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Something In Between
India
Приєднався 31 бер 2020
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अल जवाहिरी की मौत और आतंकवाद का सवाल | 2022.
पिछले रविवार को अचानक खबर आई कि अमेरिका ने एक गुप्त ऑपरेशन में आतंकी संगठन अल कायदा के मुखिया अल जवाहिरी को मार गिराया है। जवाहिरी को अफगानिस्तान में ड्रोन हमले के जरिए मारा गया। ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के बाद अमेरिका को मिली यह दूसरी बड़ी सफलता थी। हालांकि जवाहिरी की मौत की दुनिया में वैसी चर्चा नहीं हुई जैसी चर्चा लादेन के मौत से हुई थी। वह भी जब जब लादेन की मौत के बाद जवाहिरी ही अलकायदा की कमान संभाल रहे थे। अमेरिका ने भी लादेन की तरह जवाहिरी मामले में सतर्कता नहीं बरती। उसकी लाश को कब्जे में नहीं लिया। जबकि लादेन की लाश को कब्जे में ले कर उसे एक ताबूत में बंद कर समुद्र में बहा दिया गया। वह इसलिए कि अमेरिका को डर था कि उसकी लाश पर मजार बनाया जा सकता है।
बहरहाल जवाहिरी की मौत की ज्यादा चर्चा न होने के बाजवूद कई ऐसे सवाल खड़े हुए हैं जिनका जवाब ढूंढा जाना जरूरी है। सबसे अहम तथ्य यह है कि अफगानिस्तान का तालिबान शासन पहले की तरह ही अलकायदा को प्रश्रय दे रहा है। जबकि अफगानिस्तान छोडऩे से पूर्व तालिबान और अमेरिका में अलकायदा और आईएस को प्रश्रय न देने का समझौता हुआ था। मगर जवाहिरी की मौत ने साबित किया है कि अफगानिस्तान का तालिबान शासन अलकायदा को फिर से मजबूती देने में जुटा है। वह इसलिए कि जवाहिरी न सिर्फ अफगानिस्तान में रह रहा था, बल्कि उसे तालिबान का पूरा प्रश्रय प्राप्त था।
अब सवाल है कि जवाहिरी की मौत की लादेन की तरह चर्चा क्यों नहीं हुई? चर्चा इसलिए नहीं हुई कि लादेन की तुलना में जवाहिरी का व्यक्तित्व बेहद साधारण था। लादेन के बाद उसके नेतृत्व में अलकायदा लगातार कमजोर हुआ। जवाहिरी की भाषण में लादेन की तरह जिहादियों में ऊर्जा भरने वाला ओज नहीं था। मिस्र के आखों के सर्जन अल जवाहिरी किताबी कीड़ा थे। अपने ग्यारह साल के नेतृत्व में जवाहिरी अक्सर वीडियो संदेश जारी करते रहते थे। इन वीडियो संदेशों में उनके भाषण बेहद लंबे और उबाऊ होते थे। इन भाषणों में सामूहिक अपील नहीं होती थी। फिर उनके ग्यारह साल के कार्यकाल में अलकायदा कोई बड़ा आतंकी हमला करने में नाकाम रहा।
दूसरी ओर लादेन को ले कर जिहादियों में एक अजीब तरह का पागलपन था। उनके भाषण जोशीले होते थे जिन्हें हिंसक मानसिकता वाले जिहादी हाथों हाथ लेते थे। लादेन के नेतृत्व में ही इस आंतकी संगठन ने कई खौफनाक आतंकी हमलों को अंजाम दिया। इन खौफनाक आतंकी हमलों की शुरुआत साल 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी से शुरू हुई। इसके दो साल बाद इस आतंकी संगठन ने यमन के अदन बंदरगाह पर अमेरिकी युद्धपोत यूएसकोल को धूलधुरसित कर दिया। इसके बाद अलकायदा ने वह कर दिखाया जिससे एकबारगी पूरी दुनिया हिल गई। दुनिया आज भी जिसे 9/11 के नाम से जानती है।
महीनों की गुप्त योजना के बाद, अल-क़ायदा के लोगों ने अमेरिका के चार विमानों का अपहरण कर लिया। इनमें दो बोस्टन, एक वाशिंगटन डीसी और एक ने नेवार्क से कैलिफोर्निया के लिए उड़ान भरी थी। आतंकियों ने इनमें दो विमानों ने न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को निशाना बनाया। फिर अगले निशाने के रूप में अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन को नेस्तानाबूद किया। चौथा विमान जिसके जरिए अलकायदा को एक और निशाना तय करना था, उसमें यात्रियों और अपहर्ताओं के बीच भिड़त हो गई। इस भिड़ंत के कारण चौथा विमान एक खेत में गिर गया। इसी हमले के बाद पूरी दुनिया बदल गई। इसी हमले ने अमेरिका के आतंक के विरुद्ध युद्ध की नींव रखी। इसी हमले के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने अफगानिस्तान पर हमला कर इसे तालिबान से मुक्त करने के साथ अलकायदा को यहां से खदेड़ दिया।
बहरहाल जवाहिरी की मौत की भले ही व्यापक चर्चा नहीं हुई हो, मगर यह विश्व शांति के लिए एक नए खतरे का संकेत जरूर देता है। चिंता की बात यह हे कि जवाहिरी की मौत तालिबान शासन वाबले अफगानिस्तान में हुई। जवाहिरी देश की राजधानी काबुल के बेहद नजदीक एक सुरक्षित घर में रह रहा था। यह बताता है कि तालिबान शासन में एक धड़ा अलकायदा से न सिर्फ संबंध बनाए रखना चाहता है, बल्कि इसे मजबूत भी करना चाहता है। इससे यह भी साफ हुआ है कि पिछले साल अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की रुखसत ने अल कायदा की वापसी के दरवाजे खोल दिए हैं। बेशक अलकायदा कमजोर हुआ है, मगर उसके निशाने पर एशिया और अफ्रीका की ऐसे सरकारें हैं जिनके पश्चिमी देशों से बेहतर संबंध हैं। अलकायदा इन्हें इस्लाम विरोधी मान कर इन देशों में अराजकता फैलाना चाहता है।
#SomethingInBetween
#AlJawahiri
#Afghanistan
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दूसरी ओर लादेन को ले कर जिहादियों में एक अजीब तरह का पागलपन था। उनके भाषण जोशीले होते थे जिन्हें हिंसक मानसिकता वाले जिहादी हाथों हाथ लेते थे। लादेन के नेतृत्व में ही इस आंतकी संगठन ने कई खौफनाक आतंकी हमलों को अंजाम दिया। इन खौफनाक आतंकी हमलों की शुरुआत साल 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी से शुरू हुई। इसके दो साल बाद इस आतंकी संगठन ने यमन के अदन बंदरगाह पर अमेरिकी युद्धपोत यूएसकोल को धूलधुरसित कर दिया। इसके बाद अलकायदा ने वह कर दिखाया जिससे एकबारगी पूरी दुनिया हिल गई। दुनिया आज भी जिसे 9/11 के नाम से जानती है।
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बहरहाल जवाहिरी की मौत की भले ही व्यापक चर्चा नहीं हुई हो, मगर यह विश्व शांति के लिए एक नए खतरे का संकेत जरूर देता है। चिंता की बात यह हे कि जवाहिरी की मौत तालिबान शासन वाबले अफगानिस्तान में हुई। जवाहिरी देश की राजधानी काबुल के बेहद नजदीक एक सुरक्षित घर में रह रहा था। यह बताता है कि तालिबान शासन में एक धड़ा अलकायदा से न सिर्फ संबंध बनाए रखना चाहता है, बल्कि इसे मजबूत भी करना चाहता है। इससे यह भी साफ हुआ है कि पिछले साल अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की रुखसत ने अल कायदा की वापसी के दरवाजे खोल दिए हैं। बेशक अलकायदा कमजोर हुआ है, मगर उसके निशाने पर एशिया और अफ्रीका की ऐसे सरकारें हैं जिनके पश्चिमी देशों से बेहतर संबंध हैं। अलकायदा इन्हें इस्लाम विरोधी मान कर इन देशों में अराजकता फैलाना चाहता है।
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promosm 😣
Very informative video sir 👏👏
Very well said
👌👌👌👌👌 amazing content
Thanku
Very good
Good
Thanks
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Great Content
Very infomative video sir 👏👏👏👏
❤️❤️❤️❤️❤️superb
🙏🙏🙏🙏
Very informative content 👌👌👌👌
Great sir 🥰🥰🥰
Bht hi bdia Spashtikaran ...bhaia 👌
sir politicians only doing politics nothing else.
सत्ता को सत्य कभी स्वीकार्य नहीं होता | लेकिन सत्ता तब तक नहीं सोचती ज़ब तक वह विपक्ष नहीं बन जाती |
Sir, when will offline classes restart?? If not in near future please start some core subject(history &geo) classes online soon!
Sateek.........ek dam.....sahi....
Good 👍👍
But iskeliye hum( aam janta ) unse zyada responsible hai.
shub vichaar sir 🙏🙏🙏
No doubt youngsters are in Depression and suffering for their future
Good work sir
बहुत सही 👌👌👌👌
Very nice sir..keep it up!
Excellent sir ji
Oustanding thought sir
Right sir
Absolutely right ,sir 👌
Good videos watch or Sb km Price Me buy Krne ke liye zaror contct krn 03249229716واٹساپ
Very right, It should be done by every worship institution
Dirty Politics and Politician
Excellent analysis
Excellent Analysis
Must Listen and be aware with misuse Laws
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
CONCRETE POINTS RAISED STILL WE NEED DIVERCIFICATION OF CROPS INDIA IS EXPORTER OF WATER AND IMPORTER OF WATER SCARCITY IT EXPORTS RICE WHICH REQUIRES LOT OF WATER WHILE IMPORTS SOYABEAN WHICH GROWS IN WATER SCARCE AREAS.
Very good Sir🙏
Good speech sir
thank you so much sir
thank you so much sir
Bahut sundar sir.bilkul Sahi aur sateek sabdon ka prayog kiya hai.
Behtreen 👌👌
great sir how daring this episode is .u r right sir jihad is not gud for nature and human kind as well
thank you so much sir
Nicely presented. Very good.👍