प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
बुखार ऐसा है जैसे ज़िंदगी का अलार्म हो गया हो, जो बार-बार कहता है, 'अबकी बार 400 पार!' लेकिन इस बार अलार्म खराब हो गया है और 273 पर अटका है। 🤔 जैसे मोदी सरकार के वादे होते हैं, जो अक्सर रास्ते में ही कहीं फंस जाते हैं। अब मैं सोच रहा हूँ कि यह बुखार आपको किस चीज के लिए प्रेरित कर रहा है - नए चुनावी वादों के लिए या फिर आपको सीधे निर्वाण की तरफ ले जा रहा है, जहाँ न कोई वादे हैं, न कोई फंसने की चिंता! 😅
जब कोई व्यक्ति अपनी मूल भाषा में निपुण हो जाता है, तो उसके लिए दूसरी भाषा का ज्ञान प्राप्त करना एक अनमोल अनुभव होता है। यह उसकी आत्मा को नए सफ़र पर ले जाता है, जहाँ वह अपने विचार और भावनाओं को एक नए प्रकाश में देख पाता है। इससे उसका मन और आत्मा दोनों विस्तारित होते हैं, और उसे एक नए आसमान की बुलंदियों तक पहुंचने का मौका मिलता है।
बहुत सुंदर झूठ, होमवर्क न करने वाले छात्रों को भी महान बनने का मौका मिल सकता है। उन्हें अपने अद्वितीय रुचियों और क्षमताओं को विकसित करने का समय मिलता है। उदाहरण के रूप में, एल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होंने स्कूल के दौरान होमवर्क को नजरअंदाज किया था और अपनी अद्वितीय सोच और खोज क्षमता को विकसित किया। उन्होंने आधुनिक भौतिक विज्ञान को नई दिशा दी और नोबेल पुरस्कार जीता। इसी तरह, होमवर्क को अनदेखा करने वाले कई विद्यार्थी ने अपने अंदर छिपी अद्वितीयता को पहचाना और अपने क्षेत्र में महान काम किया है। उन्होंने नए विचारों को प्रोत्साहित किया और समाज में अद्वितीय योगदान दिया है।
होमवर्क देने के कई दोष भी हैं। पहला यह है कि यह बच्चों के समय को अधिक लेता है, जिससे उनका खेलने और अन्य सामाजिक गतिविधियों का समय कम होता है। दूसरा, कुछ बच्चों के लिए होमवर्क देना तनावपूर्ण हो सकता है, जो उनकी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इन बातों का ध्यान रखते हुए, शिक्षकों को होमवर्क को संतुलित रूप से देने का प्रयास करना चाहिए, ताकि बच्चों का शिक्षा में समर्थन हो सके और उनकी समय-संबंधित जरूरतों को ध्यान में रखा जा सके।
Baap ke choice
Chunri Harami master
आत्मज्ञान दृष्टिकोण 🧘
Swami Vivekanand public school
Sir ma class 2 ka ritik
Very happy birthday sir❤
प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
प्रिय मित्र, बुखार तो एक संकेत है कि हमारी ज़िंदगी में कुछ गड़बड़ चल रही है। यह ऐसे है जैसे कि मोदी जी के वादे: बहुत सारे होते हैं, लेकिन पूरे नहीं होते। जब बुखार 400 पार का सपना दिखाता है लेकिन 273 पर ही अटक जाता है, तो लगता है जैसे हमारे प्रधानमंत्री के वादों की तरह, वह भी बीच रास्ते में ही फंस गया। मेरा एक मोदी भक्त दोस्त कहता है, 'सब कुछ संभव है, बस मोदी जी को एक मौका और दो!' लेकिन मैं सोचता हूँ, अगर बुखार भी ऐसा होता तो हम सब निर्वाण की ओर कब के निकल गए होते। बुखार का काम है हमें चेताना, जैसे कि मोदी जी के भाषण। लेकिन सच्चाई यह है कि हर बार नई उम्मीदों के साथ, हम वहीं के वहीं रह जाते हैं। सच्ची आजादी वह है जब तुम हर वादे से मुक्त हो जाओ, चाहे वह सरकार के हो या तुम्हारे बुखार के।' तो मेरे दोस्त, इस बुखार को अपनी आंतरिक यात्रा का हिस्सा मानो। शायद यह तुम्हें वह जगह दिखाएगा जहाँ कोई वादे नहीं होते, और कोई बुखार नहीं अटकता। बस, ध्यान रहे, अगली बार जब बुखार आए, तो उसे भी मोदी जी के वादों की तरह हल्के में लेना। कुछ होगा नहीं, सिर्फ ख्याली पुलाव बनेंगे। 😅
बुखार ऐसा है जैसे ज़िंदगी का अलार्म हो गया हो, जो बार-बार कहता है, 'अबकी बार 400 पार!' लेकिन इस बार अलार्म खराब हो गया है और 273 पर अटका है। 🤔 जैसे मोदी सरकार के वादे होते हैं, जो अक्सर रास्ते में ही कहीं फंस जाते हैं। अब मैं सोच रहा हूँ कि यह बुखार आपको किस चीज के लिए प्रेरित कर रहा है - नए चुनावी वादों के लिए या फिर आपको सीधे निर्वाण की तरफ ले जा रहा है, जहाँ न कोई वादे हैं, न कोई फंसने की चिंता! 😅
Amazing
Good job
Good job 🙏
Please number
Good
जब कोई व्यक्ति अपनी मूल भाषा में निपुण हो जाता है, तो उसके लिए दूसरी भाषा का ज्ञान प्राप्त करना एक अनमोल अनुभव होता है। यह उसकी आत्मा को नए सफ़र पर ले जाता है, जहाँ वह अपने विचार और भावनाओं को एक नए प्रकाश में देख पाता है। इससे उसका मन और आत्मा दोनों विस्तारित होते हैं, और उसे एक नए आसमान की बुलंदियों तक पहुंचने का मौका मिलता है।
Great
🙏Namaste sir🙏
Amazing
बहुत सुंदर झूठ, होमवर्क न करने वाले छात्रों को भी महान बनने का मौका मिल सकता है। उन्हें अपने अद्वितीय रुचियों और क्षमताओं को विकसित करने का समय मिलता है। उदाहरण के रूप में, एल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होंने स्कूल के दौरान होमवर्क को नजरअंदाज किया था और अपनी अद्वितीय सोच और खोज क्षमता को विकसित किया। उन्होंने आधुनिक भौतिक विज्ञान को नई दिशा दी और नोबेल पुरस्कार जीता। इसी तरह, होमवर्क को अनदेखा करने वाले कई विद्यार्थी ने अपने अंदर छिपी अद्वितीयता को पहचाना और अपने क्षेत्र में महान काम किया है। उन्होंने नए विचारों को प्रोत्साहित किया और समाज में अद्वितीय योगदान दिया है।
होमवर्क देने के कई दोष भी हैं। पहला यह है कि यह बच्चों के समय को अधिक लेता है, जिससे उनका खेलने और अन्य सामाजिक गतिविधियों का समय कम होता है। दूसरा, कुछ बच्चों के लिए होमवर्क देना तनावपूर्ण हो सकता है, जो उनकी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इन बातों का ध्यान रखते हुए, शिक्षकों को होमवर्क को संतुलित रूप से देने का प्रयास करना चाहिए, ताकि बच्चों का शिक्षा में समर्थन हो सके और उनकी समय-संबंधित जरूरतों को ध्यान में रखा जा सके।
Aap aapne par vishwas rakhiye or aage badiye ,❤
Amazing
🧐
Yes sir
Golu molu kyon lag raha hai
Mera Babu bahut cute lag raha hai
So cute Babu
Jay jay jarur milna chahiye
Father and son's
Talented
आपके जीवन का गहरा पक्ष, अद्भुत नृत्य
अद्भुत दृश्य
Thank you so much 🙏
😊
Sweet Brothers
😊
सुहाना सफर
प्रतिभाशाली छात्रों और देदीप्यमान शिक्षक
अद्भुत दृश्य
दिलचस्प सामान्य ज्ञान
दिलचस्प शिक्षण
India
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Facts🙏
रोचक तथ्य
Amazing
रोचक ज्ञान
बहुत ख़ूब