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Alok : Notes to Myself
Приєднався 9 лип 2012
KEEP MOVING !!
Відео
जिंदगी DIY है।
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27.10.24 को जीवन और करियर के संबंध में लगभग 3 घंटे की स्पेशल क्लास ली। उसका यह पहला भाग है। पहले भी ऐसा करता रहा हूँ। इस बार लंबा अंतराल हुआ। इस बीच विद्यार्थियों के प्रश्न एकत्र भी होते रहे। यह वीडियो भी उन अनेक बच्चों के निवेदन का परिणाम है जो बहुत दूर दराज क्षेत्रों में जीवन निर्माण में लगे हुए हैं। शुभकामनाएं।
प्रख्यात साहित्यकार प्रो. आनंद कुमार सिंह से उनके महाकाव्य 'अथर्वा' पर बातचीत।
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हिन्दी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय, में प्रो आनंद कुमार सिंह से उनके रचनाकार जीवन के विभिन्न आयामों पर एक विस्तृत बातचीत।
कबीर : मेरा तेरा मनुआ कैसे इक होई रे !
Переглядів 2302 місяці тому
कबीर : मेरा तेरा मनुआ कैसे इक होई रे !
LET'S REINVENT !
Переглядів 1992 місяці тому
यदि 53 साल का, भारत की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में से एक का, हिन्दी का, वरिष्ठ प्रोफेसर यानी मैं यह सोचने और करने की कोशिश कर सकता है, तो 23 साल का विद्यार्थी या कोई भी क्यों नहीं ?
'आसंग' में आप का स्वागत है। March 20, 2024
Переглядів 1067 місяців тому
एक बार फिर से आप के साथ, आप के संग, पर इस बार थोड़ा अलग कुछ करने का इरादा है। ज्ञान देने का इरादा बिल्कुल नहीं है। वह आप के पास है। और अगर आप को लेना ही है तो बहुत सारे लोग हैं जो यह काम मुझसे बहुत बेहतर कर रहे हैं। तो मैं क्या करने वाला हूँ ? इस वीडियो में भी कहा है कि मैं कहानियाँ सुनाना चाहता हूँ। जिंदा कहानियाँ। हर कहानी जो मुझे पसंद है। चाहे वह कोई किताब हो, या कोई फ़िल्म, कोई जगह या कोई भोज...
सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(1)
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सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(1)
सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(2)
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सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(2)
सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(4)
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सेंट फ्रांसिस कॉलेज, हैदराबाद में बच्चों से बातचीत के कुछ अंश।(4)
Khakee: The Bihar Chapter, बिना अति गाली, सेक्स और हिंसा के भी अच्छी सीरीज बन सकती हैं।
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Khakee: The Bihar Chapter, बिना अति गाली, सेक्स और हिंसा के भी अच्छी सीरीज बन सकती हैं।
जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली।
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जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली।
प्रिय गुरु जी 🙏🙏🙏
🙏 🙏
🙏
Passion ko profesion banaye👍
बहुत सुंदर व्याख्यान सर
बहुत सुन्दर व्याख्यान सर
सर, मेरी दृष्टि में सफलता की परिभाषा कुछ ऐसी है कि व्यक्ति जिस भी प्रतिभा और कमियों के साथ पैदा हुआ है उनके साथ किसी महान उद्देश्य में समर्पित हो जाए। जैसे - हम क्रांतिकारी को ले सकते हैं, भगत सिंह और सुभाष चंद्र जैसे महान क्रांतिकारियों के पास मौका था कि वे उस समय की बड़ी से बड़ी नौकरी ले सकते थे लेकिन उन्हें वही काम किया जो समय की मांग थी। इसे एक दूसरे उदाहरण के द्वारा भी समझा जा सकता है- बुद्ध के बारे में एक कथा है जिसके अनुसार बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद मौन हो गए थे जिससे डर कर देवताओं ने मिल कर बुद्ध से प्रार्थना की कि अगर वे अपना मौन नहीं त्यागेंगे तो सैकड़ो -लाखों लोग सद्ज्ञान से वंचित हो जाएंगे। बुद्ध का तर्क था कि जो नदी के किनारे पार करने के लिए उद्देश्य से पहुँच चूका है वह अंततः नदी पार कर ही जाएगा, लेकिन देवताओं का तर्क था कि पार करने वालों में बहुत ऐसे लोग होंगे जो बिना किसी साहस या प्रेरणा के नदी पार नहीं कर पाएगे। देवताओं का यह तर्क बुद्ध को सही लगा इसलिए उन्होंने मौन त्याग दिया। इस तरह हम महान व्यक्तित्वों मे देखते है कि अधिकतर लोगों ने अपनी इच्छा के विरुद्ध वही काम किया जो परम आवश्यक था। भले ही यह कथा सांकेतिक है परंतु कथा में मर्म है। मेरी छोटी-सी समझ के अनुसार जीवन में हमें वह काम करना चाहिए जो समय की मांग है। हालांकि इसके लिए विवेक होना नितांत ज़रूरी हैं। जहाँ तक सफलता की बात है मेरी समझ में तो वह अधिक सफल है जिसने अपनी सीमित क्षमता और प्रतिभा के साथ समय से चुनौति ली हो, भले ही उसे इच्छित सफलता मिले या न मिले क्योंकि सफलता में तो बहुत सारी बाह्य परिस्थितियां काम करती है
Thank You sir for taking this beautiful lecture because It is not just a class but It is the essence of knowledge of difficult questions of life 🙏 Thank You Sir.
🙏🙏💐❤
बहुत बहुत धन्यवाद सर इस व्याख्यान के लिए कितना सार्थक प्रयास रहा हमारे जीवन को एक मार्ग देने के लिए। जहां एक प्रोफेसर विद्यार्थियों से मिलना भी नही चाहता है वहीं दूसरी ओर आप रविवार के दिन अपना अमूल्य समय विशेषतः हमारे लिए निकाला और पूरे धैर्य और स्नेह के साथ हमारे प्रश्नों का उत्तर दिया और समझाया। आप तमाम दृष्टांतों के माध्यम से समझाते हैं ये तरीका बहुत अच्छा लगा। ❤❤❤❤धन्यवाद सर ❤
बहुत सुंदर ❤
कवि ब्रह्म स्वरूप होते हैं और रचना उनका संसार। मैं ब्रह्म स्वरूपा अथर्वा के प्रणेता ऋषि कवि मान्यवर आनंद जी को हार्दिक साधुवाद।साहित्यानंद और ज्ञानवर्धक संग्रहणीय संवाद के लिए आयोजक मंडल विश्वविद्यालय परिवार का सादर आभार।
सर ! आपका बहुत-बहुत आभार इतने महत्वपूर्ण व्याख्यान को उपलब्ध करवाने के लिए। 🙏
साधारण लोगों के बीच कुछ असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्ति
बहुत सार्थक व्याख्या.... आभार सर...
🙏
I don't read Hindi but I want read this book so I will learn reading Hindi language
बहुत ही सुन्दर वार्तालाप जिससे एक नवीन दृष्टिकोण प्राप्त हुआ, धन्यवाद गुरुवर 🙏🙏
अद्भुत साहित्यिक चर्चा सादर प्रणाम सर। मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे शोध ग्रंथ का मूल्यांकन आदरणीय प्रोफ़ेसर आनन्द कुमार सिंह जी के द्वारा किया गया और आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
हमें विश्वविद्यालय में आये साल भर हो गये,लेकिन जिनके व्याख्यान से हम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, वह यही यशस्वी हस्ताक्षर हैं। प्रोफेसर साहब चलते-फिरते संस्थान है और परंपरा के वक्ता। इनको सुनना एक साथ कई पुस्तकों से मिल जाना हुआ,हम समृद्ध हुए। आयोजकों को साधुवाद🙏🙏
अद्भुत वार्तालाप। जीवन और सत्य को खोलता यह सत्र अविस्मरणीय है।सभी को यह वार्तालाप सुनना चाहिए।
🙏
बहुत सुंदर
बहुत ही उम्दा व्याख्यान। इस समय में ऐसे विद्वानों को सुनकर भारत की मनीषी परंपरा पर विश्वास जगता है। मुग्ध करने वाला और विचार पैदा करने वाला ऐसा व्याख्यान दुर्लभ है। बहुत बहुत आभार सर।🌹🌹
धन्यवाद सर, आपके वीडियो के माध्यम से हम इतने महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चाएं सुन पाते हैं। छंदों की आधुनिक कविता में क्या आवश्यकता है, सुदृढ़ भाषा एवं महाकाव्य की आज के समय में भी सार्थकता को आनंद कुमार सिंह जी ने बेहद सरलता से व्यक्त किया है। बेहद ज्ञानप्रद, बेहद महत्वपूर्ण कृतार्थ 🙏🙏❣️
वाह! कबीर के दोहे आपसे बेहतर कोई समझा ही नहीं सकता। मेरी तो अपेक्षा है कि, मैं हर रोज़ ऐसे ही एक दोहे को आपसे समझूं।
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पत्थर हटाने का विचार ही प्रसांगिक नहीं है । चिंतन हटाने के लिए नहीं पत्थर के स्वरूप को बदलने के लिए होना चाहिए। जो पूर्ण तया संभव है ।
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Hello Alok ji kaise hi aap, your language and voice is always sweet and professional good to watch and hear you again after long time best regards jp
ज्ञानवर्धक!🙏🙏
बहुत सार्थक.... आभार सर....
❤😊
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सर, आपको सुनकर बहुत अच्छा लगा। बहुत बहुत आभार।🙏🙏🙏
प्रेरक ❤
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ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे आप शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में प्रकृति के सानिध्य में व्याख्यान दे रहे हैं l
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बहुत बढ़िया और शानदार प्रस्तुति
🙏🙏
वाह। बहुत सही। आप तो कर के ही बता रहे हैं, कक्षा के अन्दर, या कक्षा के बाहर, आपने अपना काम जारी रखा है। 😊