन्न वैराइटी पॉइन्टस रोज़ भोग लगाते-लगाते मज़बूत कर देते हो, पक्का कर देते हो। पहले कच्चे भोजन का भोग लगाते फिर पक्का कर देते हो। और फिर उन पॉइन्टस को अर्थात् भोग को अकेले नहीं खाते, अपने साथ-साथ पण्डे, कुटुम्ब भी बिठाते हो अर्थात् और भी परिवार के साथी बनाते हो, उन की बुद्धि को भी यह भोजन स्वीकार कराते हो। लेकिन अन्त में क्या करना पड़ता हैं, ज्ञान-सागर बाप की याद में बीती-सो-बीती के ज्ञान-सागर की लहर में, स्व उन्नति की लहर में, हाई जम्प लगाने की लहर में, स्मृति स्वरूप की स्मृति की लहर में, मास्टर नालेज़फुल स्वरूप की लहर में, इन अनेक लहरों के बीच इन गुड़ियों को अथवा मूर्तियों को डुबोना ही पड़ता है। लेकिन इतने सारे समय को क्या कहेंगे? इस सारे गुड़ियों के खेल को,जैसे भक्ति वालों को कहते हो वेस्ट आफ टाइम और मनी, वैसे ही संगम का सर्वश्रेष्ठ समय और ज्ञान वा शक्तियों के खज़ाने को इतना व्यर्थ कर देते हो। तो यह छोटी-छोटी बातें क्या हुई? गुड़ियों का खेल। इस खेल में कभी भी अपने को व्यस्त मत करो। सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य को देखो।
कर्मातीत अवस्था कहा जाता है मुर्दे को। जीते जी मुर्दा अथवा शरीर से डिटैच। बाप तुमको शरीर से न्यारा बनने की पढ़ाई पढ़ाते हैं। शरीर से आत्मा अलग है।
शान्ति तो तब हो जब शरीर में नहीं है। मूलवतन में कर्म होता नहीं। सूक्ष्मवतन की तो बात ही नहीं। सृष्टि का चक्र यहाँ फिरता है। बाप और सृष्टि चक्र को जानना, इसको ही नॉलेज कहा जाता है।
SM :24/12/24
वो मेरी परियों की रानी प्यारी दिदी मेरे मिठे बाबा की दिल तकत पर बैठ कर हमें भी वहां तक पहुंचने वाली प्यारी दीदी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ओर बाबा हम हमेशा बोलते हैं सब कमाल तो आपकी है ही ❤❤🎉🎉ये आप ही कर सकते हो
Didi apki classes bhut hi useful hain Baba ke sath combined rehne ke liye
Shukriya baba shukriya sister
Thanks baba wonderful explain by DD very very nice
Thank you baba thank hamari meethi pyari didi ko thank you
OM Shanti pyara Baba and di🎉🎉
Om Shanti didi
Thanks baba, thanks Didi
Mera pyare baba ke didi ko bahut bahut shukriya
Om shanti baba n didi 🙏🙏
Thank u baba n pyari didi ❤❤
Shukariya baba..om shanti didi
Didi Baba ki murli to apke samjhane se samajh aati hai
Om Shanti Baba and didi 🙏 ❤🎉
Meetha Baba...He knows what my children want at this point of time. He enlightens through you...angel. Thanks Baba and baba's special soul.
Om shanti didi
Om shanti ❤
❤️❤️🌹🙏👌
❤️🌹🙏👌🙌
Shukriya baba 🙌 🙏
Very helpful class , thanks Baba thanks Didi ji
❤
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🙏🙏🙏🙏👌🤔🤔🎉
Pilgrimage..teerathyatra
Piligimage means thirth yatra
🙏
pls add me into your group
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