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Prof. S V S S Narayana Raju
India
Приєднався 24 лис 2011
This Channel discuss about Hindi language and literature.
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल”। - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल”। - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 57 | अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर बर बाग ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Lanka kand poem 57 written by Sant Goswamy Tulasidas.
अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर बर बाग बनाया ।।
मारुतसुत देखा सुभ आश्रम। मुनिहि बूझि जल पियाँ जाइ श्रम ॥
राच्छस कपट बेष तहँ सोहा। मायापति दूतहि चह मोहा ।।
जाइ पवनसुत नायउ माथा। लाग सो कहै राम गुन गाथा ॥
होत महा रन रावन रामहिं। जितिहहिं राम न संसय या महिं ॥
इहाँ भएँ मैं देखउँ भाई। ग्यानदृष्टि बल मोहि अधिकाई ॥
मागा जल तेहिं दीन्ह कमंडल। कह कपि नहिं अघाउँ थोरें जल ॥
सर मज्जन करि आतुर आवहु। दिच्छा देउँ ग्यान जेहिं पावहु ॥
दो० - सर पैठत कपि पद गहा मकरीं तब अकुलान।
मारी सो धरि दिब्य तनु चली गगन चढ़ि जान ॥ 57 ॥
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drnarayanaraju.blogspot.com/
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sites.google.com/view/profvnarayanaraju
अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर बर बाग बनाया ।।
मारुतसुत देखा सुभ आश्रम। मुनिहि बूझि जल पियाँ जाइ श्रम ॥
राच्छस कपट बेष तहँ सोहा। मायापति दूतहि चह मोहा ।।
जाइ पवनसुत नायउ माथा। लाग सो कहै राम गुन गाथा ॥
होत महा रन रावन रामहिं। जितिहहिं राम न संसय या महिं ॥
इहाँ भएँ मैं देखउँ भाई। ग्यानदृष्टि बल मोहि अधिकाई ॥
मागा जल तेहिं दीन्ह कमंडल। कह कपि नहिं अघाउँ थोरें जल ॥
सर मज्जन करि आतुर आवहु। दिच्छा देउँ ग्यान जेहिं पावहु ॥
दो० - सर पैठत कपि पद गहा मकरीं तब अकुलान।
मारी सो धरि दिब्य तनु चली गगन चढ़ि जान ॥ 57 ॥
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Відео
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 60, UGC NET HINDI | तब खगपति बिरंचि पहिं गयऊ। निज संदेह सुन। तुलसीदास
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 60 written by Sant Goswamy Tulasidas. तब खगपति बिरंचि पहिं गयऊ। निज संदेह सुनावत भयऊ ।। सुनि बिरंचि रामहि सिरु नावा। समुझि प्रताप प्रेम अति छावा ॥ मन महुँ करइ बिचार बिधाता। माया बस कबि कोबिद ग्याता ।। हरि माया कर अमिति प्रभावा। बिपुल बार जेहिं मोहि नचावा ॥ अग जगमय जग मम उपराजा। नहिं आचरज मोह खगराजा ॥ तब बोले बिधि गिरा सुहाई। जान...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 59, UGC NET HINDI | नाना भाँति मनहि समुझावा। प्रगट न ग्यान। तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 59 written by Sant Goswamy Tulasidas. नाना भाँति मनहि समुझावा। प्रगट न ग्यान हृदयँ भ्रम छावा ॥ खेद खिन्न मन तर्क बढ़ाई। भयउ मोहबस तुम्हरिहिं नाई ॥ ब्याकुल गयउ देवरिषि पाहीं। कहेसि जो संसय निज मन माहीं ॥ सुनि नारदहि लागि अति दाया। सुनु खग प्रबल राम कै माया ॥ जो ग्यानिन्ह कर चित अपहरई। बरिआईं बिमोह मन करई ॥ जेहिं बहु बार नचावा मोह...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 58, UGC NET HINDI | गिरिजा कहेउँ सो सब इतिहासा। मैं जेहि । तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 58 written by Sant Goswamy Tulasidas. गिरिजा कहेउँ सो सब इतिहासा। मैं जेहि समय गयउँ खग पासा ॥ अब सो कथा सुनहु जेहि हेतू । गयउ काग पहिं खग कुल केतू ॥ जब रघुनाथ कीन्हि रन क्रीड़ा। समुझत चरित होति मोहि ब्रीड़ा ॥ इंद्रजीत कर आपु बँधायो। तब नारद मुनि गरुड़ पठायो ।। बंधन काटि गयो उरगादा। उपजा हृदयँ प्रचंड बिषादा ।। प्रभु बंधन समुझत बह...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 57, UGC NET HINDI | तेहिं गिरि रुचिर बसइ खग सोई। तासु नास । तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 57 written by Sant Goswamy Tulasidas. तेहिं गिरि रुचिर बसइ खग सोई। तासु नास कल्पांत न होई ॥ माया कृत गुन दोष अनेका। मोह मनोज आदि अबिबेका ॥ रहे ब्यापि समस्त जग माहीं। तेहि गिरि निकट कबहुँ नहिं जाहीं ।। तहँ बसि हरिहि भजइ जिमि कागा। सो सुनु उमा सहित अनुरागा ।। पीपर तरु तर ध्यान सो धरई। जाप जग्य पाकरि तर करई ॥ आँब छाँह कर मानस पूजा।...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 56, UGC NET HINDI | मैं जिमि कथा सुनी भव मोचनि। सो प्रसंग । तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 56 written by Sant Goswamy Tulasidas. मैं जिमि कथा सुनी भव मोचनि। सो प्रसंग सुनु सुमुखि सुलोचनि ॥ प्रथम दच्छ गृह तव अवतारा। सती नाम तब रहा तुम्हारा ॥ दच्छ जग्य तव भा अपमाना। तुम्ह अति क्रोध तजे तब प्राना ॥ मम अनुचरन्ह कीन्ह म भंगा। जानहु तुम्ह सो सकल प्रसंगा ॥ तब अति सोच भयउ मन मोरें। दुखी भयउँ बियोग प्रिय तोरें ॥ सुंदर बन गिरि ...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 55, UGC NET HINDI | यह प्रभु चरित पवित्र सुहावा। कहहु कृपाल। तुलसीदास
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 55 written by Sant Goswamy Tulasidas. यह प्रभु चरित पवित्र सुहावा। कहहु कृपाल काग कहँ पावा ॥ तुम्ह केहि भाँति सुना मदनारी। कहहु मोहि अति कौतुक भारी ॥ गरुड़ महाग्यानी गुन रासी। हरि सेवक अति निकट निवासी ॥ तेहिं केहि हेतु काग सन जाई। सुनी कथा मुनि निकर बिहाई ॥ कहहु कवन बिधि भा संबादा। दोउ हरिभगत काग उरगादा ॥ गौरि गिरा सुनि सरल सुहा...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 54, UGC NET HINDI | नर सहस्र महँ सुनहु पुरारी। कोउ एक होइ । तुलसीदास.
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 54 written by Sant Goswamy Tulasidas. नर सहस्र महँ सुनहु पुरारी। कोउ एक होइ धर्म ब्रतधारी ॥ धर्मसील कोटिक महँ कोई। बिषय बिमु बिराग रत होई ॥ कोटि बिरक्त मध्य श्रुति कहई। सम्यक ग्यान सकृत कोउ लहई ॥ ग्यानवंत कोटिक महँ कोऊ। जीवनमुक्त सकृत जग सोऊ ॥ तिन्ह सहस्र महुँ सब सु खानी। दुर्लभ ब्रह्म लीन बिग्यानी ।। धर्मसील बिरक्त अरु ग्यानी। ...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 53, UGC NET HINDI | राम चरित जे सुनत अघाहीं। रस बिसेष जाना । तुलसीदास
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 53 written by Sant Goswamy Tulasidas. राम चरित जे सुनत अघाहीं। रस बिसेष जाना तिन्ह नाहीं ॥ जीवनमुक्त महामुनि जेऊ । हरि गुन सुनहिं निरंतर तेऊ ॥ भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा ॥ बिषइन्ह कहँ पुनि हरि गुन ग्रामा। श्रवन सुखद अरु मन अभिरामा ॥ श्रवनवंत अस को जग माहीं। जाहि न रघुपति चरित सोहाहीं ॥ ते जड़ जीव निजात्मक घ...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 52, UGC NET HINDI | गिरिजा सुनहु बिसद यह कथा। मैं सब कही मो। तुलसीदास
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 52 written by Sant Goswamy Tulasidas. गिरिजा सुनहु बिसद यह कथा। मैं सब कही मोरि मति जथा ॥ राम चरित सत कोटि अपारा। श्रुति सारदा न बरनै पारा ॥ राम अनंत अनंत गुनानी । जन्म कर्म अनंत नामानी ॥ जल सीकर महि रज गनि जाहीं। रघुपति चरित न बरनि सिराहीं। बिमल कथा हरि पद दायनी। भगति होइ सुनि अनपायनी ॥ उमा कहिउँ सब कथा सुहाई। जो भुसुंडि खगपतिह...
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 51, UGC NET HINDI | मामवलोकय पंकज लोचन। कृपा बिलोकनि सोक बि। तुलसीदास
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Uttar kand poem 51 written by Sant Goswamy Tulasidas. मामवलोकय पंकज लोचन। कृपा बिलोकनि सोक बिमोचन ।। नील तामरस स्याम काम अरि। हृदय कंज मकरंद मधुप हरि ॥ जातुधान बरूथ बल भंजन। मुनि सज्जन रंजन अघ गंजन ॥ भूसुर ससि नव बूंद बलाहक। असरन सरन दीन जन गाहक ॥ भुज बल बिपुल भार महि खंडित । खर दूषन बिराध बध पंडित ॥ रावनारि सुखरूप भूपबर । जय दसरथ कुल कुमुद सुध...
Saket, Navam Sarg 121, UGC NET HINDI | न जा उधर हे सखी, वह शिखी सुखी हो, नचे, न । मैथिलीशरण गुप्त.
Переглядів 502 години тому
This video discusses about the Saket Navam Sarg poem No 121 Written by Rashtra Kavi Sri Mythili Saran Gupt . न जा उधर हे सखी, वह शिखी सुखी हो, नचे, न संकुचित हो कहीं, मुदित लास्य-लीला रचे । बनूँ न पर विघ्न मैं, बस मुझे अबाधा यही, विराग-अनुराग में अहह! इष्ट एकान्त ही ।[121] VIEW BLOG drnarayanaraju.blogspot.com/ Website: sites.google.com/view/profvnarayanaraju
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 56 | राम चरन सरसिज उर राखी। चला प्रभंजनसुत बल ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 424 години тому
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Lanka kand poem 56 written by Sant Goswamy Tulasidas. राम चरन सरसिज उर राखी। चला प्रभंजनसुत बल भाषी ॥ उहाँ दूत एक मरमु जनावा। रावनु कालनेमि गृह आवा ॥ दसमु कहा मरमु तेहिं सुना। पुनि पुनि कालनेमि सिरु धुना ।। देखत तुम्हहि नगरु जेहिं जारा। तासु पंथ को रोकन पारा ॥ भजि रघुपति करु हित आपना। छाँड़हु नाथ मृषा जल्पना ।। नील कंज तनु सुंदर स्यामा। हृदयँ र...
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 55 | सुनु गिरिजा क्रोधानल जासू। जारइ भुवन चारिदस॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 827 годин тому
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Lanka kand poem 55 written by Sant Goswamy Tulasidas. सुनु गिरिजा क्रोधानल जासू। जारइ भुवन चारिदस आसू ॥ सक संग्राम जीति को ताही। सेवहिं सुर नर अग जग जाही ॥ यह कौतूहल जानइ सोई। जा पर कृपा राम कै होई ॥ संध्या भड़ फिरि द्वौ बाहनी। लगे सँभारन निज निज अनी ॥ ब्यापक ब्रह्म अजित भुवनेस्वर। लछिमन कहाँ बूझ करुनाकर ॥ तब लगि लै आयउ हनुमाना। अनुज देखि प्रभु...
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 54 | घायल बीर बिराजहिं कैसे। कुसुमित किंसुक के ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 489 годин тому
This video discusses about the Sri Ramcharit Manas Lanka kand poem 54 written by Sant Goswamy Tulasidas. घायल बीर बिराजहिं कैसे। कुसुमित किंसुक के तरु जैसे ॥ लछिमन मेघनाद द्वौ जोधा। भिरहिं परसपर करि अति क्रोधा ॥ एकहि एक सकइ नहिं जीती। निसिचर छल बल करइ अनीती ।।॥ क्रोधवंत तब भयउ अनंता। भंजेउ रथ सारथी तुरंता ।। नाना बिधि प्रहार कर सेषा। राच्छस भयउ प्रान अवसेषा ॥ रावन सुत निज मन अनुमाना। संकठ भयउ ह...
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 53 | छतज नयन उर बाहु बिसाला। हिमगिरि निभ तनु कछु॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 5512 годин тому
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 53 | छतज नयन उर बाहु बिसाला। हिमगिरि निभ तनु कछु॥ गोस्वामी तुलसीदास
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 52 | नभ चढ़ि बरष बिपुल अंगारा। महि ते प्रगट होहिं॥ गोस्वामीतुलसीदास
Переглядів 7214 годин тому
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 52 | नभ चढ़ि बरष बिपुल अंगारा। महि ते प्रगट होहिं॥ गोस्वामीतुलसीदास
Saket, Navam Sarg 135, UGC NET HINDI | निचोड़ पृथ्वी पर वृष्टि-पानी, सुखा विचित्रा। मैथिलीशरण गुप्त.
Saket, Navam Sarg 135, UGC NET HINDI | निचोड़ पृथ्वी पर वृष्टि-पानी, सुखा विचित्रा। मैथिलीशरण गुप्त.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 60 | तात कुसल कहु सुखनिधान की। सहित अनुज अरु ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 60 | तात कुसल कहु सुखनिधान की। सहित अनुज अरु ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 59 | परेउ मुरुछि महि लागत सायक। सुमिरत राम राम ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 59 | परेउ मुरुछि महि लागत सायक। सुमिरत राम राम ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 58 | कपि तव दरस भइउँ निष्पापा। मिटा तात मुनिबर ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 58 | कपि तव दरस भइउँ निष्पापा। मिटा तात मुनिबर ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Lanka kand 51, Sri Ram Charit Manas | देखि पवनसुत कटक बिहाला। क्रोधवंत जनु धायउ ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 6316 годин тому
Lanka kand 51, Sri Ram Charit Manas | देखि पवनसुत कटक बिहाला। क्रोधवंत जनु धायउ ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 60 | बन हित कोल किरात किसोरी। रचीं बिरंचि बिषय ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 11214 днів тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 60 | बन हित कोल किरात किसोरी। रचीं बिरंचि बिषय ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 59 | मैं पुनि पुत्रबधू प्रिय पाई। रूप रासि गुन ॥गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 7314 днів тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 59 | मैं पुनि पुत्रबधू प्रिय पाई। रूप रासि गुन ॥गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 58 | दीन्हि असीस सासु मृदु बानी। अति सुकुमारि ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 8521 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 58 | दीन्हि असीस सासु मृदु बानी। अति सुकुमारि ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 57 | देव पितर सब तुम्हहि गोसाईं। राखहुँ पलक नयन ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 8321 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 57 | देव पितर सब तुम्हहि गोसाईं। राखहुँ पलक नयन ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 56 | जौं केवल पितु आयसु ताता । तौ जनि जाहु जानि ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 7421 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 56 | जौं केवल पितु आयसु ताता । तौ जनि जाहु जानि ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 55 | राखि न सकइ न कहि सक जाहू। दुहूँ भाँति उर ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Переглядів 10821 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 55 | राखि न सकइ न कहि सक जाहू। दुहूँ भाँति उर ॥ गोस्वामी तुलसीदास.
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 54 | बचन बिनीत मधुर रघुबर के। सर सम लगे मातु उर ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 11921 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 54 | बचन बिनीत मधुर रघुबर के। सर सम लगे मातु उर ॥ गोस्वामी तुलसीदास
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 53 | तात जाउँ बलि बेगि नहाहू। जो मन भाव मधुर कछु॥ गोस्वामी तुलसीदास
Переглядів 5921 день тому
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 53 | तात जाउँ बलि बेगि नहाहू। जो मन भाव मधुर कछु॥ गोस्वामी तुलसीदास