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ब्र.राहुल जी भोपाल (क्या आप मरना नहीं चाहते?)
Приєднався 16 жов 2015
{ मैं शुद्ध चिद्रूप हूँ } (चिद्रूप रूप ही रहो)
प्र-34/हम कैसे सुखी हो/दुख दूर निराकुलता से होता है।
हम कैसे सुखी हो/दुख दूर निराकुलता से होता है।
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प्र -36/प्र.सा.गा.19/हमारा ज्ञान हमारा सुख हमारा सर्वस्व हमारे में ही है
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(हमें सुखी होने के लिए पर की आवश्यकता नहीं)
(नाम से हम रहे या भुला दे सभी तेरा नाम तो अमर कर देंगे हम)👋
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(नाम से हम रहे या भुला दे सभी तेरा नाम तो अमर कर देंगे हम)👋
प्र-32/हम किस विधि से सुखी हो सकते हैं।
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प्र-32/हम किस विधि से सुखी हो सकते हैं।
प्र-35|प्र.सा.गा-18| सभी द्रव्यों का सत लक्षण होने से उनमें उत्पाद, व्यय,ध्रोव्य तीनों होते हैं।
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प्र-35|प्र.सा.गा-18| सभी द्रव्यों का सत लक्षण होने से उनमें उत्पाद, व्यय,ध्रोव्य तीनों होते हैं।
प्र-35/प्र.सा.गा.18/वस्तु अपने उत्पाद, व्यय, ध्रोव्य स्वभाव को नहीं छोड़ती
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प्र-35/प्र.सा.गा.18/वस्तु अपने उत्पाद, व्यय, ध्रोव्य स्वभाव को नहीं छोड़ती
प्र-27| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सुख मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
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प्र-27| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सु मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
प्र-34|प्र.सा.गा.18| बदलते हुए भी ना बदलना ना बदलते हुए भी बदलना यह वस्तु का सौंदर्य है।
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प्र-34|प्र.सा.गा.18| बदलते हुए भी ना बदलना ना बदलते हुए भी बदलना यह वस्तु का सौंदर्य है।
प्र-26| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सुख मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
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प्र-26| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सु मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
प्र-33/गा.17/ प्रभु आपके सुख का ऐसा उत्पाद हुआ है कि अब कभी व्यय नहीं होगा ।
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प्र-33/गा.17/ प्रभु आपके सु का ऐसा उत्पाद हुआ है कि अब कभी व्यय नहीं होगा ।
प्र-32|प्र.सा.गा.16| हमारा सुख अत्यंत स्वाधीन पर से निरपेक्ष है।
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प्र-32|प्र.सा.गा.16| हमारा सु अत्यंत स्वाधीन पर से निरपेक्ष है।
प्र-31|गा़-16|हमें सुखी होने के लिए दूसरों की ओर देखना नहीं है हम अपने आश्रय से ही सुखी हो सकते हैं
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प्र-31|गा़-16|हमें सुखी होने के लिए दूसरों की ओर देखना नहीं है हम अपने आश्रय से ही सुखी हो सकते हैं
प्र-30/प्र.सा.गा.16/शुद्धोपयोग से होने वाली शुद्धास्वभाव की प्राप्ति अत्यंत स्वाधीन है।
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प्र-30/प्र.सा.गा.16/शुद्धोपयोग से होने वाली शुद्धास्वभाव की प्राप्ति अत्यंत स्वाधीन है।
प्र-29|प्र.सा.गा.15| शुद्धो पयोग का फल केवल ज्ञान की प्राप्ति।
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प्र-29|प्र.सा.गा.15| शुद्धो पयोग का फल केवल ज्ञान की प्राप्ति।
प्र-25| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सुख मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
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प्र-25| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सु मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
(जिस समय हमारी प्ररिणति में जो दुख है वह उससमय के विपरीत विचार से है)
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(जिस समय हमारी प्ररिणति में जो दु है वह उससमय के विपरीत विचार से है)
प्र-27|प्र.सा.गा.14| पदार्थों के ज्ञाता संयम तप युक्त वीतराग सुख दुख में समभावी श्रमण शुद्धोपयोग हैं
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प्र-27|प्र.सा.गा.14| पदार्थों के ज्ञाता संयम तप युक्त वीतराग सु दु में समभावी श्रमण शुद्धोपयोग हैं
प्र-26|गा.13|शुद्धोपयोग से सिद्ध हुआ सिद्धो कासुख अतिशयकारी,आत्मोत्पन्न,विषयातीत,अनुपम,अनन्त,अटूट है
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प्र-26|गा.13|शुद्धोपयोग से सिद्ध हुआ सिद्धो कासु अतिशयकारी,आत्मोत्पन्न,विषयातीत,अनुपम,अनन्त,अटूट है
प्र-25|प्र.सा.गा.13| आचार्यदेव शुद्धोपयोग के फल की आत्मा के प्रोत्साहन के लिए प्रशंसा करते हैं
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प्र-25|प्र.सा.गा.13| आचार्यदेव शुद्धोपयोग के फल की आत्मा के प्रोत्साहन के लिए प्रशंसा करते हैं
प्र -24/प्र.सा.गा.12| अशुभउपयोग से परिणतजीव खोटे मनुष्य नरक आदि को प्राप्त करता है।
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प्र -24/प्र.सा.गा.12| अशुभउपयोग से परिणतजीव खोटे मनुष्य नरक आदि को प्राप्त करता है।
प्र -23/प्र.सा.गा.11/शुद्धोपयोग परिणतजीव मोक्षसुख को शुभोपयोग परिणतजीव स्वर्ग सुख को प्राप्त करता है
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प्र -23/प्र.सा.गा.11/शुद्धोपयोग परिणतजीव मोक्षसु को शुभोपयोग परिणतजीव स्वर्ग सु को प्राप्त करता है
प्र-22|प्र.सा.गा.11| गुणस्थानों में भावों की स्थिति और शुभ भाव की मोक्ष मार्ग में उपयोगिता।
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प्र-22|प्र.सा.गा.11| गुणस्थानों में भावों की स्थिति और शुभ भाव की मोक्ष मार्ग में उपयोगिता।
प्र-24| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सुख मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
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प्र-24| भगवान बनने की विधि| हम किस विधि से अपने जीवन में पूर्ण सु मय दशा प्राप्त कर सकते हैं।
प्र-21/प्र.सा.गा-10/वास्तु द्रव्य,गुण,पर्याय और उत्पाद,व्यय, ध्रोव्य युक्त है।
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प्र-21/प्र.सा.गा-10/वास्तु द्रव्य,गुण,पर्याय और उत्पाद,व्यय, ध्रोव्य युक्त है।
प्र-20/प्र.सा.गा.10/द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती और पर्याय के बिना द्रव्य नहीं होता।
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प्र-20/प्र.सा.गा.10/द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती और पर्याय के बिना द्रव्य नहीं होता।
🙏🙏🙏
जिन भक्त भक्त नही भगवान ही बनेंगे
Om shanti,🙏😔
🙏🙏🙏
👏👍🙏🙏🙏
बहुत ही सुंदर चर्चा👌🙏
स्वयं का विश्वास करो
🙏🙏🙏
Jai jinendra 🙏👏🎉👍
🙏🙏🙏
Jeev Aatma
Ok guru gi
Jaisi lo hawa vaisa na hove mann ?? 😂😂
मैं आपकी बात समझ नहीं पाया आप क्या कहना चाह रहे हैं अपने कमेंट में
Jai jinendra 🎉🙏
Naman guruvar ji 🙏
Wah
🙏🙏🙏👍
👍🙏🙏
यदि भव दुखों से मुक्त होना चाहते हो तो एक बार स्वानुभव की कला सीख लो😊
यदि भव दुखों से मुक्त होना चाहते हो तो एक बार स्वानुभव की कला सीख लो😊
यदि भव दुखों से मुक्त होना चाहते हो तो एक बार स्वानुभव की कला सीख लो😊
🙏
यदि भव दुखों से मुक्त होना चाहते हो तो एक बार स्वानुभव की कला सीख लो😊
Adrniy bhaisahab ko naman 🙏
नमोस्तु गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी समयसागरजी महाराज जी विरसागरजी महाराज जी विरसागरजी संपूर्ण मुनी संघ वर्षाअशोक रोहित जैन सुस पुणे सुरज स्वाती वर्धन काव्या दुर्गे जैन निरा अपने बंड और दुर्गे परीवार के सभी सदस्य 🎉🎉🎉
🙏🙏🙏
NAMAN GURU VAR Ji
Naman guruvar ji
Ye to nya aaya hai market me fir me kiske lg ke milk pihu
जय जिनेन्द्र भैया भोपाल 🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर bhopal🙏🙏🙏
है
उत्तम
Jay jinendra
Akhilesh jain Agra
Akhilesh jain
.
बहुत ही मारमिक चर्चा 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
जय जिनेन्द्र भैया 🙏🙏🙏
Jai jinendra ji 🙏 Bhopal
बहुत ही सुंदर 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
❤
🙏🙏🙏🙏🙏
ठीक से सुनाई नहीं देता🙏🙏
wah guruji wah
(Nairobi)🙏JaiJinendra 🙏Aap ka khub khub Abhindn /Dhanyavad 🙏🙏
😊😊😊
❤
🙏🙏🏳🌈👍👌