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Jainism Basics Class for Youths
India
Приєднався 9 бер 2021
Onthis channel you will find short video lectures on basic fundamentals of Jainism and how to apply them in our daily life.
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2.13 क्या मात्र भोजन नहीं करना ही तप है ? इच्छाओं का अभाव कैसे करें ? दूसरी ढाल छहढाला
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Відео
2.12 आत्महित के लिए सब छोड़ना भी पड़े तो छोड़ देना ! ज्ञान और वैराग्य दुखरूप नहीं है | दूसरी ढाल छहढाला
Переглядів 802 години тому
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2.11 कर्मों के उदय आने पर भी आत्मा का कुछ नहीं बिगड़ा | अपना स्वरुप तो देखो !! दूसरी ढाल | छहढाला
Переглядів 874 години тому
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2.10 रागादि भाव वर्त्तमान में दुःखरूप कैसे है ? आस्रव तत्त्व सम्बन्धी महा भूल !! दूसरी ढाल | छहढाला
Переглядів 767 годин тому
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2.9 राग भाव होना भूल नहीं, राग को अच्छा मानना भूल है | दूसरी ढाल | छहढाला
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2.8 आत्मा का जन्म-मरण कभी होता ही नहीं ! क्या यह शरीर हमारे हिसाब से चलता है ? दूसरी ढाल | छहढाला
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2.6 मिथ्यात्व के लक्षण | अगर सुखी होना है तो ये चार बुद्धि को त्यागें | दूसरी ढाल | छहढाला
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2.5 एक बार स्वयं से पूछिए : Who Am I ? हमने अपने को क्या-क्या मान रखा है ? दूसरी ढाल | छहढाला
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2.4 जीव तत्त्व की भूल | क्या शरीर हम है ? हम अपने को भूलकर कैसे दुखी होते है ? दूसरी ढाल | छहढाला
Переглядів 11921 годину тому
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2.3 अजीव के भेद | जीव का कार्य क्या है ? दूसरी ढाल | छहढाला
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2.2 अगृहित मिथ्यादर्शन क्या होता है ? हमारी असली identity क्या है ? दूसरी ढाल | छहढाला
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2.1 हमारे दुःख की असली वजह बाहरी परिस्थिति नहीं, स्वयं का ही मिथ्यात्व भाव है !! दूसरी ढाल | छहढाला
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1.23 त्रस और मनुष्य पर्याय की दुर्लभता | भाव परावर्तन | पञ्च परावर्तन | अपने को जानो !!छहढाला
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1.22 मनुष्य और तिर्यंच भव परावर्तन !! तिर्यंच गति के महाकष्ट 😞 😞 पञ्च परावर्तन | छहढाला
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1.21 नरक और देव भव परावर्तन !! पञ्च परावर्तन | छहढाला
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1.20 इतनी बार नरक में जन्म लेने पर भी मन नहीं भरा ?? नरक भव परावर्तन !! पञ्च परावर्तन | छहढाला
Переглядів 152Місяць тому
1.20 इतनी बार नरक में जन्म लेने पर भी मन नहीं भरा ?? नरक भव परावर्तन !! पञ्च परावर्तन | छहढाला
1.19 कुछ समय की त्रस पर्याय फिर अनंत काल निगोद या अनंत काल मोक्ष !! पञ्च परावर्तन | छहढाला
Переглядів 121Місяць тому
1.19 कुछ समय की त्रस पर्याय फिर अनंत काल निगोद या अनंत काल मोक्ष !! पञ्च परावर्तन | छहढाला
1.18 उत्सर्पिणी - अवसर्पिणी काल क्या होते हैं ? काल चक्र = 20 कोड़ाकोड़ी सागर | पञ्च परावर्तन | छहढाला
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1.18 उत्सर्पिणी - अवसर्पिणी काल क्या होते हैं ? काल चक्र = 20 कोड़ाकोड़ी सागर | पञ्च परावर्तन | छहढाला
1.17 लोक का ऐसा एक प्रदेश बाकी नहीं जहाँ हमारा जन्म और मरण ना हुआ हो ! पञ्च परावर्तन | छहढाला
Переглядів 114Місяць тому
1.17 लोक का ऐसा एक प्रदेश बाकी नहीं जहाँ हमारा जन्म और मरण ना हुआ हो ! पञ्च परावर्तन | छहढाला
1.16 द्रव्य और क्षेत्र परावर्तन | पञ्च परावर्तन | छहढाला | Jain Basics Class
Переглядів 228Місяць тому
1.16 द्रव्य और क्षेत्र परावर्तन | पञ्च परावर्तन | छहढाला | Jain Basics Class
1.15 छहढाला | दुःख का असली कारण : सम्यग्दर्शन का अभाव ! सम्यग्दर्शन किसे कहते है ? Jain Basics Class
Переглядів 137Місяць тому
1.15 छहढाला | दुः का असली कारण : सम्यग्दर्शन का अभाव ! सम्यग्दर्शन किसे कहते है ? Jain Basics Class
1.14 छहढाला | भूत - पिशाच भी देव हैं | देवों के प्रकार | देवों के मानसिक दुःख ! Jain Basics Class
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1.14 छहढाला | भूत - पिशाच भी देव हैं | देवों के प्रकार | देवों के मानसिक दुः ! Jain Basics Class
1.13 छहढाला | सच्चा और झूठा सुख क्या होता है ? अकाम निर्जरा के फल में देव गति | Jain Basics Class
Переглядів 154Місяць тому
1.13 छहढाला | सच्चा और झूठा सु क्या होता है ? अकाम निर्जरा के फल में देव गति | Jain Basics Class
1.12 छहढाला | क्या हम मनुष्य सच में दुखी है ? धर्म करने की सही उम्र ? Jain Basics Class
Переглядів 139Місяць тому
1.12 छहढाला | क्या हम मनुष्य सच में दुखी है ? धर्म करने की सही उम्र ? Jain Basics Class
1.11 छहढाला | मनुष्य गति | गर्भ के दुःख | Jain Basics Class
Переглядів 122Місяць тому
1.11 छहढाला | मनुष्य गति | गर्भ के दुः | Jain Basics Class
1.10 छहढाला | नरकों में भूख-प्यास व अन्य दुःख | Jain Basics Class
Переглядів 89Місяць тому
1.10 छहढाला | नरकों में भूख-प्यास व अन्य दुः | Jain Basics Class
1.9 छहढाला | नरकों में अन्य नारकी, असुरकुमार, सेमर वृक्ष सम्बन्धी दुःख | Jain Basics Class
Переглядів 143Місяць тому
1.9 छहढाला | नरकों में अन्य नारकी, असुरकुमार, सेमर वृक्ष सम्बन्धी दुः | Jain Basics Class
1.8 छहढाला | नारकी का जन्म कैसे होता है ? नरक की भूमि | वैतरणी नदी | Jain Basics Class
Переглядів 139Місяць тому
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1.7 छहढाला | तिर्यंच गति के दुःख | Jain Basics Class
Переглядів 97Місяць тому
1.7 छहढाला | तिर्यंच गति के दुः | Jain Basics Class
1.6 छहढाला | त्रस पर्याय के दुःख | ताकतवर शेर सुखी है या दुखी ?Jain Basics Class
Переглядів 198Місяць тому
1.6 छहढाला | त्रस पर्याय के दुः | ताकतवर शेर सुखी है या दुखी ?Jain Basics Class
नमस्ते, क्या दही सुबह जमाना चाहिए? कृपया स्पष्ट करें।
नमस्ते, आपने कहा पहले पानी छाना जाए और उसे उबालकर सामान्य करके पीना चाहिए, तो क्या जैन धर्म में दूध को उबालने का तरीका भी कुछ अलग है कृपया स्पष्ट करें।
जय जिनेंद्र, जिस समय गाय का दूध निकाले तब से 48 मिनट के भीतर ही दूध उबाल लेना चाहिए। 48 मिनट के बाद दूध में अनेक जीव उत्पत्ति होना शुरू हो जाती है।
Jai jinendra
Jai jinendra
जय जिनेंद्र भैया जी 🙏🙏🙏 खड़गपुर
जीव एक बार मोक्ष प्राप्त करने के बाद, फिर से दुसरे चौबीसी मे संसार में आ सकता है कया
एक बार मोक्ष हो जाने के बाद कोई भी जीव पुनः लौट कर संसार में कभी नहीं आता है। संसार में अनंत दुःख है, मोक्ष में अनंत आनंद है
Nal ya tanki me channa laga kar kaam kar sakte hai kya
जी, पर छन्ने को जीवाणी बराबर हो इसका ध्यान रखें
Jai jinendra
Jai jinendra
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भवनालय चालीसा व्यंतर देवाण होति बत्तीसा कम्पामर चोबीसा चंदों सूरो णरो तिरियो। इसके आधार पर भवन वासी40
🙏🙏🙏
Bhut Sundar.
👌👌👌🙏🙏🙏 खड़गपुर
Jaijienendra
Pranaam shraavakji Jay jinendra Khub khub anumodana
आयु कर्म के बंध संबंधी स्पष्टीकरण : इस कक्षा में मैंने आयु का बंध कुल आयु के एक तिहाई भाग में बताया था जो ठीक नही है। उसका सही स्वरूप ऐसा है - अगली आयु का बंध प्राप्त आयु के 2/3 भाग में होता है। उदाहरण के लिए माना की किसी मनुष्य की आयु 81 वर्ष है। उसकी अगली आयु संबंधी बंध 81 वर्ष की आयु के 2/3 भाग याने 54 वर्ष की अवस्था में होगा। अगर तब नहीं होता है तो शेष 27 वर्ष की आयु के 2/3 भाग याने की 72 वर्ष की आयु में होगा। अगर तब नहीं होता है तो शेष 9 वर्ष की आयु के 2/3 भाग याने छठे वर्ष में अर्थात 78 वर्ष की आयु में होगा। अगर तब भी नही होता है तो शेष 3 वर्ष की आयु के 2/3 भाग याने 80 वर्ष की आयु में होगा। अगर तब भी नही होता है तो शेष 12 माह की आयु के 2/3 भाग याने 80 वर्ष 8 माह की आयु में होगा। इसी तरह आगे समझा जा सकता है। अगर ऐसे 8 अपकर्श काल में भी आयु बंद नहीं होता है तो जीवन के अंतिम अंतर-मुहूर्त में अवश्य ही आयु बंध होता ही है।
विषय प्रतिपादन में कुछ जगह भूल हुई हैं, अतः यहाँ से देख कर सही अर्थ ग्रहण करें | 1. अगर आत्मा का प्रयोजन है, फिर भी जीवन में अशुभ भाव हैं तो भी चिंता की बात नहीं है | ये अशुभ भाव भी समय पर अवश्य मिट जायेंगे और शीघ्र ही शुद्ध भाव पूर्वक मोक्ष हो जायेगा | 2. अज्ञानी जीव पुनोदय में सबसे ज्यादा पाप करता है | 3. घर और वन दोनों ही पर क्षेत्र है, ना बाधक है ना साधक है | घर में रहने का भाव ही आस्रव है | जिस जीव को आत्मा की समझ होती है, उसके परिणाम सहज ही घर में रहने के होते ही नहीं है | वह तो दीक्षा लेकर एकांतवास में आत्मा का आनंद भोगता है | 4. पुण्य उपयोगी है, उपादेय नहीं ! शुद्ध भाव की प्राप्ति के अवसर पुण्य प्रसंग में मिलते हैं |
Really too good
जिस टाइम हमने पानी गुनगुना किया उसके 6 घंटे केअंदर हम पानी को उबालकर उसे यूज कर सकते हैं लेकिन उसकी मर्यादा जिस टाइम हमने गुनगुना किया है उसी टाइम तक 24 घंटे माना जाएगा
12 घंटे की मर्यादा किस आगम के अनुसार है प्लीजबताएं
गुनगुने पानी की मर्यादा तो 6 घंटे की होती है
हम इस कक्षा से कैसे जुड़ सकते हैं?
इस लिंक से आप कक्षा के व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ सकते है। यहां कक्षा संबंधी नियमित सूचना मिलेगी। chat.whatsapp.com/KC8ZCFQ27jWKQig7c99BUt
Very nice explanation.. Archesh sir👌☺️ Jai jinendra 🙏
Nicely explained
Very nice
भोपाल ❤
yyhar
Bahut sunder
40:01 यहां सुधार है - बहुत आरंभ और परिग्रह के कारण इसने (राजा श्रेणिक) सातवें नरक की उत्कष्ट आयु का बंध किया था । यह राजगृही के विपुलाचल पर्वत पर आये महावीर के समवसरण में सपरिवार गया था । वहाँ इसने और इसके अक्रूर, वारिषेण, अभयकुमार आदि पुत्रों तथा उनकी रानियों ने सम्यक्त्व प्राप्त किया । इसके प्रभाव से इसका सातवें नरक का आयुबंध प्रथम नरक संबंधी चौरासी हजार वर्ष की स्थिति में बदल गया था ।
Please reply
20:49 यहां पर एक सुधार हैं - 84 लाख योनियों में से तिर्यंच की 62 लाख योनियां है।
दुंदुभी का तो रहता हैं पर दिव्य ध्वनि का कैसा sign रहता हैं??
Please clear this word अर्धोन्मिलित?? Is it ryt?
Yes. It means Half Closed
Thanks a lot ☺️ for solving my query Jai jinendra 🙏
विरद ka proper meaning btaiye please
विशाल सुंदर रूप
बहुत ही सुन्दर समझाते हैं आप.. जय जिनेंद्र 🙏
🙏🙏👌
णमो जीणाणं
अगर सब कुछ नककी है तो फिर किसी काम में पुरूषार्थ क्यों करते हैं ?
जय जिनेन्द्र, जो पुरुषार्थ होता है वह भी होने योग्य ही होता है। हमारा कार्य तो होते हुए पुरुषार्थ को जानना ही है। जिनवाणी में उपदेश शैली का प्रयोग अधिक किया जाता है, इसीलिए पुरुषार्थ करने की प्रेरणा दी जाती है। वास्तव में तो जीव का पुरुषार्थ तो मात्र जानना देखना ही है।
अगर आप "द्रव्य गुण पर्याय" विषय को गहराई से समझना चाहते है तो ये सभी प्रवचन अवश्य सुनें : ua-cam.com/play/PLMy7sVrM4BH9uldVWHZ0ysSVDdMBVhOYq.html&si=tdYDvDIblOUYRfob
🙏🙏🙏
णमो जीणाणं
जय जीनेंद़
आ रही है
Jai gurudev 🙏🏻
Bohot badiya 🙏🏻
Sir bhut acchi jankari dete ho aap Maine bhi char din se ratri bhojan chod Diya lekin supari or bidi nahi chut rahi hai agle vdo me mere quotation ka bhi dhyan rakhe
जय जिनेन्द्र, हमारा जन्म तो भगवान बनने के लिए हुआ है, जैसे रात्रि भोजन छूटा है वैसे ही ये भी छूटेंगे। 💯
Bahut badhiya 🙏🙏🙏
🙏