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Satyarth Prakash सत्यार्थ प्रकाश
Приєднався 25 лип 2020
महर्षि दयानन्द ने उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में अपना कालजयी ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश रचकर धार्मिक जगत में एक क्रांति कर दी . यह ग्रन्थ वैचारिक क्रान्ति का एक शंखनाद है . इस ग्रन्थ का जन साधारण पर और विचारशील दोनों प्रकार के लोगों पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा . हिन्दी भाषा में प्रकाशित होनेवाले किसी दुसरे ग्रन्थ का एक शताब्दी से भी कम समय में इतना प्रसार नहीं हुआ जितना की इस ग्रन्थ का अर्धशताब्दी में प्रचार प्रसार हुआ . हिन्दी में छपा कोई अन्य ग्रन्थ एक शताब्दी के भीतर देश व विदेश की इतनी भाषाओँ में अनुदित नहीं हुआ जितनी भाषाओँ में इसका अनुवाद हो गया है.
शिविर सूचना 04-फरवरी-23 से 09-फरवरी-23 तक
शिविर सूचना
दर्शन योग धाम द्वारा आयोजित
*उच्चस्तरीय क्रियात्मक योग प्रशिक्षण शिविर* के लिए
(04/02/2023 से 09/02/2023 तक)
*पंजीकरण* हेतु लिंक :
forms.gle/4EqW7TbFPzNxHxGi9
========
शिविर संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु *संपर्क सूत्र*
Mob : 9409615011, 9306374959
======
*शिविर स्थल-*
स्थान : बंसरी ग्रीन रिसोर्ट , गांधीनगर महुड़ी हाईवे, गांधीनगर, गुजरात
bansarigreensresort.com
Location : Bansari Resort-
maps.app.goo.gl/58BGRCVzBcUSeKyo9
दर्शन योग धाम द्वारा आयोजित
*उच्चस्तरीय क्रियात्मक योग प्रशिक्षण शिविर* के लिए
(04/02/2023 से 09/02/2023 तक)
*पंजीकरण* हेतु लिंक :
forms.gle/4EqW7TbFPzNxHxGi9
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शिविर संबंधित विस्तृत जानकारी हेतु *संपर्क सूत्र*
Mob : 9409615011, 9306374959
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*शिविर स्थल-*
स्थान : बंसरी ग्रीन रिसोर्ट , गांधीनगर महुड़ी हाईवे, गांधीनगर, गुजरात
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Location : Bansari Resort-
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Відео
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 14) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1 тис.2 роки тому
अकामस्य क्रिया काचिद् दृश्यते नेह कर्हिचित्। यद्यद्धि कुरुते किञ्चित् तत्तत्कामस्य चेष्टितम्॥ मनु०॥ मनुष्यों को निश्चय करना चाहिए कि निष्काम पुरुष में नेत्र का संकोच विकास का होना भी सर्वथा असम्भव है । इस से यह सिद्ध होता है कि जो-जो कुछ भी करता है वह-वह चेष्टा कामना के विना नहीं है। भूमिका ~स्वामी विवेकानंद जी [कक्षानुसार]- ua-cam.com/play/PL46Bt-Y7lNqPX1Qz4EzkEIlkJbI9yDSxh.html द्वितीय समुल्ल...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 13) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,4 тис.3 роки тому
आचार्य्य अन्तेवासी अर्थात् अपने शिष्य और शिष्याओं को इस प्रकार उपदेश करे कि तू सदा सत्य बोल, धर्माचार कर, प्रमादरहित होके पढ़ पढ़ा, पूर्ण ब्रह्मचर्य्य से समस्त विद्याओं को ग्रहण कर और आचार्य्य के लिये प्रिय धन देकर विवाह करके सन्तानोत्पत्ति कर । प्रमाद से सत्य को कभी मत छोड़, प्रमाद से धर्म का त्याग मत कर, प्रमाद से आरोग्य और चतुराई को मत छोड़, प्रमाद से पढ़ने और पढ़ाने को कभी मत छोड़। देव विद्वान् और...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 12) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,2 тис.3 роки тому
सम्मानाद् ब्राह्मणो नित्यमुद्विजेत विषादिव। अमृतस्येव चाकाङ्क्षेदवमानस्य सर्वदा॥ मनु०॥ वही ब्राह्मण समग्र वेद और परमेश्वर को जानता है जो प्रतिष्ठा से विष के तुल्य सदा डरता है और अपमान की इच्छा अमृत के समान किया करता है। अनेन क्रमयोगेन संस्कृतात्मा द्विजः शनैः। गुरौ वसन् सञ्चिनुयाद् ब्रह्माधिगमिकं तपः॥ मनु०॥ इसी प्रकार से कृतोपनयन द्विज ब्रह्मचारी कुमार और ब्रह्मचारिणी कन्या धीरे-धीरे वेदार्थ के...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 10) ~ Swami Vivekanand Parivrajak- नियम, ब्राह्मणशरीर
Переглядів 1,6 тис.3 роки тому
शौचसन्तोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः॥ योगसूत्र॥ (शौच) अर्थात् स्नानादि से पवित्रता (सन्तोष) सम्यक् प्रसन्न होकर निरुद्यम रहना सन्तोष नहीं किन्तु पुरुषार्थ जितना हो सके उतना करना, हानि लाभ में हर्ष वा शोक न करना (तप) अर्थात् कष्टसेवन से भी धर्मयुक्त कर्मों का अनुष्ठान (स्वाध्याय) पढ़ना पढ़ाना (ईश्वरप्रणिधान) ईश्वर की भक्तिविशेष में आत्मा को अर्पित रखना, ये पांच नियम कहाते हैं। यमों के विना...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 11) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 9963 роки тому
इन्द्रियाणां विचरतां विषयेष्वपहारिषु । संयमे यत्नमातिष्ठेद्विद्वान् यन्तेव वाजिनाम्॥ मनु॰॥ अर्थ-जैसे विद्वान् सारथि घोड़ों को नियम में रखता है वैसे मन और आत्मा को खोटे कामों में खैंचने वाले विषयों में विचरती हुई इन्द्रियों के निग्रह में प्रयत्न सब प्रकार से करें। क्योंकि- इन्द्रियाणां प्रसंगेन दोषम् ऋच्छत्यसंशयम् । सन्नियम्य तु तान्येव ततः सिद्धि नियच्छति॥ मनु०॥ अर्थ-जीवात्मा इन्द्रियों के वश हो...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 09) ~ Swami Vivekanand Parivrajak (पांच यम )
Переглядів 1,5 тис.3 роки тому
यमान् सेवेत सततं न नियमान् केवलान् बुधः। यमान्पतत्यकुर्वाणो नियमान् केवलान् भजन्॥ मनु०॥ यम पांच प्रकार के होते हैं- तत्रहिसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः॥ योगसूत्र॥ अर्थात् (अहिसा) वैरत्याग, (सत्य) सत्य मानना, सत्य बोलना और सत्य ही करना, (अस्तेय) अर्थात् मन वचन कर्म से चोरीत्याग, (ब्रह्मचर्य) अर्थात् उपस्थेन्द्रिय का संयम, (अपरिग्रह) अत्यन्त लोलुपता स्वत्वाभिमानरहित होना, इन पांच यमों का स...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 08) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 9443 роки тому
चतस्रोऽवस्थाः शरीरस्य वृद्धिर्यौवनं सम्पूर्णता किञ्चित्परिहाणिश्चेति। आषोडशाद् वृद्धिः। आपञ्चविशतेर्यौवनम्। आचत्वारिशतः सम्पूर्णता। ततः किञ्चित्परिहाणिश्चेति। पञ्चविशे ततो वर्षे पुमान् नारी तु षोडशे। समत्वागतवीर्यौ तौ जानीयात्कुशलो भिषक्॥ -यह सुश्रत के शरीरस्थान का वचन है। इस शरीर की चार अवस्था हैं। एक (वृद्धि) जो १६वें वर्ष से लेके २५वें वर्ष पर्यन्त सब धातुओं की बढ़ती होती है। दूसरा (यौवन) जो ...
सत्यार्थ प्रकाश सप्तम समु• कक्षा 2भाग 3
Переглядів 7643 роки тому
भूमिका ~स्वामी विवेकानंद जी [कक्षानुसार]- ua-cam.com/play/PL46Bt-Y7lNqPX1Qz4EzkEIlkJbI9yDSxh.html द्वितीय समुल्लास~स्वामी विवेकानंद जी [कक्षानुसार]- ua-cam.com/play/PL46Bt-Y7lNqPxhFF7TKSWP0d9SFJcramd.html तृतीय समुल्लास~स्वामी विवेकानंद जी [कक्षानुसार]- ua-cam.com/play/PL46Bt-Y7lNqP5jSANn29eGszuMBEW-py-.html सप्तम समुल्लास~स्वामी विवेकानंद जी [विषयानुसार]- ua-cam.com/play/PL46Bt-Y7lNqOifltYweqE...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 07) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 8713 роки тому
(प्रश्न) प्रत्येक मनुष्य कितनी आहुति करे और एक-एक आहुति का कितना परिमाण है? (उत्तर) प्रत्येक मनुष्य को सोलह-सोलह आहुति और छः-छः माशे घृतादि एक-एक आहुति का परिमाण न्यून से न्यून चाहिये और जो इससे अधिक करे तो बहुत अच्छा है। इसीलिये आर्यवरशिरोमणि महाशय ऋषि, महर्षि, राजे, महाराजे लोग बहुत सा होम करते और कराते थे। जब तक इस होम करने का प्रचार रहा तब तक आर्यावर्त्त देश रोगों से रहित और सुखों से पूरित ...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 06) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 8253 роки тому
(प्रश्न) होम से क्या उपकार होता है? (उत्तर) सब लोग जानते हैं कि दुर्गन्धयुक्त वायु और जल से रोग, रोग से प्राणियों को दुः और सुगन्धित वायु तथा जल से आरोग्य और रोग के नष्ट होने से सु प्राप्त होता है। (प्रश्न) चन्दनादि घिस के किसी को लगावे वा घृतादि खाने को देवे तो बड़ा उपकार हो। अग्नि में डाल के व्यर्थ नष्ट करना बुद्धिमानों का काम नहीं। (उत्तर) जो तुम पदार्थविद्या जानते तो कभी ऐसी बात न कहते। क्यो...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 05) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 7973 роки тому
एक ‘बाह्यविषय’ अर्थात् बाहर ही अधिक रोकना। दूसरा ‘आभ्यन्तर’ अर्थात् भीतर जितना प्राण रोका जाय उतना रोक के। तीसरा ‘स्तम्भवृत्ति’ अर्थात् एक ही वार जहां का तहां प्राण को यथाशक्ति रोक देना। चौथा ‘बाह्याभ्यन्तराक्षेपी’ अर्थात् जब प्राण भीतर से बाहर निकलने लगे तब उससे विरुद्ध उस को न निकलने देने के लिये बाहर से भीतर ले और जब बाहर से भीतर आने लगे तब भीतर से बाहर की ओर प्राण को धक्का देकर रोकता जाय। ऐ...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 03) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,4 тис.3 роки тому
गायत्री मन्त्र का उपदेश करके सन्ध्योपासन की जो स्नान, आचमन, प्राणायाम आदि क्रिया हैं सिखलावें। प्रथम स्नान इसलिए है कि जिस से शरीर के बाह्य अवयवों की शुद्धि और आरोग्य आदि होते हैं। इस में प्रमाण- अद्भिर्गात्रणि शुध्यन्ति मनः सत्येन शुध्यति। विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बुद्धिर्ज्ञानेन शुध्यति।। (यह मनुस्मृति का श्लोक है।) जल से शरीर के बाहर के अवयव, सत्याचरण से मन, विद्या और तप अर्थात् सब प्रकार के ...
सत्यार्थ प्रकाश-तृतीय समुल्लास (कक्षा 04) ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 9603 роки тому
एक ‘बाह्यविषय’ अर्थात् बाहर ही अधिक रोकना। दूसरा ‘आभ्यन्तर’ अर्थात् भीतर जितना प्राण रोका जाय उतना रोक के। तीसरा ‘स्तम्भवृत्ति’ अर्थात् एक ही वार जहां का तहां प्राण को यथाशक्ति रोक देना। चौथा ‘बाह्याभ्यन्तराक्षेपी’ अर्थात् जब प्राण भीतर से बाहर निकलने लगे तब उससे विरुद्ध उस को न निकलने देने के लिये बाहर से भीतर ले और जब बाहर से भीतर आने लगे तब भीतर से बाहर की ओर प्राण को धक्का देकर रोकता जाय। ऐ...
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 06) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-06 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,3 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 06) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-06 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 03) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-03 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 2 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 03) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-03 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 04) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-04 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,3 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 04) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-04 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 08) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-08 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,5 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 08) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-08 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 07) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-07 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,7 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 07) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-07 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 09) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-09 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,5 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 09) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-09 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 17) ॥ SATYARTH PRAKASH 9th-17 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 1,1 тис.3 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 17) ॥ SATYARTH PRAKASH 9th-17 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 5) ॥ SATYARTH PRAKASH 9th-5 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 5763 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 5) ॥ SATYARTH PRAKASH 9th-5 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 12) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-12 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 5583 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 12) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-12 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 13) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-13 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 3733 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 13) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-13 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 10) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-10 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 8053 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 10) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-10 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 11) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-11 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 7333 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 11) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-11 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 14) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-14 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 4013 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 14) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-14 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 16) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-16 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
Переглядів 6673 роки тому
सत्यार्थ प्रकाश-नवम समुल्लास (कक्षा 16) ॥ SATYARTH PRAKASH 9nd-16 ~ Swami Vivekanand Parivrajak
बन्ध-मोक्ष विषयक समीक्षा ॥ सत्यार्थ प्रकाश नवम समुल्लास -कक्षा-2 ~स्वामी विवेकानंद जी परिव्राजक
Переглядів 1 тис.3 роки тому
बन्ध-मोक्ष विषयक समीक्षा ॥ सत्यार्थ प्रकाश नवम समुल्लास -कक्षा-2 ~स्वामी विवेकानंद जी परिव्राजक
नमस्ते 🙏स्वामी जी।
😂😂l😂😂😂😂😂😂😂😂
Omsanti
यह अंग्रेजों का एजेंडा यहां चला रहा है जो भगवान शिव राम और कृष्णा को भगवान नहीं मानता है
4:07 प्रथम बात श्रीमद भागवत मे कृष्ण ने ज़रासंध को कई बार हराया था और जो स्वयं विश्व मे समाया उसे कैसे हराया जाएगा। ईश्वर साकार है, सर्वव्यापाक ब्रह्म रूप मे है और ब्रह्म तेज है जो की किसी से निकलती है, वो नारायण साकार है। PLEASE PURAAN AADI PADH KE AAYIYE
ब्रह्म अव्यक्त सागर है एक से अनेक बना।
Inki video ko Ai se animate karke thodha hlka music background mai chl jaye to Please Karo ❤❤
Namsty ji
Mul Prakriti Ka Kya Arth hai
Guru nanak ji ne kabhi nahi kaha vo ishwar hai wo apne aap ko nirakar ishwar ka das batate hai... Or ek nirakar parmatma ki bhakti ka marg batate hai
Jay Shri Saint Rampalji Maharaj Jagat Guru
स्वामी जी! नमन । यदि अन्न में आत्मा है तो उसे खाने से क्या पाप लगता है और बिना अन्न के प्राणी जीवित नहीं रह सकता है। क्या पेड़ पौधे वनस्पतियों में आत्मा होती है।
स्वामी जी नमस्ते!!! जो लोग भ्रूण हत्या करवा देते हैं। उस आत्मा का क्या होता है? यज्ञ वीर गाजियाबाद
सादर नमस्ते स्वामी जी 🙏🙏🙏
सादर नमस्ते स्वामी जी 🙏🙏🙏
नमस्ते स्वामी जी 🙏🙏🙏
ईश्वर साकार है और निराकार भी, जिस तरह जिस तरह जीव का मूल रूप आत्मा निराकार है, और जब शरीर धारण करती है तो साकार कहलाती है, फिर ईश्वर तो सबकुछ कर सकता है, अपनी माया से साकार रूप में प्रकट होता है, ॐ सच्चिदानंद रुपम🙏
Iswar sakar aur nirakar dono hi h Jaise बर्फ एक sakar roop h paani ka aur wo पिघल jaati h to wo nirakar ban jaati h to aise hi iswar sakar bhi h aur nirakar bhi h ||
Krishna ko ram ko jisne bheja wo iswar hi
मुझे हंसी आई है जब कोई भगवान को निराकार साकार कहता है लड़ते हैं जब भगवान गीता में कह रहे हैं मेरी उत्पत्ति को देवता ऋषि मुनि गंधर्व मनुष्य पशु पक्षी कोई भी नहीं जानता है मैं किसी की मन बुद्धि इंद्रियों के पकड़ में नहीं आता हूं क्योंकि मन बुद्धि शरीर यह सब माया का खेल इस माया की मेरे आगे दाल नहीं गलती है मुझे अगर पहचानने की किसी में सामर्थ है तो वह है आपकी सिर्फ आत्मा ? आत्मा आश्चर्यमई है तो मैं भी आश्चर्य मय हूं जैसे में अपनी माया में रमण करता हूं वैसे यह आत्मा भी मेरी माया में रमण करती है फर्क बस इतना है आत्मा मेरी अंश है
ईश्वर सर्वशक्तिमान है ईश्वर परिस्थित के अनुकूलरूप धारण करते हैं केवल ईश्वर को साकार मानने वाला भी मूर्ख है और केवल निर्गुण मानने वाला भी मूर्ख है ज्ञानी केवल ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानता है ।
In murkh ko pata nahi hai ki appearance alag hone se shakti samarth alag hone se Ishwar badalta nahi hai.Kuch vishesh karya ke liye Ishwar avtar dharan karte hai aur uski tarha shakti samarth dharan karte hai. Aap jab janm hue the aapke paas bal nahi hota hai ek box ko uthane ki toh aapki ki bachpan ke roop ko main aap na samjhu???? Ishwar ka avtar lene ka karan sansar ki sristi nahi hai balki wo karya hai jiske liye avtar leta hai.
Sahi kaha sir
ईश्वर साकार और निराकार दोनो रूप में है यह व्यक्ति के नजरिये एवं आस्था पर निर्भर है ।हनुमानजी का सुन्दर काण्ड पढना एवं भगवद गीता पढना सब समझ में आ जाएगा एवं आपके सभी प्रश्नो का उत्तर मिल जाएगा ।
आपने जो प्रकृति के तीन गुणों को पदार्थ बता दिया , ये आपने गलत व्याख्या कर दी है
ॐ नमः।सादर नमन गुरुवर स्वामी जी।मानसिंह धीमान गाजियाबाद से
वेदों में प्रमाण है परमात्म साकार है।
Niakar h kewal. Iswar bhagwan dewi dewata alag alag hote h. Dewi dewta ki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h vardan shaktiya milti h asali dewi dewata humare swarg lok m baithe h waha se shaktiya ati h dewdoot ate h unki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h Iswar karamyog se milta h use pooja ibadat ki jaroorat nahi h. Allha sakar h allha jabardasti pooja ibadat karwata h .
श्री कृष्ण ही भगवान हैं गोवर्धन पर्वत को एक उंगली से उठाया था, क्या कोई भी आदमी एक उंगली से 10किलो उठा लेगा नही उठा सकता लेकिन श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली से उठाकर अपने उंगली पर रखा था इसलिए श्री कृष्ण ही भगवान हैं ईश्वर हैं भगवान कुछ भी कर सकते हैं जय श्री राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Tu to akar mey hai
स्वामी जी सादर नमस्कार, आप के प्रवचन बहुत अच्छे लगते है लेकिन यह शंका है कि क्या मणुश का जन्म किसी ओर योनि में होता है
Iswar sakar bhi hai nirakar bhi haii...aagar aap aastik ho tab bhi aap iswar k santan ho or aagar aap nastik ho tab bhi aap iswar ki santan ho...
सादर प्रणाम एवं आभार स्वामी जी
जो सवत्र व्यापक है वह ईश्वर है अब हम सोच सकते हैं क्या कोई साकार हर जगह हाजिर नाजीर है या फिर निराकार है जो हर जगह हाजिर नाजीर है
ईश्वर साकार है। हरे कृष्ण।
Ishvar sakar hain
निर्गुण सगुण मे भेद नही एक ही है भेद है तो ना समझी का है यह भक्ति मार्गकृपा साध्य है
सिर मुंडा लेने के बाद भी तुम मूर्ख हमेशा मूर्ख ही रहोगे
निरांकार पर ब्रम्ह परमात्मा है। साकार रुप ऊनके अंश है।। साकार रुप में गुण धारी है। निरांकार परमात्मा निर्गुण है।।। कोई गुण नही है।।। ओ ब्रम्ह चारी है। पुरूष प्रधान है।।। ना पत्नी है।ना बच्चे ना परिवार है। ओ एक है।। ओ निराकार तत्व है।।।
Khule aam moo se mat hago , yt pe to bilkul nhi hagna chahiye . Kripya band darwaazo mein hi baat kare . Kya itna samajh nhi aata ki brahm agar saakaar roop mein bhi anant Shakti nhi rakh sakta to vo brahm nhi hai .
Tum or tumhara bap bhagwan hai
Kya murkh बना Rahi ho. Radhi Radhi bolo
Hadd ho gai
इसकाबाप मुसलमानहोगा
यह साला बाबापाखंडी है
ईश्वर को साकार मानने से उसकी सर्वज्ञता और अनन्तता समाप्त हो जाती है। साकार भूख, प्यास, रोग, दोष, जन्म-मरण आदि से युक्त होता है। उसे बनाने वाला भी कोई होता है परन्तु ईश्वर में भूख प्यासादि दोष नहीं है न उसका कोई बनाने वाला है। वह अजन्मा, स्वयं भू और अजर,अमर है।
Pta nhi kha kha se chle aate hain aise murkh Gyan bgharne 😂😂😂
Bhagwan isko bna ke pachta rha hoga 😂😂😂😂
Jo bhawan Ram or krishan ki majak banaye usko murkh se bdi koi upadhi nhi di ja skti 😂😂😂
Ye jo baitha bol rha hai ye bhawan hai bhai logo 😂😂😂😂😂
Andho me kana Raja 😂😂