Kahani Aur Kalpana
Kahani Aur Kalpana
  • 8
  • 8 023
क़ौशल-मुंशीं प्रेमचंद की कहानीं । Kaushal- Munshi premchand | Kahaani Aur Kalpana
मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखक और उपन्यासकार थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था।
प्रेमचंद ने अपने साहित्य में समाज की वास्तविक समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने गरीबों, किसानों, मजदूरों और शोषित वर्ग की पीड़ा को अपनी कहानियों और उपन्यासों में अभिव्यक्ति दी। उनके प्रमुख उपन्यासों में “गोदान,” “गबन,” “निर्मला,” और “रंगभूमि” शामिल हैं। उनकी प्रसिद्ध कहानियां “पूस की रात,” “ईदगाह,” और “कफन” आज भी पाठकों के दिलों को छूती हैं।
प्रेमचंद का साहित्य सामाजिक सुधार, मानवता और समानता का संदेश देता है। वे हिंदी साहित्य के “उपन्यास सम्राट” के रूप में जाने जाते हैं। उनका योगदान अद्वितीय है।
कहानीं के बारे में 👉🏻 कौशल” मुंशी प्रेमचंद की एक छोटी कहानी है, जो एक दंपति, पंडित बालक राम शास्त्री और उनकी पत्नी माया के बारे में है। माया आभूषणों के प्रति अत्यधिक आकर्षित रहती है। कहानी इस बात की पड़ताल करती है कि माया कैसे एक चालाकी का सहारा लेकर अपने पति को और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है, ताकि वह अपनी पसंद का हार प्राप्त कर सके।
👉🏻 अगर आपको ये कहानीं और कहानी सुनाने का तरीक़ा पसंद आया हो तो हमारे channel को subsribe करकें हमे support करे|
🔔 नॉटिफ़िकेशन बेल दबाएँ ताकि आपको हमारे आने वालीं कहानीं की जानकारी मिलती रहें।
THANK YOU 🙏☺️
#munshipremchandkikahaniyan #kaushal #hindistories
Переглядів: 142

Відео

धोखा - मुंशी प्रेमचंद्र की अनमोल कहानीं। Dhokha - munshi premchand | Kahaani Aur Kalpanaधोखा - मुंशी प्रेमचंद्र की अनमोल कहानीं। Dhokha - munshi premchand | Kahaani Aur Kalpana
धोखा - मुंशी प्रेमचंद्र की अनमोल कहानीं। Dhokha - munshi premchand | Kahaani Aur Kalpana
Переглядів 1,1 тис.21 день тому
धोखा - मुंशी प्रेमचंद्र की अनमोल कहानीं। Dhokha - munshi premchand | Kahaani Aur Kalpana मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महान उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन वे अपने उपनाम “प्रेमचंद” से प्रसिद्ध हुए। वे भारतीय समाज के यथार्थ को अपनी रचनाओं में दर्शाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास सामाजिक अन्याय, गरीबी, किसान जीवन, और ...
प्रेम की होली- मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी |Prem ki Holi- Munshi Premchand| Kahaani Aur Kalpanaप्रेम की होली- मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी |Prem ki Holi- Munshi Premchand| Kahaani Aur Kalpana
प्रेम की होली- मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी |Prem ki Holi- Munshi Premchand| Kahaani Aur Kalpana
Переглядів 41324 дні тому
मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महान उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे अपने यथार्थवादी लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं, जो समाज के दबे-कुचले वर्ग, गरीबी, शोषण और मानवीय भावनाओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है। उनकी रचनाएँ भारतीय समाज के सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को उजागर करती हैं। प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियाँ और 12 उपन्यास लिखे। उनके प्रसिद्ध ...
ख़ुदी- मुंशी प्रेमचंद्र की प्रसिद्ध कहानीं। khudi- Munshi Premchand | Kahaani Aur Kalpanaख़ुदी- मुंशी प्रेमचंद्र की प्रसिद्ध कहानीं। khudi- Munshi Premchand | Kahaani Aur Kalpana
ख़ुदी- मुंशी प्रेमचंद्र की प्रसिद्ध कहानीं। khudi- Munshi Premchand | Kahaani Aur Kalpana
Переглядів 64725 днів тому
मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के महान कथाकार और उपन्यासकार थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस (वर्तमान वाराणसी) के पास लमही गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन साहित्य जगत में वे मुंशी प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। प्रेमचंद ने अपने लेखन में समाज की कुरीतियों, शोषण, गरीबी और ग्रामीण जीवन के यथार्थ को उजागर किया। उनकी कहानियाँ और उपन्यास मानवीय संवेदनाओं ...
ठाकुर का कुआँ - मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानीं। Thakur ka kuan- Munshi premchandठाकुर का कुआँ - मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानीं। Thakur ka kuan- Munshi premchand
ठाकुर का कुआँ - मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानीं। Thakur ka kuan- Munshi premchand
Переглядів 1,9 тис.26 днів тому
मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के महान कथाकार और उपन्यासकार थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस (वर्तमान वाराणसी) के पास लमही गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन साहित्य जगत में वे मुंशी प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। प्रेमचंद ने अपने लेखन में समाज की कुरीतियों, शोषण, गरीबी और ग्रामीण जीवन के यथार्थ को उजागर किया। उनकी कहानियाँ और उपन्यास मानवीय संवेदनाओं ...
पंचलाइट - फणीश्वर नाथ रेणू की कहानीं । panchlight। Kahaani Aur Kalpanaपंचलाइट - फणीश्वर नाथ रेणू की कहानीं । panchlight। Kahaani Aur Kalpana
पंचलाइट - फणीश्वर नाथ रेणू की कहानीं । panchlight। Kahaani Aur Kalpana
Переглядів 1,5 тис.27 днів тому
फणीश्वर नाथ रेणु हिंदी साहित्य के प्रमु कथाकार और उपन्यासकार थे। उनका जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले के औराही हिंगना गाँव में हुआ। उन्होंने ग्रामीण जीवन और समाज की सजीव झलक प्रस्तुत की, जिससे उनकी रचनाएँ पाठकों के दिलों तक पहुँचती हैं। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में “मैला आँचल”, “परती परिकथा” और “ठुमरी” शामिल हैं। रेणु ने आंचलिकता को साहित्य में एक नई पहचान दी। उनकी भाषा में लोक संस्कृति,...
कफ़न - मुंशी प्रेमचन्द्र की अनमोल कहानीं । kafan - munshi premchandra | kahaani Aur Kalpanaकफ़न - मुंशी प्रेमचन्द्र की अनमोल कहानीं । kafan - munshi premchandra | kahaani Aur Kalpana
कफ़न - मुंशी प्रेमचन्द्र की अनमोल कहानीं । kafan - munshi premchandra | kahaani Aur Kalpana
Переглядів 59828 днів тому
कफन मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है, जो गरीबी, सामाजिक असमानता और मानवीय संवेदनाओं पर गहरी चोट करती है। कहानी का केंद्र घीसू और माधव नाम के बाप-बेटे हैं, जो आलसी और लापरवाह हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, और वे मेहनत करने के बजाय दूसरों से मांगकर अपना गुजारा करते हैं। माधव की पत्नी प्रसव पीड़ा में तड़पकर मर जाती है, लेकिन दोनों उसे बचाने के लिए कुछ नहीं करते। उसकी अंत्येष्टि के लिए...
पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Poos Ki Raat -Munshi Premchand Story | Kahani Aur Kalpnaपूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Poos Ki Raat -Munshi Premchand Story | Kahani Aur Kalpna
पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Poos Ki Raat -Munshi Premchand Story | Kahani Aur Kalpna
Переглядів 2 тис.Місяць тому
पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की कहानी | Poos Ki Raat -Munshi Premchand Story | Kahani Aur Kalpana ​⁠​⁠@KahaniAurKalpana मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महान लेखक और उपन्यासकार थे। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास लमही गांव में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने...

КОМЕНТАРІ