आखरी पल है आखरी आहे तुझको ढूंढ रही है//श्री रणजीत राज vs श्री लाल मन चंचल//7, भाग/जवाबी कीर्तन

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  • Опубліковано 7 лис 2024

КОМЕНТАРІ • 9

  • @omprakashporwal6278
    @omprakashporwal6278 Місяць тому

    Jai Ho jai jai Ho

  • @balramyadavbirhagayakayodh8308
    @balramyadavbirhagayakayodh8308 Місяць тому +1

    क्या बात है रंजीत भाई
    बहुत सुंदर जबाब दिया है
    आप को बहुत-बहुत बधाई ❤🎉

  • @bhanvarsingh3086
    @bhanvarsingh3086 Місяць тому +2

    रणजीत भाई! गजल की शुद्ध लाइन है-"हर सबेगम् की सहर हो, ये जरूरी तो नहीं " | उर्दू अल्फ़ाज़ में 'सब' मायने रात और 'सहर' मायने सवेरा होता है |
    जीवन की हर वेदना रूपी रात्रि का सवेरा हो ही ये जरूरी नहीं है |

  • @himanshushukla5602
    @himanshushukla5602 Місяць тому

    Bahut
    hi
    Sundargeet

  • @RaoSahab-w6e
    @RaoSahab-w6e Місяць тому +1

    Super geet gaya hai

  • @RaoSahab-w6e
    @RaoSahab-w6e Місяць тому

    Good geet

  • @vikasdwivedi758
    @vikasdwivedi758 Місяць тому

    इसका 6वां भाग नहीं आया भाई,, भाई मैं रोज सुनता हूँ समय निकाल कर, वो भी भाग डालने की कृपा करें, महान दया, होगी,,,12/09/2024

  • @JivatKumar-qc5zr
    @JivatKumar-qc5zr Місяць тому +2

    भाई साहब ईश्वर के बंदे सावधान इस गीत को सुनकर के जीवन की आखिरी सच्चाई पता चल गई वाक्य में आप बहुत अच्छा गाते हैं मैं महेश शर्मा कीर्तनकार बरुआ सुमेरपुर