रणजीत भाई! गजल की शुद्ध लाइन है-"हर सबेगम् की सहर हो, ये जरूरी तो नहीं " | उर्दू अल्फ़ाज़ में 'सब' मायने रात और 'सहर' मायने सवेरा होता है | जीवन की हर वेदना रूपी रात्रि का सवेरा हो ही ये जरूरी नहीं है |
भाई साहब ईश्वर के बंदे सावधान इस गीत को सुनकर के जीवन की आखिरी सच्चाई पता चल गई वाक्य में आप बहुत अच्छा गाते हैं मैं महेश शर्मा कीर्तनकार बरुआ सुमेरपुर
Jai Ho jai jai Ho
क्या बात है रंजीत भाई
बहुत सुंदर जबाब दिया है
आप को बहुत-बहुत बधाई ❤🎉
रणजीत भाई! गजल की शुद्ध लाइन है-"हर सबेगम् की सहर हो, ये जरूरी तो नहीं " | उर्दू अल्फ़ाज़ में 'सब' मायने रात और 'सहर' मायने सवेरा होता है |
जीवन की हर वेदना रूपी रात्रि का सवेरा हो ही ये जरूरी नहीं है |
Bahut khoob bhai
Bahut
hi
Sundargeet
Super geet gaya hai
Good geet
इसका 6वां भाग नहीं आया भाई,, भाई मैं रोज सुनता हूँ समय निकाल कर, वो भी भाग डालने की कृपा करें, महान दया, होगी,,,12/09/2024
भाई साहब ईश्वर के बंदे सावधान इस गीत को सुनकर के जीवन की आखिरी सच्चाई पता चल गई वाक्य में आप बहुत अच्छा गाते हैं मैं महेश शर्मा कीर्तनकार बरुआ सुमेरपुर