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Dew Brat Chaturvedi
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -79 भारत जी का श्रीराम को अयोध्या लाने की आज्ञा देना
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -79 भारत जी का श्रीराम को अयोध्या लाने की आज्ञा देना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -78 शत्रुघ्न का रोष में आकर क़ुब्जा को घसीटना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -77 पिता की चिताभूमि पर भारत और शत्रुघ्न का विलाप करना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -76 राजा दशरथ का अंत्येष्टिसंस्कार
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -75 भारत जी की माता कौशल्या से भेंटकर अपनी सफाई देना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -74 भारत जी का माता कैकेई को फटकारना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -73 पिता की मृत्यु से दुखी भारत का कैकेई को फटकारना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -72 भारत का माता कैकेई के भवन में प्रवेश
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -71 भारत जी का ननिहाल से अयोध्या आना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -70 भारत जी का अयोध्या के लिए प्रस्थान करना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण, अयोध्याकांड,सर्ग -69 दु:स्वप्न देखने पर भरत की चिंता
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -68 गुरु वशिष्ठ जी द्वारा भारत को बुलाने कैकेय देश दूत भेजना
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -67 ऋषियों और मंत्रियों का वशिष्ठ जी से राजा बनाने का आग्रह
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -66 महाराज दशरथ की मृत्यु पर रानी कौशल्या का विलाप
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण, अयोध्याकांड,सर्ग - 65
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण, अयोध्याकांड,सर्ग - 65 महाराज दशरथ को दिवंगत जान रानियों का करुण विलाप करना
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -64
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -64
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -63
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -63
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण अयोध्याकांड,सर्ग -62
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण अयोध्याकांड,सर्ग -62
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -61
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -61
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -60
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -60
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -59
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -59
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -58
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -58
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण अयोध्याकांड,सर्ग -57
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण अयोध्याकांड,सर्ग -57
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -56
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -56
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -55
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -55
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -54
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -54
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड,सर्ग -53
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -52
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -52
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण, अयोध्याकांड, सर्ग -51
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण, अयोध्याकांड, सर्ग -51
श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -50
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श्रीमद्वाल्मीकी रामायण,अयोध्याकांड, सर्ग -50
JAI Shri Ram 🙏🌹🙏
Jai shri raam
Jai shri raam
🌺🙏🙏🌺 जय श्री राम
जय सिया राम
जय सिया राम आपकी विद्वता को नमन, अनुगृहित हूंगा यदि आप सरल भाषा में वाल्मीकि रामायण की व्याख्या भी करते रहे, संस्कृत भाषा को जन सामान्य नहीं समझ पाते,
जी सादर नमस्कार संस्कृत पाठ के बाद हिंदी अनुवादक पाठ होता है कृपया वीडियो का आखिरी भाग देखे
जय सिया राम
जय सिया राम
आपकी वाणी से रामायण सुनकर आनंद आ गया
सादर धन्यवाद
Manusmriti dahan dibash par apko subhkamnay 😁😁jai bhim💙💙💙
जय सिया राम
🌺💥🙏🙏💥🌺 🌺सादर चरण स्पर्श 🌺
🌺💥🙏🙏💥🌺 🌺जय जय श्री राम 🌺
प्रणाम प्रभु🙏 अति सुंदर👌
Sadar dhanyvaad ji Bhagvaan khush rakhe
❤ Namo Nama ❤
Sadar dhanyvad
महाराज जी किसी शास्त्र में बताओ यह आप बोल रहे हो यह मंत्र श्रीमद् भागवत गीता चार वेद इसमें कौन सी जगह है यह मंत्र बताने काकष्ट करें
Kripya 9424350683 par sampark karne ki kripa kare
सादर प्रणाम स्वीकार होवे।
भगवान खुश रखें
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
💥🙏🙏🙏💥 💥जय श्री राम 💥
भक्तानां परमं भयम् नहीं भक्तानां परममभयम् (परमम् अभयम्) उच्चारणे अवधानं करणीयम्।
🙏🙏🌹🌹🌿 जय श्री राम जय श्री राम🙏🙏🌹🌿
सादर धन्यवाद
श्रेष्ठ प्रयास ओम नम शिवाय
सादर धन्यवाद
महाराज जी यह मंत्र श्रीमद् भागवत गीता में यहनहीं है
जी हमने तो देख कर ही लिया है श्रीमद्वाल्मीकीयरामायण का है
बहुशोभनं वाचनं ❤❤ अस्य रामायणस्य प्रकाशक: क:? गीताप्रेसस्य अन्यं च
जी गीताप्रेस गोरखपुर
🌺🙏सादर प्रणाम करता हूं 🌺
Ram ram ji 🌹🙏🌹
राम राम मालती
Jay shree ram ji 🌹🌹🌹
राम राम मालती जी
Ram ram ji 🌹🌹🌹🌹
सादर राम राम मालती जी
@@dewbratchaturvedi1380 धन्यवाद 🙏🌹🙏
@@dewbratchaturvedi1380 जी
Rajesh Goutam शिक्षाविद, प्रबुद्ध उपदेशक, समाज सुधारक, पुरुषार्थी परम श्रद्धेय आचार्य श्रीमान देव ब्रत चतुर्वेदी जी महाराज -पन्ना(मप्र) सर्वोकृष्ट प्रस्तुति : आत्मिक आभार!! !! कोटि कोटि नित्य का सादर नमन, वंदन !!ॐ!! श्रीब्रह्माण्डमहापुराण,उत्तरभाग,4-उपसंहारपाद,अध्याय-31 मातंग कन्या का प्रादुर्भाव *!!एकस्य कारणाज्जाते तत्रान्यस्य स्पृहा भवेत।।99* मनुष्य की कामनाओं, आकांक्षाओ और चाहतों की कभी पूर्ति नही होती है! मनुष्य की अपेक्षाओं की कभी तृप्ति नही होती है! वह अपनी अबतक की उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही होता है! कुछ मिला तो और मिले, और मिले की इक्षापूर्ति कभी नहीं होती! यह सोचते हुए वह आजीवन संघर्ष करता रहता है! एक कारणयुक्त कार्य पूर्ण होता है तो दूसरे कारणयुक्त कार्य को प्रारंभ कर देता है! दूसरा पूरा हुआ तो तीसरा प्रारंभ कर देता है! इस प्रकार, नवीन कारणयुक्त नवीन नवीन कार्य करते हुए वह पूरा जीवन व्यतीत कर अंत मे अधूरी अभलाषाओं के साथ ही जीवन का अंतकर, मृत्यु को प्राप्त होता है। श्रीब्रह्माण्डमहापुराण,उत्तरभाग 4-उपसंहारपाद, अध्याय-31, श्लोक-99 सादर नमस्कार ╭─❀⊰ !!सर्वज्ञ योग©प्रस्तुति !! राजेशगौतम मिश्रा, योग शिक्षक, पतंजलि-मुंबई (पनवेल), नवी मुंबई, जिला महामंत्री-भा ज पा -उ भा मो, रायगढ़ जिला, महाराष्ट्र, स्थायी निवासी: देवराकलां, कटनी (म प्र)
सादर धन्यवाद आभार
9424350683 पर सम्पर्क करने की कृपा करें
बहुत सुन्दर व्याख्यान प्रभुजी 🙏🌹 सादर साभार 🎉🙏🌹🪴💐
सादर धन्यवाद
अद्भुत कथा है श्री नृसिंह पुराण की जय हो ! कलियुग में कल्याणकारी ही होगी सदाचार और संयम की शिक्षा ईश्वर की लीला ईश्वर ही जानें !
जय हो दयालू आपको हमारा नमस्कार स्वीकार हो जय हो अति सुन्दर आनन्द आ गया जी
सादर चरण स्पर्श
सादर चरण स्पर्श
🙏🏼
यदि अर्थ सहित हो तो और अधिक उपयोगी हो सकेगा 🙏🏻
श्रीब्रह्माण्डपुराण, मध्यभाग, 3- उपोदघातपाद, अध्याय-4 ua-cam.com/video/QbgDPpYTer0/v-deo.htmlsi=-FKbQO-GjVoRosgv त्रयीविद्या ब्रह्ममय प्रसूति: श्राद्धं तपो यज्ञमनुप्रदानम। एतानि नित्यै: सहसा रजोभिर्भूत्वा विभूर्वसतेsन्यत्प्रशस्तम।।24 जो मनुष्य वेद त्रयी (ऋग्वेद साम वेद और यजुर्वेद) का अध्ययन और पाठ और ज्ञान रखता है ब्रह्ममय प्रसूति (एक पत्नी व्रत के साथ धर्माचरण करते हुए उससे संतान उत्पत्ति करता है) तथा धर्म शास्त्रों के विधान अनुसार विहित आचरण करता हुआ श्राद्ध जप तप यज्ञ आदि करते हुए अपने कर्तव्य कर्मो का निर्वाह करता है वह कभी पाप कर्मो में लिप्त नही होता है तथा उस संसार में यश कीर्ति और ऐश्वर्य का भोग करता हुआ पराम लोक को प्राप्त होता है। श्रीब्रह्माण्डपुराण,मध्यभाग 3-उपोदघातपाद, अध्याय-4 श्लोक-24 सादर नमस्कार देव ब्रत चतुर्वेदी-पन्ना(मप्र)
अर्थ सहित ही भेजते है पहले मूल संस्कृत पाठ और उसके बाद हिंदी अनुवाद
❤❤
मैं तो बिना वजह ही डरे जा रही थी सोच-सोच कर मरी जा रही थी तुने जो छोडा़ साथ मेरा मैं कहाँ जाऊँगी कोई नही अब मेरा कैसे निभाऊँगी लेकिन जब टूटा भ्रम मेरा,तो ये जाना तु था ही कब मेरा,और मैं पागल तेरे लिये ही जिये जा रही थी
सादर प्रणाम🙏
सादर धन्यवाद
Jai shri krishna kisoriji ki
अति उत्तम 🙏
सादर धन्यवाद
ॐ नम: शिवाय
सादर धन्यवाद
Jai ho
सदर धन्यवाद
यह पुनीत कार्य हेतु आपको कोटिशः धन्यवाद🙏💕
सादर धन्यवाद
Radhe radhe
श्री राधे कृष्णा
jay shri ram
JAY SHRI RAM , AUM NAMAH SHIVAY
Jai shree Krishna 🎉
सादर प्रणाम
jay shri ram , mahadev har
सादर धन्यवाद
JAY SHRI RAM, MAHADEV HAR
सादर प्रणाम
ખુબ સરસ વિસાવદરથી ભટ્ટ નરેન્દ્ર ના જય ગુરુદેવ
सादर प्रणाम
जय सिया राम बहुत ही सुन्दर और सार्थक
सादर प्रणाम