Ramesh सीएम रमेश
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КОМЕНТАРІ

  • @Deepakonlineworld
    @Deepakonlineworld День тому

    भावभीनी श्रद्धांजलि🙏🙏

  • @TuraazSpiritual
    @TuraazSpiritual День тому

    Namo buddhay 👏👏🌄 आपका धन्यवाद, आभार आपने बहुत विस्तार से समझाया और साथ में अपने जीवन की घटनाओं का भी जिक्र किया। भौगोलिक परिस्थिति का, मनुष्य का मानसिक विकास व उसकी सामाजिक परिस्थिति का आपने बहुत अच्छा मूल्यांकन किया है। भगवान महावीर, बुद्ध के दर्शन को आपने अच्छे से समझाया। जरूर आपकी बातों से लोगों का जीवन बदलेगा और वह आत्मिक उत्थान की ओर बढ़ सकेंगे। Namo buddhay 👏👏🌄 Sabka mangal ho 👏👏🌄

  • @bhojrajmeena5500
    @bhojrajmeena5500 День тому

    Bhai sab bundi hadap ki kahna band karo ye bundi meenao ki dharti he.tabhi to bunda meena sardar ka panorama ban raha he or rajpooto ke pet me marod uth rahi he..

  • @Khushirambhatia9024
    @Khushirambhatia9024 День тому

    ❤❤❤

  • @Fjhfhfhfhdhdb
    @Fjhfhfhfhdhdb День тому

    You are right sir , gandi marte dam Tak baba sahab ka (sc st obc) virodhi raha tha.mera saval hitihaskaro se hai ki aaj ke supar star yodhao janral kasto ko chhod kar keval bhil meenao ko hi qu criminal ghosit Kia? aur shaha Suri bohara konsi jati ki gotra hai? aur congress aadivasio ko bekub banakar usi gandi ko apna icon manati hai. Hume sab pata hai.

  • @ProfessorParvezEnglishwalaKota

    Dau baar mein sun chka hun aur bahut achha laga. Maine English aur Hindi ko samananter arthon mein samajhne ki koshish kara hai. Main is episode ka English version karne ki soch raha hun. Aapka aashirvad chahiye.

  • @kavir.c.aditya1584
    @kavir.c.aditya1584 2 дні тому

    सटीक विश्लेषण

  • @bharatdosi7428
    @bharatdosi7428 2 дні тому

    महात्मा गांधी का लिखा हुआ नंदनो वॉल्यूम में दर्द है तेरी 500 पेज है हर वॉल्यूम में ऐसे में इसका अध्ययन करने के बाद ही बताया जा सकता है कि आदिवासी आंदोलन के बारे में उनके विचार क्या थे यह निश्चित ही रिसर्च का विषय है

    • @rameshchandmeena2111
      @rameshchandmeena2111 2 дні тому

      @@bharatdosi7428 वीडियो में व्यक्त विचार पर टिप्पणी की दरकार है

  • @dineshdhurvegorakhpur1310
    @dineshdhurvegorakhpur1310 3 дні тому

    जय भीम जय भारत जय गोंडवाना जय जोहार

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 3 дні тому

    आज के विश्व विद्यालय वह महाविद्यालय के शिक्षा के दौर में तअर्थ प्रोफ़ेसर की भूमिका पर सार्थक विश्लेषण डॉक्टर रमेश चंद्र मीणा जी के द्वारा होता है यह ठेके पर केंद्रित प्रोफ़ेसर की आत्मकथा है इसमें उनके इतिहास का बयान होता है साक्षात्कार की ओपचारिकता दृष्टिगोचर होती है इसे अस्थाई शिक्षकों की दशा और दिशा चित्रित होती है उनके साथ दोगला आचरण होता है साक्षात्कार के नाम पर जो दिखाओ होता है उसको प्रकट किया गया है प्रोफ़ेसर के लिए phd की उपाधि लेना अनिवार्य योगिता है प्रोफेसर रमेश चंद मीणा ने पुरातत्व आधुनिकता पर सटीक विश्लेषण किया है शिक्षकों पर अन्याय होता है तो टूटा आंदोलन करता है उसके आंदोलन से प्रभावित होकर roster प्रणाली को बैक फुट पर आता है नामवर सिंह को दिल्ली विश्वविद्यालय में नियुक्त नहीं किया जाता है हेदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित पेमुला का आत्म हत्या करना सोने पहलू बनता है इस दोसमें जातिवादी ही महत्वपूर्ण फेक्टर के रूप में प्रकट होता है जो मानवता पर गहरा कलंक है लेखक लक्ष्मण चिंतन करता है कि उच्च शिक्षा का सोने का कल कब आने वाला है विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शहरव समाज को बनाते हैं प्रोफ़ेसर रमेश चंद मीणा का वाचन पाठको में मानसिक आलोडन करता है गेस्ट फेकल्टी को बैक डोर एंटी के रूप में अपनाया जाता है guest फेकल्टी की कोई सीनियरिटी नहीं बनती है उनके पास सारी योग्यताएं होने के बावजूद उनकी अकादमी Hatya का धोर शुरू होता है आधुनिक समय में सेमेस्टर पद्धति से शिक्षण करवाना सिर्फ डिग्रियां बांटना है कलम और किताब का साथ छूटता जारा है लक्ष्मण यादव ने शिक्षक के प्रकार रूप कारण आदि बताएं हैं लक्ष्मण यादव bigdel शिक्षक के तौर पर गिने जाते हैं डॉक्टर रमेश चंद जी मीणा का अभी बात कहने का अंदाज बड़ा ही साइड आना है अनोखा है उन उनका मानना है कि प्रतिरोध की हीनता गुलामी की और संकेत करता है शिक्षा के निजीकरण का दौर हो रहा है साक्षात्कार में भी जाति का ध्यान रखा जाता है मीणा जी ने शोधार्थी के विभिन्न प्रकारों के बारे में वर्णन किया है छात्र नेताओं के विभिन्न प्रकारों के बारे में चर्चा करना लाजमी है मां का कथन professor साहब धन्यवाद मीणा जी कहते हैं कि मोची तेली सेन आदि साहब क्यों नहीं होते वाइस चांसलर को हाथी पर सवार होकर के लाना केवल दिखावा है छात्र नेताओं का कहना है कि वाइस चांसलर तो पिस्तौल नहीं लेकर टॉप लेकर के अन प्रमाणित Shikshak vichar Nahin Hota Hai डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान को बुलाया नहीं जा सकता है ते दत्त तो शिक्षक की कई पीड़ा होती है🎉🎉

  • @EshwarChandmunda
    @EshwarChandmunda 4 дні тому

    Aaj bhi to yehi hal hai, Adivasio ko nast kiya ja raha hai...

  • @IndraIndrakumar-g8j
    @IndraIndrakumar-g8j 4 дні тому

    Jay johar Jay mulnivasi

  • @maganlal5845
    @maganlal5845 4 дні тому

    बहुत ही दुःख दाय घटना उस समय हुई जब नि शस्त्र लोगों पर गोलियां चलाई निज बुद्धि सैनिकों द्वारा अत्यंत दुख है हमें अभी तक ।

  • @maneetayadav6393
    @maneetayadav6393 5 днів тому

    विचारणीय

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 7 днів тому

    डॉ रमेश चंद्र मीणा प्रोफेसर की भूमिका के लिए लिखी गई लक्ष्मण यादव की डायरी का मूल्यांकन बड़े ही शायराना अंदाज में करते हैं जिससे यह वचन श्रेष्ठ बन पड़ता है गोदान के होरी की तरह इस अ sthai प्रोफेसर की क्या भूमिका होती है इसमें बताया गया है किस तरह से लक्ष्मण यादव प्रोफेसर की भूमिका में यादगार बनते हैं उनकी यह डायरी 50000 लोगों के द्वारा खरीदे हुए पढ़ी जाती है 150 पेज की डायरी समाज का मार्गदर्शन करती है यह वह शिक्षित है जो अपने संगठन के बलबूते जाने जाते हैं यहां पर प्रगतिवाद की सोच मुखरित होती है सावित्रीबाई फुले डॉ राजेंद्र कुमार डॉक्टर नागेंद्र नागेंद्र सिंह आदि का नाम इस डायरी में आ जाना उनकी मेहनत को बयां करता है शिक्षा का एक रैगिंग से गुजरा समय मुखरित होता है तो अस्थाई शिक्षक व sudharti की भूमिका मैं समता को प्रोफेसर रमेश चंद्र मीणा ने बड़े ही bebak शैली मैं प्रस्तुत किया है आप एक आदर्श मार्गदर्शन रहे हैं इनके साथ होता सौतेला व्यवहार आपको अधिक अखरता है आप एक संवेदनशील शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्त्ता रहे हैं

  • @loveyoutamanna107
    @loveyoutamanna107 8 днів тому

    शुभ दीपावली।हार्दिक शुभकामनाएं सर।

  • @rameshchandmeena2111
    @rameshchandmeena2111 8 днів тому

    इस पुस्तक पर बोलते हुए ज्योतिबा फुले के स्थान पर गोविंद फुले निकल गया। इसे सुनते हुए ठीक कर लें। धन्यवाद बाकी पुस्तक रिव्यू सुनकर आप अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। तो अगले वीडियो में बात की जा सकेंगी। धन्यवाद

  • @loveyoutamanna107
    @loveyoutamanna107 11 днів тому

    बहुत बहुत धन्यवाद सर,इतनी अच्छी पुस्तक की जानकारी देने के लिए।बहुत जल्दी ये मेरी टेबल पर भी होगी।😊

    • @rameshchandmeena2111
      @rameshchandmeena2111 11 днів тому

      @@loveyoutamanna107 आपको अच्छा लगा और पुस्तक खरीदने की सोच रहे हो। ऐसे ही अन्य पाठक भी जुड़े इसके लिए इस वीडियो को आगे बढ़ाना आवश्यक है। धन्यवाद

    • @ramkishormali4872
      @ramkishormali4872 7 днів тому

      लक्ष्मण यादव की प्रोफेसर की डायरी का मूल्यांकन प्रोफेसर रमेश चंद मीणा के द्वारा एक अंगूठी शैली में किया जाता है आप बताते हैं कि यह पुस्तक 50000 लोगों के द्वारा खरीदी में पढ़ी गई है इस पुस्तक में करीबन 150 पेज है लक्ष्मण यादव एक चरित्र है जो अपने संघर्षों का बयान करते हैं इसमें रिफ्रेशर कोर्स के साथ की याद वो आती है इस संस्मरण में प्रतिवादी सोच बिम्बित होती है सावित्रीबाई फुले के Sangharsh को याद किया जाता है पुस्तक की भूमिका का प्रदर्शन कुछ इस कदर होता है कि दरवाजे पर दस्तक से परिंदा उड़ चला है इस डायरी में स्टाफ रूम क्लासरूम की चर्चा होती है यह विद्यालय में प्रोफेसर समाज को मार्ग निर्देशन करने का काम करते हैं आदर्श प्रोफेसर में डॉ राजेंद्र कुमार Dr Nagendra नामवर सिंह रामकिशोर आदिनाम अनायास ही स्पष्ट हो जाता है शिक्षा के प्रयासों में tadarth शिक्षकों की भूमिका का बखान होता है Shikshak ko ragging ka Samna karna Hota Hai शिक्षा के दौर में शिक्षा किस तरह से बिकी जाती है किस तरह से नियुक्तियां पहले से ही फिक्स कर दी जाती है अपनी हकीकत बयां करते हैं शिक्षकों के स्वाभिमान की भूमिका प्रकट होती है लक्ष्मण यादव asthai शिक्षक के रूप में अपने जीवन की कड़ी को जोड़ते हैं लेकिन बाद में स्थाई होने का जुनून वआशीर्वाद उन्हें मिलता है महाविद्यालय की विभिन्न समिति का जीकर इसमें होता है खेल समिति Sahitya society आदि आदि गोदान के होरी की तरह महाविद्यालय के शिक्षकों की भूमिका मुखरित होती है महाविद्यालय का अस्थाई professor और शोधार्थी के साथ होते व्यवहार की भूमिका दृष्टिगोचर होती है इनके वाचन में प्रोफेसर रमेश चंद्र मीणा की संवेदन शीलता प्रकट होती है

  • @kavir.c.aditya1584
    @kavir.c.aditya1584 15 днів тому

    नशा नाश की जड़

  • @dineshdhurvegorakhpur1310
    @dineshdhurvegorakhpur1310 18 днів тому

    ऐसा उद्योगपति जो किसी का पति नहीं सिर्फ जल जंगल जमीन को खरीदना कल कारखाने बनाकर दोहन करना..... महानता यही है कि यह गरीबों से अरबों खरबों कमाकर उसके बदले कुछ हजार लाख खर्च किए कुछ दान किए अन्यों ने खर्च दान नहीं किए

  • @rameshchandmeena2111
    @rameshchandmeena2111 20 днів тому

    मन की बात पीएम करते हैं तो एक प्रोफेसर भी कर सकते हैं। यह दूसरी बार 'म' वर्ण महल, मकान और मनोरंजन भी हैं

  • @harirammeena2300
    @harirammeena2300 22 дні тому

    सार्थक व्याख्या🎉

  • @hanumansahaibalai8678
    @hanumansahaibalai8678 22 дні тому

    उच्च कोटि की कविता पर बहुत सुंदर समीक्षात्मक व्याख्या

  • @कैलाशमनहर
    @कैलाशमनहर 22 дні тому

    बहुत धन्यवाद

  • @कैलाशमनहर
    @कैलाशमनहर Місяць тому

    बहुत धन्यवाद

  • @ProfessorParvezEnglishwalaKota
    @ProfessorParvezEnglishwalaKota Місяць тому

    Aapke achhe swasthya ki dua

  • @veerpride0868
    @veerpride0868 Місяць тому

    Sir septi ko dekhte hua aapke bacche ne helmet nhi Pena 😂 or mujhe shakal dekar lag raha hai licence bhi nhi hoga😅

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 Місяць тому

    प्रवक्ता प्रोफेसर रमेश चंद्र मीणा के सुदूर अरुणाचल प्रदेश के जंगली फुल आदिवासियों की विशेषताओं को उजागर करता है आदिवासियों की मुख्य समस्याओं की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करता है |उन्हें बाहरी लोगों से , भूख आदि से डर है |इसका नायक इन सभी समस्याओं से निजात दिलाता है| इसका नायक तानी एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ वीर हनुमान की तरह चलायमान होता है |उनकी मुख्य समस्या है कि वह शिक्षित नहीं है| स्त्रियों में डायन इत्यादि अंधविश्वास घर किए हुए हैं| तानी उनके अंधविश्वास को बचाने का प्रयत्न करता है |उनसे मुक्ति दिलाने का काम करता है| वह जंगली फूल है जिसकी खुशबू चारों तरफ फैली होती है| तानी जनजाति का कबीला है| वह अनेक कबीलों को नष्ट होने से बचाता है |नायक तनी यात्रा वीर है वह कुछ फलों में ही आने को किलोमीटर की यात्रा पूरी कर लेता है| वह उड़ता हुआ चालक है| उसकी यात्राओं की विशेषताओं का उदाहरण विभिन्न उपायों के द्वारा डॉ रमेश चंद्र जी मीणा ने बताया| आदिवासियों में एक संस्कृति है कि वह खरगोश के बदले अपनी बेटी को तक तो दे देते हैं| तानी का विवाह है तीन बार होता है |जिसमें से एक लड़की उससे प्यार करती है |नायक तानी के लिए रहने की कोई समस्या नहीं है, वह कहीं भी पहाड़ों पेड़ पर रह सकता है| उसकी कोशिशे से स्त्रियों का उद्धार होता है| वह शरीर वह मन के घावों का शमन करता है| प्रोफेसर रमेश चंद्र मीणा ने प्रेम को बहुत ही सुंदर ढंग से परिभाषित किया है |उन्होंने बताया कि प्रेम के लिए कोई बंदर नहीं होता है, प्रेम बंधन मुक्त होता है |तानी जैसे नायक एक होते हुए भी सारे कबीलों की समस्याओं का समाधान करता है|

  • @vivekshankar636
    @vivekshankar636 Місяць тому

    रामदयाल मुंडा रांची (झारखंड)के ही नहीं बल्कि भारत के जाने-माने कलावंत थे। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डा मुंडा रांची विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। महान् संगीतकार डा मुंडा एक सहृदय, शिष्ट,भद्र और शालीन प्रवृत्ति के वैसे महान् शख्सियत थे,जिनकी मिसाल दुर्लभ है। राजकीय महाविद्यालय बूंदी में डा रमेश मीणा के सौजन्य से आयोजित एक सेमिनार में इन्होंने अपनी गायकी से जो जलवा बिखेरा था,वह सचमुच अद्भुत था।मैंने अपने लाईफ में आरडी मुंडा सा महान् आदिवासी शख्सियत दूसरा नहीं देखा।

  • @ProfessorParvezEnglishwalaKota
    @ProfessorParvezEnglishwalaKota Місяць тому

    ❤ Good

  • @RamKumar-ze5td
    @RamKumar-ze5td Місяць тому

    Lelmelm

  • @achammaabraham2726
    @achammaabraham2726 Місяць тому

    बापू हमारी शान है हम भारतवासियो का अभिमान है

  • @rameshchandmeena2111
    @rameshchandmeena2111 Місяць тому

    अगले वीडियो में

  • @Butterflyk5
    @Butterflyk5 Місяць тому

    👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

  • @Butterflyk5
    @Butterflyk5 Місяць тому

    सर जी भूत नहीं दिखे क्या,,,,,

  • @Butterflyk5
    @Butterflyk5 Місяць тому

    👌🏻👌🏻👌🏻

  • @ProfessorParvezEnglishwalaKota
    @ProfessorParvezEnglishwalaKota Місяць тому

    Congrats ! Goood Spirit sir

  • @Sanjaysaini893
    @Sanjaysaini893 Місяць тому

    Congratulations sir 🎉m🎉🎉🎉i am very happy 😎😎🎉🎉💯💯

  • @birdhilalmeena3840
    @birdhilalmeena3840 Місяць тому

    सर आपकी आवाज़ सही सुनाई देती ।कर्पया माइक।मुंह के पास रहे तो ठीक रहे

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 Місяць тому

    ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना उपन्यास ब्रदर की स्थिति पर बयान करता है भौतिक वादी इस युग में वृद्ध को नाचीज वह पागल करार दिया जाता है इस उपन्यास में समाज में परिवार में वृद्धो के प्रति बदलते रवैया का पृष्ठांकन हुआ है यह उपन्यास व्यंग्य शैली में लिखा गया समाज के चिंतक व सेंसेटिव पर्सन को पागल माना जाता है आज सब बाजार के शिकंजे में आए हुए हैं बाजार के खिलाफ हुए व्यक्ति को पागल माना जाता है लेकिन पागल कौन है इसकी वास्तविकता इस उपन्यास में बताई गई है बाजार में लगातार कैद कर रहा है वास्तव में बाजार की गिरफ्तार में आया हुआ आदमी ही पागल है मध्यवर्ग की सोच बाजार को गतिमान करती है डॉ रमेश चंद्र मीणा जी की बातें आज के जन जीवन को प्रभावित करने वाली है आज के समय में जो भी रास्ता दिखाता है उसे पागल ही माना जाता है लेकिन वही सच्चा पथ प्रदर्शक होता है क्रांति दूत है प्रोफेसर रमेश चंद मीणा का समकालीन vimarsh वादी उपन्यास की तुलना इस उपन्यास से की जा सकती है जो वृद्ध की दुनिया का यथार्थ है Sadar साधुवाद

  • @Ithink.jerry__
    @Ithink.jerry__ Місяць тому

    महात्मा गांधी सत्य के पुजारी थे जो महात्मा गांधी का विरोध करते हैं वह सत्य का विरोध करतेहैं महात्मा गांधी को जानने के लिए महात्मा गांधी बनना पड़ता है महात्मा गांधी की निगाह में हिंदू मुस्लिम नहीं था वे मानवता को सर्वोपरि समझते थे महात्मा गांधी कबीर के सिद्धांत को मानने वाले थे महात्मा गांधी को जानने और मानने मे बहुत बड़ा अंतर है मानना मन से होता है और जानना ज्ञान से होता है जो ज्ञानी और विद्वान है वही महात्मा गांधी को समझ सकता है महात्मा गांधी ने देश में हो रही उन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही एक कड़ा कदम उठाया है महात्मा गांधी ने उन परिस्थितियों को भापते हुए ही क्योंकि महात्मा गांधी वसुदेव कुटुंबकम को अपने जीवन में आत्मसात करते थे मुझे पता है कि महात्मा गांधी को देश आजाद करने में जो ताकत मिली है वह ताकत उनके मन में सदैव राम नाम जपने से प्राप्त हुई है राम का नाम लेने वाला स्वयं राम का ही अनुयाई राम नाम में बहुत बड़ी ताकत होती है राम नाम की ताकत से ही उन्होंने आज असंभव कार्य किए हैं हेमराज मीणा 9928062451

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 Місяць тому

    यात्रा वृतांत व संस्मरण को कोहरे में बारिश का विश्लेषण प्रोफेसर रमेश चंद जी मीणा के वाचन मैं हुआ है इसमें डूंगरपुर बांसवाड़ा में केलवाड़ा का जिक्र होता है मैं महीने में तीनों प्रतिभागियों के साथ एक कमरे में ठहरे थे उनका पत्र वाचन होना था तीनों एसोसिएट प्रोफेसर थे दिन में जबलपुर से दुबे ओशो प्रवचन करना था वहां के मौसम का वर्णन मीणा जी ने इस कदर किया है कि लाल तीन की छत से निर्मल वर्मा का वचन होता है डलवा मोती मोती बरसात की बूंदे थी पहाड़ का आकर्षण उनको लुभा रहा था श्री उमेश कुमार जी ने इस चमत्कारिक दृश्य को अपने जेहन में आता है कोहरे में बारिश पहाड़ी जीवन का दर्शन मिलता है बकरी चरवहा का दृष्टांत रोचक बंद पड़ा है उमेश जी का साथ सुंदर लगा प्रोफेसर रमेश चंद मीणा जी के मैं में सोए और दिसंबर में उठे वाक्य में चमत्कार की सृष्टि होती है अपने यात्रा वृतांत व संस्मरण की पहचान सरल तरीके से करवाया है आपका उद्देश्य परख लेखन है इसमें शिक्षा विरोधी तत्वों का जिक्र होता है अपने प्रकृति प्रेम को अभिव्यक्त किया है इन सब बातों के साथ आपका पत्र वाचन श्रेष्ठ रहा है माल रोड यात्रा का सर्वोत्तम स्थान है जो अपने आप को भव्य बनता है यहां यहां पर वहां जाना वर्जित है यहां पर पैदल यात्री ही देखने को मिलते हैं यह प्रदूषण से रहित क्षेत्र है जो अपने आप को अनूठा बनता है संगोष्ठी में आए साथी मिथिला खगड़िया वर्धा जबलपुर इनका साथ रोचक रहा है मंदिरों को लेकर कबीर दास जी की साखी उपयुक्त प्रतीत होती है ईश्वर मंदिरों में विराजित नहीं होकर दिलों में विराजित होते हैं की सच्चाई उजागर होती है आपके प्रयास को साधुवाद

  • @EnglishbyPLNareda
    @EnglishbyPLNareda Місяць тому

    Nice knowledge sir #plnareda

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 Місяць тому

    डॉ रमेश चंद्र मीणा का 14 सितंबर 2024 हिंदी को बढ़ावा देना है बताओ सप्ताह पखवाड़ा मनाया जाता है तो यह उचित ही है हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है हिंदी का चैनल निरंतर प्रवाहमान है मेरठ में खड़ी बोली का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है पूर्वोत्तर भारत में हिंदी की श्रेष्ठ ता है संबलपुर राष्ट्रीय में अपनी भाषा का महत्व है लोकतंत्र की मजबूती के लिए हिंदी का उपयोग उपयुक्त है एक समय गुलामी का शासन था अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा में मजबूरी था रसूल हमजाटों की राजस्थान में भाषा को सर्वप्रथम बताया गया देश या बड़ा लोकतंत्र मैं अपनी भाषा आवश्यक माना गया है मां की भाषा मातृभाषा के नाम से जानी जाती है बच्चों को शिक्षा मातृ भाषा में देना ही मनोविज्ञान है वह महिला पर कविता लिखते हैं देहाती महिला जिस तरह से बात करती है बंदिश नहीं होनी चाहिए मीणा जी ने बताया कि आम जनता से हटी भाषा अनुपयुक्त है वह कहना चाहते हैं कि जिस भाषा में उसे पैदा किया है बच्चे को प्राथमिक भाषा महत्व भाषा में ही दी जानी चाहिए

  • @veerpride0868
    @veerpride0868 Місяць тому

    Sir aapka chenal jaldi hi monotaij ho ga ❤

  • @Madhyam_Marg
    @Madhyam_Marg Місяць тому

    आप पहले शिक्षामित्र थे क्या❓ कहीं की ईट कहीं का रोड़ा❓

    • @rameshchandmeena2111
      @rameshchandmeena2111 Місяць тому

      @@Madhyam_Marg आज भी और हमेशा रहूंगा।

  • @vivekshankar636
    @vivekshankar636 Місяць тому

    शानदार।

  • @Mehanatkashsanvad
    @Mehanatkashsanvad Місяць тому

  • @DrYeshukriti
    @DrYeshukriti Місяць тому

    हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सर

  • @ramkishormali4872
    @ramkishormali4872 Місяць тому

    डॉ रमेश चंद मीणा ने आदिवासी संस्कृति से जुड़ी हुई स्त्री के मनोभाव को लेखिका निर्मला पुतिन के माध्यम से स्पष्ट किया है निर्मला पुतुल की काव्य रचना इतनी दूर मत जाना वअपने घर की तलाश का भाव अपने शब्दों में अभिव्यक्त किया है लेखक रमेश चंद मीणा ने लेखिका निर्मला पुतुल के संपूर्ण जीवन को बिम्बित करते हैं निर्मला पुतुल की यह मूल कविता दृष्टिगोचर होती है अपने घर की तलाश में लेखिका आदिवासी को टोटल ती है वह खेती की मशीन एक घर हूं इस कविता से स्पष्ट होता है कि बिना स्त्री के घर घर नहीं होता एकादशी व्रत हुआ है इसमें मीना जी ने लकीर का फकीर नहीं होने का संदेश दिया है वह कहते हैं कि पुरानी गति को छोड़कर आज आधुनिक गति से जुड़े उन्होंने शिक्षा के महत्व को अभी प्रकट किया है आज का चुप रहना कल क गंगा पान है यह कविता प्रतीकात्मक रूप में उजागर होती है बुद्धनकविता काफी कुछ कह देती है आदिवासी अपने आसपास से रहना ही अधिक पसंद करते हैं एक बेटी का कहना है कि इतनी दूर मत जाना मैं गरीबी का रूप उजागर होता है वह अपनी बकरियों को नहीं भेजना चाहती है वह जंगल पहाड़ प्रकृति से दूर रहना पसंद नहीं करती है उसे आलीशान मकान दुकान व लगातार गतिशील सड़के उसको aakarshit नहीं पाती है वह कहती है कि रिश्ता बार बार नहीं होता है इसमें आदिवासी संस्कृति में नैतिकता को दशहरा गया है वह कहते हैं की निरंकुश घर में मत बहाना जहां लड़कियों के तलवारों से बातें होती है जहां यह मान्यता की पृष्ठभूमि बनती है उसे अपने क्षेत्र से अटूट प्रेम है प्रोफेसर मीना जी कहते हैं कि युवा विदेश में भटकते रहते हैं वह उसे नहीं जाना है उसे वही ब्याह ना जहां पर प्रकृति प्रेमी हो पेड़ फसलों को जाने वाला हो उसे निरक्षर के घर मत देना उसे इतनी दूरी पर ही देना जहां उसके कदम ताल पहुंच सके उसकी आवाज सुन सके उसकी दी गई मिठाई में पकवान पहुंच सके जहां आपसे मिल जाए और वह शुरू कर हो ढोल नगाड़ा की आवाज सुन सके डॉ मीना जी बताते हैं कि आदिवासियों को सामाजिक सरोकार होता है जिसे भी छोड़ना नहीं चाहते हैं लोक व्यवहार कल्याण उनके दिलों में रहता है आदिवासी सीधे साधे बोले होते हैं वह अपनी बात बड़े ही सीधे ढंग से कहते हैं उसमें कोई प्रकार दुराव व छिपाव नही होता है वह भौतिकता से कोसो दूर रहते हैं उनका जीवन सीधा सरल में प्रेरणा देने वाला है डॉ मीना जी का ज्ञान अपरिमित है सरस्वती के भंडार की बढ़ि अपूर्व बात उनके चरितार्थ से साबित होती है बहुत बहुत धन्यवाद कोटि कोटि नमन सादर मीना जी,🙏🙏😘