- 142
- 1 901 914
Himalayan Highways
India
Приєднався 5 тра 2021
Himalayan highways. हिमालयन हाइवे,
प्रिय दर्शकों और प्यारे दोस्तों नमस्कार. हिमालयन हाइवे यूट्यूब चैनल का मुख्य उद्देश्य सुदूर हिमालयी क्षेत्रों की सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन शैली को एक मंच प्रदान करना है. हिमालयी पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा हर रोज अपने हौसलों से विकट परिस्थितियों का सामना करना साथ ही तमाम मुश्किलो के वावजूद अपनी जड़ों से बेपनाह मुहब्बत हर किसी को हैरान कर जाता है. हमारी कोशिश यह भी रहेगी कि, इन सुदूर क्षेत्रों में सरकारों और जनप्रतिनिधियों के विकासीय दावों की हकीकत को भी दर्शकों तक पहुंचाया जाए। हिमालयन हाइवे आपको आने वाले समय में ऐसे कई व्यक्तियों, समूहों और समाजों से भी रूबरू कराएगा जिन्होंने लोगों को ना सिर्फ प्रेरित किया है बल्कि इन सुदूर क्षेत्रों में रहकर अपनी छाप राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पटल पर दर्ज कराई है.
प्यारे दोस्तों अपना प्यार और हौसला हमेशा हिमालयन हाइवेज के साथ बनाये रखियेगा. धन्यवाद
Contact no. 8279471379
9634544417
Facebook- people/Himalayan-Highway/100063758088757
प्रिय दर्शकों और प्यारे दोस्तों नमस्कार. हिमालयन हाइवे यूट्यूब चैनल का मुख्य उद्देश्य सुदूर हिमालयी क्षेत्रों की सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन शैली को एक मंच प्रदान करना है. हिमालयी पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा हर रोज अपने हौसलों से विकट परिस्थितियों का सामना करना साथ ही तमाम मुश्किलो के वावजूद अपनी जड़ों से बेपनाह मुहब्बत हर किसी को हैरान कर जाता है. हमारी कोशिश यह भी रहेगी कि, इन सुदूर क्षेत्रों में सरकारों और जनप्रतिनिधियों के विकासीय दावों की हकीकत को भी दर्शकों तक पहुंचाया जाए। हिमालयन हाइवे आपको आने वाले समय में ऐसे कई व्यक्तियों, समूहों और समाजों से भी रूबरू कराएगा जिन्होंने लोगों को ना सिर्फ प्रेरित किया है बल्कि इन सुदूर क्षेत्रों में रहकर अपनी छाप राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पटल पर दर्ज कराई है.
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HIMALAYAN HIGHWAYS| चमोली जनपद में स्थित "गड़कोट गाँव" का सफर| बिना सड़क सब सूना | NARAYANBAGAD
@HimalayanHighways
हिमालयन हाइवेज। HIMALAYAN HIGHWAYS
ऊंचे नीचे उबड़ खाबड़ रास्तों का ये सफर आज भले ही बेहद मुश्किल नजर आता हो लेकिन यही वो रास्ते है जो अपने यादों में अतीत के संघर्ष की आँखोदेखी छुपाये हुए है.....
पहाड़ों में गांव और गांवो में मकान बिखरे नजर आते है लेकिन एक आवाज पर एक साथ एक चौक पर जमा होना यहां सदियों से चली आ रही रिवायत रही है।
भौतिकवादी दौर में जहां इंसान अकेलापन पसन्द करता है वहीं पहाड़ के गांव आज भी अपने आंगन में आये अतिथियों का स्वागत किये बिना नही रह पाते। ... स्वागत का तरीका बदला जरूर है लेकिन भाव आज भी अतिथि देवों भव वाला ही दिखता है।
संघर्ष को अपने पीठ पर लादकर आगे बढ़ने वाले ये पहाड़ के गांव और लोग अपने दुखों को किनारे करना जानते है। इसीलिए तो जब भी मौका मिले अपनी लोकसंस्कृति के खूबसूरत रंग यहां फिजा में तैरने लग जाते हैं।
नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर एपिसोड में आपका स्वागत है। काफी समय बाद आपके लिए हम एक बार फिर लेकर आये है अपने खास एपिसोड जो उत्तराखण्ड के सुदूर गांवो से आपका परिचय कराते आये है। हिमालयन हाइवेज के आज के एपिसोड में हम आज एक ऐसे ही गांव की जीवनशैली से आपका परिचय कराने जा रहे है जो बदलते दौर में भी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच से दूर है। बेहद कठिन परिस्थितियां, दुर्गम रास्ते और सड़क मार्ग से लम्बी दूरी यहां लोगों के लिए परेशानी बढ़ाती जा रही है। लोकसंस्कृति के रंगों से सरोबार इस गांव में पलायन धीरे धीरे रफ्तार भी पकड़ रहा है और आने वाले समय में यह सिलसिला तेज भी होगा। जी हां आज हम आपके लिए लेकर आए है चमोली जनपद के नारायणबगड़ ब्लॉक में स्थित एक राजस्व ग्राम गडकोट....
नारायणबगड़ विकासखण्ड से परखाल को जोड़ने वाली सड़क के सहारे आप गडकोट गांव तक पहुंच सकते है। वर्तमान समय में गडकोट राजस्व ग्राम की ग्राम पंचायत चिडिंगा तल्ला है। गडकोट गांव में रहने वाले परिवारों की संख्या दो दर्जन के आस पास है। गांव तक पहुंचने के लिए कई पैदल रास्ते है जिसे लोग अपनी सुविधा के मुताबिक इस्तेमाल करते है। मुख्य सड़क मार्ग के बाद गडकोट तक पहुंचने के लिए अभी भी कई किलोमीटर का पैदल सफर ग्रामीणों को तय करना पड़ता है।
गांव से बाजार, स्कूल कालेज जाने वाले स्थानीय लोग ओर बच्चे हर रोज घण्टो पैदल सफर करने को मजबूर है। चिडिंग गांव के इस राजस्व ग्राम में स्थानीय लोग मुख्यत खेती और पशुपालन पर निर्भर रहते आये है जिसकी झलक आज भी दिखती है। बदलते दौर के साथ ग्रामीण रोजगार और शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुबिधाओं के लिए शहरों में गए है ओर इसका असर गांव में नजर भी आता है। पारिवारिक धार्मिक आयोजनों में पूरा गांव एकजुट होकर सहभागिता करता है। पहाड़ों में हर सुख दुख में गांव के साथ रहने की परंपरा रही है और जब सफर बेहद दुर्गम हो तो यह सहभागिता ज्यादा मजबूत नजर आती है।
अपनी ग्राम सभा चिडिंगा और पड़ोसी गांवो की तरह गडकोट गांव में भी स्थानीय महिलाएं लोकसंस्कृति को लेकर काफी संजीदा नजर आती है। पहाड़ों के लोकगीत ओर लोकनृत्य आज भी गांव के बीच चौक में अपने सुर ताल से माहौल को अतीत में ले जाते है। ऐसे में गडकोट गांव में भी ये सिलसिला लगातार जारी है। पारम्परिक लोकनृत्य हो या फिर लोकगीत यहां हर आयोजन में शामिल होते है। गांव की महिलाएं अक्सर कोशिश करती है कि नई पीढ़ी को भी अपनी विरासत से जोड़ा जाय। लिहाजा महिलाओं के साथ स्थानीय लड़कियां भी लोकनृत्य में कंधे से कंधा मिलाती नजर आती है।
पहाड़ों के वर्तमान बदलते जीवन में अतीत के पीछे छूटने के जो दर्द सबसे ज्यादा नजर आता है वो बुजुर्गो की आंखों में दिखता है। किसी दौर में अपनी कड़ी मेहनत और कष्ट से भरे जीवन के बाद जिंदगी को आगे बढ़ाने वाले बुजुर्ग आज अपने कष्टो को याद कर अक्सर भावुक हो जाते है। गडकोट गांव में भी जीवन कभी आसान नही रहा लेकिन वावजूद इसके आज गांव में मकानों की संख्या बढ़ी है और खेत लहलहाते नजर आते है तो ये इन बुजुर्गो की वर्षो पहले की गई वो साधना है जिसका असर अब दिखता है।
गडकोट गांव में सबसे बड़ी समस्या सड़क मार्ग का न होना है। आज भी मामूली से मामूली जरूरत के सामान के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके साथ ही बाजार से सामान को गांव तक पहुंचाने में ढुलाई का खर्चा कीमत से कही ज्यादा देना पड़ता है। बच्चो को स्कूल जाना हो या फिर बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना अपने आप में बेहद चुनौती पूर्ण कार्य प्रतीत होता है। बच्चो की कम संख्या के चलते यहां मौजूद स्कूल बंद हो चुका है लिहाजा छोटे बच्चो को भी पढ़ाई के लिए लम्बी दूरी तय करनी होती है।
पहाड़ों में संघर्ष का रास्ता सदियों से यू ही आगे बढ़ रहा है। गडकोट गांव भी धीमे धीमे ही सही लेकिन समय से कदमताल करता नजर आता है। गांव में मकानों से लेकर जीवनशैली में आधुनिक रंग नजर आते है। बात सिर्फ एक अदद सड़क की है जिससे ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलने के साथ काफी समय बचाया जा सकता है। पहाड़ों की भौगालिक स्थितियों में सड़क कितने दिन सफर का जरिया बने कह नही सकते लेकिन खाली सड़क भी तो एक उम्मीद होती है ओर उम्मीद कई बार हौसला भी बन जाती है जिसकी जरूरत गडकोट गांव को है।
हिमालयन हाइवेज के आज के एपिसोड में इतना ही । कोशिश करेंगे कि निकट भविष्य में भी हम आपके लिए इसी तरह से अन्य गांवों से जुड़े एपिसोड दिखाते रहें। आपको हमारा कार्यक्रम कैसा लगा कृपया कमेंट कर अवश्य बताएं साथ ही हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर इस एपिसोड को शेयर अवश्य कीजियेगा।
MOB, 8279471379
हिमालयन हाइवेज। HIMALAYAN HIGHWAYS
ऊंचे नीचे उबड़ खाबड़ रास्तों का ये सफर आज भले ही बेहद मुश्किल नजर आता हो लेकिन यही वो रास्ते है जो अपने यादों में अतीत के संघर्ष की आँखोदेखी छुपाये हुए है.....
पहाड़ों में गांव और गांवो में मकान बिखरे नजर आते है लेकिन एक आवाज पर एक साथ एक चौक पर जमा होना यहां सदियों से चली आ रही रिवायत रही है।
भौतिकवादी दौर में जहां इंसान अकेलापन पसन्द करता है वहीं पहाड़ के गांव आज भी अपने आंगन में आये अतिथियों का स्वागत किये बिना नही रह पाते। ... स्वागत का तरीका बदला जरूर है लेकिन भाव आज भी अतिथि देवों भव वाला ही दिखता है।
संघर्ष को अपने पीठ पर लादकर आगे बढ़ने वाले ये पहाड़ के गांव और लोग अपने दुखों को किनारे करना जानते है। इसीलिए तो जब भी मौका मिले अपनी लोकसंस्कृति के खूबसूरत रंग यहां फिजा में तैरने लग जाते हैं।
नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर एपिसोड में आपका स्वागत है। काफी समय बाद आपके लिए हम एक बार फिर लेकर आये है अपने खास एपिसोड जो उत्तराखण्ड के सुदूर गांवो से आपका परिचय कराते आये है। हिमालयन हाइवेज के आज के एपिसोड में हम आज एक ऐसे ही गांव की जीवनशैली से आपका परिचय कराने जा रहे है जो बदलते दौर में भी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच से दूर है। बेहद कठिन परिस्थितियां, दुर्गम रास्ते और सड़क मार्ग से लम्बी दूरी यहां लोगों के लिए परेशानी बढ़ाती जा रही है। लोकसंस्कृति के रंगों से सरोबार इस गांव में पलायन धीरे धीरे रफ्तार भी पकड़ रहा है और आने वाले समय में यह सिलसिला तेज भी होगा। जी हां आज हम आपके लिए लेकर आए है चमोली जनपद के नारायणबगड़ ब्लॉक में स्थित एक राजस्व ग्राम गडकोट....
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पहाड़ों के वर्तमान बदलते जीवन में अतीत के पीछे छूटने के जो दर्द सबसे ज्यादा नजर आता है वो बुजुर्गो की आंखों में दिखता है। किसी दौर में अपनी कड़ी मेहनत और कष्ट से भरे जीवन के बाद जिंदगी को आगे बढ़ाने वाले बुजुर्ग आज अपने कष्टो को याद कर अक्सर भावुक हो जाते है। गडकोट गांव में भी जीवन कभी आसान नही रहा लेकिन वावजूद इसके आज गांव में मकानों की संख्या बढ़ी है और खेत लहलहाते नजर आते है तो ये इन बुजुर्गो की वर्षो पहले की गई वो साधना है जिसका असर अब दिखता है।
गडकोट गांव में सबसे बड़ी समस्या सड़क मार्ग का न होना है। आज भी मामूली से मामूली जरूरत के सामान के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इसके साथ ही बाजार से सामान को गांव तक पहुंचाने में ढुलाई का खर्चा कीमत से कही ज्यादा देना पड़ता है। बच्चो को स्कूल जाना हो या फिर बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना अपने आप में बेहद चुनौती पूर्ण कार्य प्रतीत होता है। बच्चो की कम संख्या के चलते यहां मौजूद स्कूल बंद हो चुका है लिहाजा छोटे बच्चो को भी पढ़ाई के लिए लम्बी दूरी तय करनी होती है।
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HIMALAYAN HIGHWAYS| नंदा लोकजात यात्रा 2022,डुंग्री गाँव में नंदा डोली,पांचवा पड़ाव | UTTARAKHAND|
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HIMALAYAN HIGHWAYS| बुटोला रावतों के गाँव "गेरुड" में नंदा जात यात्रा | NANDA JAAT YATRA UTTARAKHAN
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HIMALAYAN HIGHWAYS| बुटोला रावतों के गाँव "गेरुड" में नंदा जात यात्रा | NANDA JAAT YATRA UTTARAKHAN
HIMALAYAN HIGHWAYS| नंदा जात यात्रा "भेटी से बंगाली, गेरुड" भावुक तस्वीरें | UTTARAKHAND
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HIMALAYAN HIGHWAYS| नंदा जात यात्रा "भेटी से बंगाली, गेरुड" भावुक तस्वीरें | UTTARAKHAND
लाटू देवता के बारे मै और जानकारी दै
यह अन्नपूर्णा मठ ज्योतिर्मठ की ही अन्नपूर्णा का प्रसार है...जहां सती लोगों के मूल गांव देवढ़ोण्ड यानि डाढों के नीचे यह नरसिंह और बासुदेव मंदिर के साथ है इसी तरह सणकोट यानि प्राचीन सतीकोट की ही तरह यहां भी सती परंपरा रही होगी..यही अन्नपूर्णा शृंखला टनकपुर की पूर्णागिरी तक पहुंची. जो आज भी वहाँ सतियों की आराध्य मानी जाती है l
🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Jai latu devta ki jay🎉❤
अति सुन्दर 🎉🎉🙏🌷🌷🌷🌷🌷
बहुत रोना आया अपने मायके को देखकर तब तक तो कुछ थोड़ा बहुत बचा ही था अब तो कुछ नहीं रहा 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
जय माता दी 🙏🙏
🙏🙏
Nice video
आज आचार्य प्रशांत को सुनने की सख़्त जरूरत है ❤ Acharya Prashant - UA-cam channel 🎉
जय बद्रीविशाल जीजय हो 🙏 🙏 🙏 🙏 ❤️ सदा सदा सहाय ❤️
i love mera Nanihal
Jay Ho malyal Devta
Jai ho maliyal devta
दूध बेचना पूत बेचना के बराबर है
Sab Matta ko Hum sab Ki teraf sey Pernam
Wonderful Bahut hi Acha Gana Gaya ,Jai ho Devbhoomi ki
❤❤❤❤❤
😭😭😭😭😭
Aapke video bahut achche hain lekin aap bahut Samy koi video nahi aayi 🤔🤔🙏🙏🙏🙏
👌👌🙏🙏
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
जय माँ नन्दा जय लाटूदेता❤❤
जय हो... कुल इष्ट देवता.. दूधाधारी कृष्णावतारी नरसिंह बद्रीनाथज्यू.... तुम्हारी जयकार हो प्रभु...🕉🔱🙏♥♥♥
मैं पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र से हूँ l हमने बचपन में अपने बुजुर्गों को अपनी पारंपरिक पोशाक,बेशभूषा, आभूषणों मे देखा हुआ है और आज ये परिधान रहन सहन, संस्कृति विलुप्त सी हो चुकी है जिसे आज भी इस क्षेत्र अर्थात चमोली तहसील के लोगों ने जीवंत रखा है l अपनी इस पारंपरिक बेशभूषा, सभ्यता, पूजा पद्धत्ति आदि दृश्य आपके वीडियो के माध्यम से देखने पर दिल गदगद हो गया, जिसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद l जै हो देवभूमि उत्तराखंड की l 🙏🙏
1999❤❤🎉🎉🎉
😂😂😅
Kuch jankari chahiye thi plz cont no de skte ho aap
Naldhura ganwan walu Ko parnam
Jay Ho ladu Devta, 🙏🙏🙏🙏
जय भोलेनाथ
Jay ma nanda devi❤❤❤❤
आपका ये एपिसोड बहुत अच्छा लगा
बहुत शानदार बीडीओ बनायीं आपने. धन्यवाद आपके लिये जो उच्च हिमालय क्षेत्र के दुरस्त गॉव का लोक जीवन दिखाया।
ग्राम प्रधान लाँखी कृपया बताएँगे कि अगर मुझको आपके गॉव एक हफ्ते के लिये आयूं तो रुकने के लिये भुगतान के आधार पर व्यवस्था हो सकती है। और सबसे अच्छा मौसम कब रहता है आपके गॉव आने के लिये।
Nice
Very nice
Jai ho hm bhi jarur aayenge darsan ko
🙏🙏🙏
Nice blog
❤❤❤❤❤
जय माँ नंदा देवी!
Sundar prastuti
❤❤❤ घूनी गांव के सूर्य वंशी रावत लोग गोलू राजा के ही वंशज थे क्यों कि गोलू देवता भी सूर्य वंशी थे और ये लोग भी सूर्य वंशी है। इनका ग्रामीण कुल देवता भी गोलू राजा है और इनके कुल पुरोहित भी पांडे ब्राह्मण चंपावत के कुमाऊनी ब्राह्मण है। ये चंपावत के ही आए लोग है। अतः घूनी के रावत असली सूर्यवंशी छेतरीय वंशी गोलू के वंशज है
हर हर महादेव❤🙏🙏🙏
यहां पर गढ़ी थी...जिसमें मंदिर भी था....युद्ध में मंदिर भी ध्वस्त हुआ...पं ती ऊपर गांव का नाम है नीचे मंदिर के पास का पौराणिक नाम देवदानोंथोल ( देवदानवस्थल) है...सती लोगों के गाढ सतीकोट जिसे बाद में सतकोट और अब सणकोट कहा जाता है , से कुछ दूरी पर यह भी सतीकोट की तरह शंकराचार्य कालीन और उनके अनुयायी परमब्रह्मण महान कार्तिकेयपुरम मे साम्राज्य शासकों की स्थापना है.....
👏👏
beautiful gaw balan
Jai Maa Nanda ki Baut sundar prastuti
My village thanks for you ❤️🩹
ua-cam.com/video/1bQYEaCiUi8/v-deo.htmlsi=11HFVZvRlvZ_iRuf