जो लोग इस वक्त श्री माताजी के स्पीच को सुन रहे थे। क्या उन्हें भैवरेशन आ रहा था, भैवरेशन ने आपका चित्त अपनी ओर आकर्षित किया? या सिर्फ शब्दों को सुन रट रहे थे? सहजयोग मानसिकों के लिए नहीं है। शब्द अपुर्ण है। चैतन्य के सहयोग बिना सेक्स के समय अबोधिता को कैसे पहचानयेगा ? :)
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जो लोग इस वक्त श्री माताजी के स्पीच को सुन रहे थे। क्या उन्हें भैवरेशन आ रहा था, भैवरेशन ने आपका चित्त अपनी ओर आकर्षित किया? या सिर्फ शब्दों को सुन रट रहे थे? सहजयोग मानसिकों के लिए नहीं है। शब्द अपुर्ण है। चैतन्य के सहयोग बिना सेक्स के समय अबोधिता को कैसे पहचानयेगा ? :)