- 90
- 279 712
Dr. Rajesh Joshi
Приєднався 21 чер 2013
आचार्य, संस्कृत विभाग
कल्याणवृष्टि स्तोत्र Kalyanvrishty Stotra
कल्याणवृष्टिस्तोत्र स्वर - डॉ. राजेश जोशी
To Rekindle strings in our hearts this blissful Hymn is recreated using magical music effects in voice of Dr. Rajesh joshi
Music Rearrangement.
Mixing Mastering - Madhavan Soni
Jem 24 Production
Special Thanks for videos - Govind Soni
श्रीमाता त्रिपुरासुंदरी की उपासना परम्परा में रचे गए स्तोत्रों में "कल्याण वृष्टि स्तोत्र" भगवत्पाद आदिशंकराचार्य की विलक्षण रचना है। षोडशी श्रीविद्या साधना के मूलमंत्र के एक-एक अक्षर पर इसका प्रतिपादन किया गया है। कुल 16 श्लोकों में लिखा गया यह स्तोत्र अत्यंत ही करुणापूरित भाव और भाषा में निबद्ध है।
तोडी में निबद्ध स्तोत्र का महत्त्व -
भारतीय संगीतशास्त्र में राग तोडी को संगीतचिकित्सापरक राग सिद्ध किया गया है। खासकर हाई ओर लॉ ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में इस राग के प्रभाव सिद्ध किये गए हैं। विशेषकर तब जब राजराजेश्वरी त्रिपुरासुंदरी की करुणापूरित स्तुति हो और वह भी आदिशंकराचार्य की लेखनी से निसृत। तब इसका महत्त्व द्विगुणित हो जाता है। इसलिए हृदयरोगियों के लिये तो यह स्तोत्र विशेषरूप से लाभदायक है। नियमित रूप से कल्याण वृष्टि स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती और साधक वाक् कला में सिद्धि प्राप्त करते हुए दीर्घायु जीवन जीता है।
कल्याण वृष्टि स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)
1
अर्थ - हे अम्ब ! अमृत से परिपूर्ण कल्याण की वर्षा करनेवाली एवं लक्ष्मी को स्वयं वरण करनेवाली मंगलमयी दीपमाला की भाँति आपकी सेवाओं ने आपके चरण कमलों में भक्तिभाव रखनेवाले मनुष्यों के मन में क्या नहीं कर दिया ? अर्थात उनके समस्त मनोरथों को पूर्ण कर दिया।
2
अर्थ - हे जननि ! मेरी तो बस यही स्पृहा है कि परमोत्कृष्ट सुधा से परिप्लुत तथा उदीयमान अरुणवर्ण सूर्य की समता करनेवाले आपके अरुण श्रीविग्रह के संनिकट पहुँचकर आपकी वन्दनाओं के समय मेरे नेत्र अश्रुजल से परिपूर्ण हो जायें।
3
अर्थ - हे माँ ! प्रभुत्वभाव से कलुषित ब्रह्मा आदि कितने देवता हो चुके हैं जो प्रत्येक युग में प्रलय से विनष्ट हो गये हैं, किंतु एक वही व्यक्ति स्थिर सिद्धियुक्त विद्यमान रहता है, जो एक बार आपके चरणों में प्रणाम कर लेता है।
4
अर्थ - त्रिपुरसुन्दरि ! आप में भक्तिभाव रखनेवाले भक्तजन एक बार भी आपके करुणा से अंकुरित सुशोभन कटाक्ष को पाकर कामदेव सदृश सौन्दर्यशाली हो जाते हैं और त्रिभुवन में युवतियों को सम्मोहित कर लेते हैं।
5
अर्थ - त्रिकोण में निवास करनेवाली एवं तीन नेत्रों से सुशोभित माता त्रिपुरसुन्दरि ! वेद ‘ ह्रीं ‘ कार को ही आपका नाम बताते हैं। वह नाम जिनके संस्मरण में आ गया, वे भक्तजन यमदूतों के भय को त्यागकर लोकपालों के साथ नन्दनवन में क्रीडा करते हैं।
6
अर्थ - माता ! निरन्तर अमृत से परिप्लुत होने के कारण शीतल बने हुए आपके शरीर का यह अर्धभाग जिनके साथ संलग्न था, उन त्रिपुरहन्ता शंकरजी के गले में भरा हुआ हलाहल विष का वेग उनके लिये अनिष्टकारक कैसे हो सकता था।
7
अर्थ - देवि ! आपके चरण कमलों में किया हुआ प्रणाम सर्वज्ञता और सभा में वाक् चातुर्य तो उत्पन्न करता ही है, साथ ही उद्भासित मुकुट, श्वेत छत्र, दो चामर और विशाल पृथ्वी का साम्राज्य भी प्रदान करता है।
8
अर्थ - माँ त्रिपुरसुन्दरि ! मैं आपकी ही भक्ति से परिपूर्ण हूँ और आपकी ओर ही दृष्टि लगाये हुए हूँ, अतः आप मुझ अनाथ की ओर मनोरथों को पूर्ण करने में कल्पवृक्ष सदृश एवं करुणासागर स्वरुप अपने कटाक्षों से देख तो लें।
9
अर्थ - देवि ! खेद है कि अन्यान्य जन आपके अतिरिक्त अन्य साधारण देवताओं में भी मन लगाकर उनकी भक्ति करते हैं, किंतु मैं मन और वचन से आपका ही स्मरण करता हूँ, आपको ही प्रणाम करता हूँ, क्योंकि जगत में आप ही शरणदात्री हैं।
10
अर्थ - त्रिपुरसुन्दरि ! यद्यपि आपके नेत्रों के लिये देखने के बहुत से लक्ष्य वर्तमान हैं, तथापि किसी प्रकार आप मेरी ओर दृष्टि डाल दें, क्योंकि निश्चय ही मेरे समान करुणा का पात्र न कोई पैदा हुआ है, न हो रहा है और न पैदा होगा।
11
अर्थ - त्रिपुर में निवास करनेवाली माँ ! ‘ ह्रीं, ह्रीं ‘ - इस प्रकार आपके बीजमन्त्र का प्रतिदिन जप करनेवाले मनुष्यों के लिये इस जगत में क्या दुर्लभ है ? माला, किरीट और उन्मत्त गजराज से युक्त उन माननीयों की तो स्वयं मधुमती लक्ष्मी ही सेवा करती है।
12
अर्थ - कमलनयनि ! आपकी वन्दनाएँ सम्पत्ति प्रदान करनेवाली, समस्त इन्द्रियों को आनन्दित करनेवाली, साम्राज्य प्रदान करने में कुशल और पाप समूह को नष्ट करने में उद्यत रहनेवाली हैं, माता ! वे निरन्तर मुझे ही प्राप्त हों, दूसरे को नहीं।
13
अर्थ - कल्प के उपसंहार के समय ताण्डव नृत्य करने वाले खण्डपरशु देवाधिदेव परमेश्वर शंकर के लिये पाश, अंकुश, ईख का धनुष और पुष्पबाण को धारण करनेवाली आपकी वह एकमात्र मूर्ति साक्षीरूप से सुशोभित होती है।
14
अर्थ - माता ! आपका यह अर्धांग जो परम तेजोमय, अत्यधिक कुंकुम पंक से युक्त होने के कारण अरुण, चमकदार किरीट से सुशोभित, चन्द्रकला से विभूषित, अमृत से परमार्द्र और त्रिकोण के मध्य में प्रकट है, सदा शिवजी से संलग्न रहे।
15
अर्थ - कमल पर निवास करनेवाली सुन्दरि ! ‘ ह्रीं ‘ कार ही आपका धाम है, वही आपका रूप है, वही आपका नाम है और वही आपके तेज से उत्पन्न हुए आकाश आदि से क्रमशः परिणत - जगत का आदिकारण है, जो ब्रह्मा, विष्णु आदि की रचित-पालित वस्तु बनकर परम सुख देता है।
16
To Rekindle strings in our hearts this blissful Hymn is recreated using magical music effects in voice of Dr. Rajesh joshi
Music Rearrangement.
Mixing Mastering - Madhavan Soni
Jem 24 Production
Special Thanks for videos - Govind Soni
श्रीमाता त्रिपुरासुंदरी की उपासना परम्परा में रचे गए स्तोत्रों में "कल्याण वृष्टि स्तोत्र" भगवत्पाद आदिशंकराचार्य की विलक्षण रचना है। षोडशी श्रीविद्या साधना के मूलमंत्र के एक-एक अक्षर पर इसका प्रतिपादन किया गया है। कुल 16 श्लोकों में लिखा गया यह स्तोत्र अत्यंत ही करुणापूरित भाव और भाषा में निबद्ध है।
तोडी में निबद्ध स्तोत्र का महत्त्व -
भारतीय संगीतशास्त्र में राग तोडी को संगीतचिकित्सापरक राग सिद्ध किया गया है। खासकर हाई ओर लॉ ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में इस राग के प्रभाव सिद्ध किये गए हैं। विशेषकर तब जब राजराजेश्वरी त्रिपुरासुंदरी की करुणापूरित स्तुति हो और वह भी आदिशंकराचार्य की लेखनी से निसृत। तब इसका महत्त्व द्विगुणित हो जाता है। इसलिए हृदयरोगियों के लिये तो यह स्तोत्र विशेषरूप से लाभदायक है। नियमित रूप से कल्याण वृष्टि स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती और साधक वाक् कला में सिद्धि प्राप्त करते हुए दीर्घायु जीवन जीता है।
कल्याण वृष्टि स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)
1
अर्थ - हे अम्ब ! अमृत से परिपूर्ण कल्याण की वर्षा करनेवाली एवं लक्ष्मी को स्वयं वरण करनेवाली मंगलमयी दीपमाला की भाँति आपकी सेवाओं ने आपके चरण कमलों में भक्तिभाव रखनेवाले मनुष्यों के मन में क्या नहीं कर दिया ? अर्थात उनके समस्त मनोरथों को पूर्ण कर दिया।
2
अर्थ - हे जननि ! मेरी तो बस यही स्पृहा है कि परमोत्कृष्ट सुधा से परिप्लुत तथा उदीयमान अरुणवर्ण सूर्य की समता करनेवाले आपके अरुण श्रीविग्रह के संनिकट पहुँचकर आपकी वन्दनाओं के समय मेरे नेत्र अश्रुजल से परिपूर्ण हो जायें।
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अर्थ - हे माँ ! प्रभुत्वभाव से कलुषित ब्रह्मा आदि कितने देवता हो चुके हैं जो प्रत्येक युग में प्रलय से विनष्ट हो गये हैं, किंतु एक वही व्यक्ति स्थिर सिद्धियुक्त विद्यमान रहता है, जो एक बार आपके चरणों में प्रणाम कर लेता है।
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अर्थ - त्रिपुरसुन्दरि ! आप में भक्तिभाव रखनेवाले भक्तजन एक बार भी आपके करुणा से अंकुरित सुशोभन कटाक्ष को पाकर कामदेव सदृश सौन्दर्यशाली हो जाते हैं और त्रिभुवन में युवतियों को सम्मोहित कर लेते हैं।
5
अर्थ - त्रिकोण में निवास करनेवाली एवं तीन नेत्रों से सुशोभित माता त्रिपुरसुन्दरि ! वेद ‘ ह्रीं ‘ कार को ही आपका नाम बताते हैं। वह नाम जिनके संस्मरण में आ गया, वे भक्तजन यमदूतों के भय को त्यागकर लोकपालों के साथ नन्दनवन में क्रीडा करते हैं।
6
अर्थ - माता ! निरन्तर अमृत से परिप्लुत होने के कारण शीतल बने हुए आपके शरीर का यह अर्धभाग जिनके साथ संलग्न था, उन त्रिपुरहन्ता शंकरजी के गले में भरा हुआ हलाहल विष का वेग उनके लिये अनिष्टकारक कैसे हो सकता था।
7
अर्थ - देवि ! आपके चरण कमलों में किया हुआ प्रणाम सर्वज्ञता और सभा में वाक् चातुर्य तो उत्पन्न करता ही है, साथ ही उद्भासित मुकुट, श्वेत छत्र, दो चामर और विशाल पृथ्वी का साम्राज्य भी प्रदान करता है।
8
अर्थ - माँ त्रिपुरसुन्दरि ! मैं आपकी ही भक्ति से परिपूर्ण हूँ और आपकी ओर ही दृष्टि लगाये हुए हूँ, अतः आप मुझ अनाथ की ओर मनोरथों को पूर्ण करने में कल्पवृक्ष सदृश एवं करुणासागर स्वरुप अपने कटाक्षों से देख तो लें।
9
अर्थ - देवि ! खेद है कि अन्यान्य जन आपके अतिरिक्त अन्य साधारण देवताओं में भी मन लगाकर उनकी भक्ति करते हैं, किंतु मैं मन और वचन से आपका ही स्मरण करता हूँ, आपको ही प्रणाम करता हूँ, क्योंकि जगत में आप ही शरणदात्री हैं।
10
अर्थ - त्रिपुरसुन्दरि ! यद्यपि आपके नेत्रों के लिये देखने के बहुत से लक्ष्य वर्तमान हैं, तथापि किसी प्रकार आप मेरी ओर दृष्टि डाल दें, क्योंकि निश्चय ही मेरे समान करुणा का पात्र न कोई पैदा हुआ है, न हो रहा है और न पैदा होगा।
11
अर्थ - त्रिपुर में निवास करनेवाली माँ ! ‘ ह्रीं, ह्रीं ‘ - इस प्रकार आपके बीजमन्त्र का प्रतिदिन जप करनेवाले मनुष्यों के लिये इस जगत में क्या दुर्लभ है ? माला, किरीट और उन्मत्त गजराज से युक्त उन माननीयों की तो स्वयं मधुमती लक्ष्मी ही सेवा करती है।
12
अर्थ - कमलनयनि ! आपकी वन्दनाएँ सम्पत्ति प्रदान करनेवाली, समस्त इन्द्रियों को आनन्दित करनेवाली, साम्राज्य प्रदान करने में कुशल और पाप समूह को नष्ट करने में उद्यत रहनेवाली हैं, माता ! वे निरन्तर मुझे ही प्राप्त हों, दूसरे को नहीं।
13
अर्थ - कल्प के उपसंहार के समय ताण्डव नृत्य करने वाले खण्डपरशु देवाधिदेव परमेश्वर शंकर के लिये पाश, अंकुश, ईख का धनुष और पुष्पबाण को धारण करनेवाली आपकी वह एकमात्र मूर्ति साक्षीरूप से सुशोभित होती है।
14
अर्थ - माता ! आपका यह अर्धांग जो परम तेजोमय, अत्यधिक कुंकुम पंक से युक्त होने के कारण अरुण, चमकदार किरीट से सुशोभित, चन्द्रकला से विभूषित, अमृत से परमार्द्र और त्रिकोण के मध्य में प्रकट है, सदा शिवजी से संलग्न रहे।
15
अर्थ - कमल पर निवास करनेवाली सुन्दरि ! ‘ ह्रीं ‘ कार ही आपका धाम है, वही आपका रूप है, वही आपका नाम है और वही आपके तेज से उत्पन्न हुए आकाश आदि से क्रमशः परिणत - जगत का आदिकारण है, जो ब्रह्मा, विष्णु आदि की रचित-पालित वस्तु बनकर परम सुख देता है।
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जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम हैं 👏👏 जय मां त्रिपुर सुन्दरी 🙏🚩
बहुत सुंदर स्तुति गायन 🚩🚩🙏🙏
Jay Maa Tripura sundari
🙏🙏🌹🌺
बहुत ही सुन्दर ताल मेल से गाया है 🙏
अंकल जी बहुत ही अद्भुत ! माँ की कृपा आप पे और सब पे बनी रहे ! 🙏🏻🎉
अद्भुत सर जी जय माता दी🙏🙏🙏
❤adbhut
जय श्री माँ त्रिपुरे !
Jai maa bhawani❤
🙏🙏🌹🙏🙏🙏
❤❤❤
श्रीकल्याणीमाताजीकीचरणोमेकोटीकोटीप्रणाम
श्रीगुरुमहाराजकीचरणोमेकोटीकोटीप्रणाम
मनुष्य का जब देवत्व जागता है तो उसका प्रभा मंडल चहुं दिशाओं में फैलता है इस प्रभामंडल को मेरा प्रणाम बारंबार❤❤
अतिशोभनम् गुरुवे नमः
मधुर, श्रवणीय सुंदरतम प्रस्तुति🙏
@@24232968 साधुवाद आचार्य जी
अति सुन्दर प्रस्तुति ❤
Ati-Sundara Sumadhura Kanth-Swara ❤🎉 Jai Maa Saraswati ❤🎉 Jai Maa Raj Rajeshwari Lalita Tripur Sundri ❤🎉 ❤Jai Maa Rewa Narmada ❤
Jai mata ki
अद्भुत...जय माता दी 🙏🙏
❤🙏
Jai mata ki
Wonderful 🎉 The description is also commendable
Jai mata di
अद्भुत गुरुदेव 🎉 ऐसा आभास होता है की आपके माध्यम से मां हमारी प्रार्थना स्वीकार कर रही हो । आपके आरोग्य समन्वित दीर्घायुष्य की सतत कामनाओं को लिए ।। ❤❤
मधुरम् मधुरम्🎉🎉
तोडी में कहीं कोई विसंगति हुई हो तो निर्देशित करें भाई।
अद्भुत 🙏🙏
जय माता दी त्रिपुरसुंदरी🚩जय गुरुदेव
जय श्री मां जगदम्बे
श्री त्रिपुर सुंदरी नमः
Jai.Maa.Tripursundri.
Jai MAA 🙏
Bahut sundar
Thank you Rajesh ji 🙏🙏🙏🌷♥️
Pranam prabhu🐒 vandan 🌹
Bahut sundar
जय माता श्री त्रिपुर सुंदरी की
Maa kripa karo maa❤
જય માતાજી
Need to go this banswada tempal and stay few day.. Any suggestion.. And guidance..
Koti koti naman ma Tripura Sundari. Adbhuta dwani namaste 🙏
Saundry laheri saptaxari mantr or viniyog ho sake to hindi me dijie or kaise kiya jata he ye bhi bataaie 💐🙏💐
डॉक्टर साहब बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
🙏
माँ शरणम्🌷🙏❤
जय त्रिपुरसुंदरी मां 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
🌹🌹🌹🌹🚩🌿👏🌿 मला याची प्रत हवी आहे कुठे मिळेल आपण शिकवतात का तर पत्ता फोन नंबर पाठवावा
Jay shree jagannath Sumadhura voice ❤
नमः शिवाय। सादर प्रणाम। सौन्दर्य लहरी हिन्दी अनुवाद और श्री विद्या तत्व कुन्डलिनी रहस्य सहित, पुस्तक कहा पर मिलेगी? कृपया बुक डिपो का नाम एवं मोबाइल नंबर वाट्सप किजिएगा ? धन्यवाद ।