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M L Suriya - Peaceful Profit Monk ध्यान धन साधक
Приєднався 25 тра 2020
श्री मिश्री लाल जी सुरिया (जो कि Peaceful Profit Monk और ध्यान-धन-साधक हैं) Here Quality Excellence Pvt. Ltd. वडोदरा के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। शिक्षा से वह मैकेनिकल इंजीनियर हैं। आप भारत सरकार (क्यूसीआई) से प्रमाणित ज़ेड मास्टर ट्रेनर हैं और ध्यान के भी मास्टर ट्रेनर हैं।
गत 30 वर्षों से उन्होने 300 से अधिक संगठनों की मदद करके उनके प्रोफ़िट को दोगुना करने में मदद की है वह भी शांति पूर्वक, धर्म व आध्यात्मिकता के साथ।
वह प्रतिदिन स्वाध्याय व ध्यान के वर्चुअल सेशनस लेते हैं। किसी को भी वह स्वाध्याय सुनकर जीवन में 4R - Rupees (सम्पति), Respect (सम्मान ), Relations (सम्बन्ध), Rest (समाधि/सामयिक) सुलभ हो जाता है। जिनवाणी के एक सूत्र होलिस्टिक-विज़न (सम्यक्-दर्शन) या गीता के “समत्वम् योग उच्यते” पर विशेष भार देते हैं क्योकि उससे उपरोक्त सभी 4 (R) आर संभव हो जाते हैं।
उन्होंने भारत सरकार के लिए एक किताब लिखी है, जिसमें वे भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान के साथ 'ज़ीरो वेस्ट, ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट' ज़ीरो माइंड को अपनाने की विधि बताते हैं।
Contact Us on: +91 94276 11171
गत 30 वर्षों से उन्होने 300 से अधिक संगठनों की मदद करके उनके प्रोफ़िट को दोगुना करने में मदद की है वह भी शांति पूर्वक, धर्म व आध्यात्मिकता के साथ।
वह प्रतिदिन स्वाध्याय व ध्यान के वर्चुअल सेशनस लेते हैं। किसी को भी वह स्वाध्याय सुनकर जीवन में 4R - Rupees (सम्पति), Respect (सम्मान ), Relations (सम्बन्ध), Rest (समाधि/सामयिक) सुलभ हो जाता है। जिनवाणी के एक सूत्र होलिस्टिक-विज़न (सम्यक्-दर्शन) या गीता के “समत्वम् योग उच्यते” पर विशेष भार देते हैं क्योकि उससे उपरोक्त सभी 4 (R) आर संभव हो जाते हैं।
उन्होंने भारत सरकार के लिए एक किताब लिखी है, जिसमें वे भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान के साथ 'ज़ीरो वेस्ट, ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट' ज़ीरो माइंड को अपनाने की विधि बताते हैं।
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तंत्र क्या है? - गीता के रहस्य - (Part-5)
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ज्ञान योग अच्छा है या कर्म योग अच्छा है?
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सनातन का क्या अर्थ है? उसमें कितने योग हैं? - गीता के रहस्य - (Part-3)
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गीता दर्शन के रहस्य - (Part-2)
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ध्यान जरूरी है तन, मन और धन के लिए
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ओशो ध्यान में तीन चरण ठाणेणम, माणेणम, झाणेणम स्पष्ट करते हुए
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ओशो ध्यान में तीन चरण ठाणेणम, माणेणम, झाणेणम स्पष्ट करते हुए (Part-2)
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9 भारतीय दर्शन कौन-कौन से हैं?
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ज्ञान योग, सांख्य योग, कर्म योग, भक्ति योग, ध्यान योग व जैन दर्शन में समन्वय
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षट वैदिक दर्शन, बुद्ध व जैन दर्शन में समन्वय
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जैन दर्शन और 9 भारतीय दर्शनों में समन्वय - गीता दर्शन - (Part-2)
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योग को कैसे समझें?
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प्रस्थान त्रयी क्या है?
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आत्मसिद्धि शास्त्र - (Part-9)
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Philosophy क्या है?
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विज्ञान भैरव तंत्र की पहली विधि को बौद्ध विधि या विपश्यना विधि क्यों बोलते है?
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विज्ञान भैरव तंत्र की पहली विधि को बौद्ध विधि या विपश्यना विधि क्यों बोलते है?
ध्यान का मूल क्या है?-विज्ञान भैरव तंत्र 112 विधियाँ अथवा विपश्यना क्या ध्यान के मूल तक ले जाती हैं
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ध्यान का मूल क्या है?-विज्ञान भैरव तंत्र 112 विधियाँ अथवा विपश्यना क्या ध्यान के मूल तक ले जाती हैं
दिगंबर जैन मुनि (नग्न जैन संत) का निर्वाण अनुभव -------------------------------------- ------------------------------------------------ दस साल पहले, मैंने एक कुएं के पास एक दिन बिताया था- दिल्ली के आसपास के प्रसिद्ध जैन संत। वह हाल ही में पश्चिमी (राजस्थान) भारत के एक महत्वपूर्ण जैन अभयारण्य, दिलवाड़ा (माउंट आबू) की यात्रा से लौटे थे। "मैंने वहां एक आदमी को देखा," उसने मुझसे कहा, "जिसने अजीब बातें कही। वह मेरी तरह एक दिगंबर (नग्न जैन संत) भिक्षु था और जैन धर्मग्रंथों का अच्छा जानकार था। लेकिन उसने ऐसा तब कहा जब उसने बड़े मंदिर के पास ध्यान लगाया एक सुबह, उसे पता चला कि सब कुछ वह ही है।" उन्होंने सोचा कि यह एक अनुभव (अनुभव) था जिसका जिक्र निग्रंथ (जैन प्रबुद्ध प्राणी) तब कर रहे होंगे जब वे उस स्थिति के बारे में बात करते हैं जिसमें तीर्थंकर खुद को पाते हैं। तब मैंने रिपोर्ट करने वाले संत को सुझाव दिया कि ऐसा, एकात्मक अनुभव वास्तव में वह नहीं है जो अत्यधिक परमाणुवादी, बहुलवादी, अलगाववादी जैन सिद्धांत सिखाता है। संत ने कुछ देर सोचा, और फिर वह एक उत्तर लेकर आए जिसका महत्व मुझे वर्षों बाद यहीं अमेरिका में तब समझ में आया जब मैंने उस निर्दोष युवा जोड़े को एलएसडी के तहत देखा।'' उन्होंने कहा, ''यदि आप उन्हें इस अनुभव के संदर्भ में पढ़ने के लिए तैयार हैं।" इसका अर्थ यह रहा होगा कि हमें अपने अनुभव को धर्मग्रंथों के संदर्भ में नहीं पढ़ना चाहिए, और कुछ इस तरह भी: "हां, जैन धर्मग्रंथ परमाणुवाद, अलगाववाद, बहुलता सिखाते हैं; लेकिन फिर वे अनेकांत और स्याद, "बहु संदर्भ" और "भी सिखाते हैं। हो सकता है"-- कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी व्यक्ति जो भी प्रस्ताव रखता है, उसे दूसरे प्रस्ताव द्वारा भी अस्वीकार किया जा सकता है।' और मेरा मानना है कि संत ने मुझे एक रहस्य बताया होगा; कि अनेकांत और स्याद भी जैन सिद्धांत का उल्लेख करते हैं, जो शून्य (एकता का अनुभव) अनुभव द्वारा सुधार योग्य या खंडन योग्य है, जिसका खंडन नहीं किया जा सकता है - यह द्वंद्वात्मकता से बच जाता है। --- अगेहनादा भारती की पुस्तक- लाइट एट द सेंटर से- पृष्ठ 72.-------From the book- Light at the Center by Agehanada Bharati-page 72. ----------------- यूनिओ मिस्टिका ---- कैवल्य चेतना का सार्वभौमीकरण. ---- जैन मुनि का उपरोक्त वर्णन एकात्मक चेतना (कैवल्य) के बारे में है जो उन्हें अपने मन में अनंतता प्राप्त कराता है। आत्मा की यह अवस्था वह है जहां वह संपूर्ण ब्रह्मांड, संपूर्ण सृष्टि और तीनों लोकों (त्रिलोकी) के साथ एकता प्राप्त करती है। यह ध्यानात्मक चेतना की सर्वोच्च अवस्था मानी जाती है। आत्मा की इस विशेष अवस्था को चेतना का सार्वभौमीकरण भी कहा जाता है। इस प्रकार की चेतना - मन की एकात्मक स्थिति भी इलेक्ट्रॉनों जैसे परमाणु कणों के ब्रह्मांडीय उलझाव के सिद्धांत को इंगित करती है। जिसे क्वान्टम इन्टेन्गलमेंट कहते हैं । परस्पर निर्भरता, परस्पर जुड़ा हुआ जोड़ने ब्रह्मांड की सभी घटनाओं का अंतर्संबंध। परमाणु कणों के उलझने की इस प्रक्रिया को भारतीय जैन शास्त्रों में कर्म उलझाव के रूप में जाना जाता है।
ध्याता ,ध्यान व ध्येय यह अवस्था जैन धर्म में परम शुक्ल ध्यान की अवस्था मानी जाती है .जहाँ द्रष्टा ,दृश्य और अवलोकन की प्रक्रिया में कोई भेद नहीं रह जाता . इस मौन चेतना के प्राप्त होने पर या जैसे जैसे साधक निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त करने लगता है तब विभिन्न एंडोक्राइन ग्लैंड्स - अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों की सक्रियता में परिवर्तन आने लगता है इसका अर्थ यही है कि मन ,देह और मस्तिष्क में बायो - फिजिओलॉजिकल बदलाव आने लगते हैं ,तब उस केवलज्ञानी की अवलोकन क्रिया टनल विजन में बदल जाती है .उदहारण के तौर पर ,जैसे की जब हम किसी दूरबीन binocular या फिर किसी कैमरे से देखते हैं तो हमारी दृष्टि का फोकस केवल उतने ही क्षेत्र पर होता है ,जितना की उस लेंस से दृश्य पटल पर आरहा है . इसी प्रकार एक परम शुक्ल ध्यान को प्राप्त साधक इस प्रकार BINOCULAR VISION को प्राप्त होता है और तब ही ऐसी स्तिथि में ध्याता ,ध्यान और ध्येय , उपासक ,उपास्य और उपासना में भेद नहीं रह जाता .उपास्य के सारे गुण उपासक में प्रवेश करने लगते हैं .ऐसी एकत्व की आध्यात्मिक अवस्था को श्री अरविंद ,चेतना कावैश्विकरण होना कहते है The Universalization of Consciousn . , ज्ञाता ,ज्ञान और ज्ञेय का एक होना ,ध्यान की इस अवस्था को पतंजलि योग सूत्र मे निर्विकल्प ध्यान समाधि कहा गया है। इस निर्विकल्प ध्यान समाधि का विवरण एक योगी ज्योतिजी ने निम्नलिखित प्रकार से दिया। -------------------------------------------------- अचानक ज्योतिजी ( यह ज्योति जी भी बचपन में थियोसोफीकल सोसाइटी, चेन्नई में रहे थे व इन्हें भी भगवान मैत्रेय के व्हीकल के रूप में तैयार करने का प्रयास किया गया था ) ने देखा --- आसमान से एक ज्योतिर्मय अथवा प्रकाशमय पदार्थ सहसा आविर्भूत होकर उनमें प्रवेश कर गया और प्रवेश करके उनकी सत्ता मे मिल गया। इसके बाद उनमे एक अद्भुत परिवर्तन का भाव दिखाई देने लगा। एक अवर्णनीय आनन्द और उल्लास ने उनकी समग्र सत्ता को व्याप्त किया। उनकी अपनी सत्ता जिसका आश्रय लेकर वे हमेशा अपने को " मैं " के रूप मे प्रयोग करते रहे , वह मानो लुप्त हो गया। इस व्यक्तिगत ' अह्मत्व ' के लोप के साथ - साथ उनके ह्रदय में एक अद्भुत अनुभूति का आविर्भाव हुआ , जिसका वर्णन भाषा जरिये नहीं किया जा सकता। उस वक्त उनकी दृष्टि जिधर पड़ी , उधर देखने लगे , जैसे मैं ही वहाँ हूँ। पशु , पक्षी , कीट , पतंग , वृक्ष ,लता जिस किसी पदार्थ की ओर उनकी निगाहें जातीं , उसी पदार्थ को वह अपना स्वरुप समझते थे। अपना व्यक्तिगत " मैं " के तिरोहित हो जाने के बाद वह " मैं " (आत्म ) का भाव जगत की प्रत्येक वस्तु का अबलम्बन करते हुए आत्मप्रकाश करने लगा। तब वे देखने लगे जैसे एक " मैं " (आत्मा ) ही अनन्त "मैं "(आत्मा) के रूप मैं पशु , पक्षी, लता , पत्ते आदि का आकार लेकर प्रकट हुए हैं। इस प्रकार अपने को अपने अनन्त भावों मै देख पाने पर उनमे अपूर्व आनन्द का उल्लास उद्वेलित होने लगा। उस समय मंदिर मैं एक बिल्ली मौजूद थी , शायद वह बिल्ली देवता के भोग के लिए रखे दूध के आकर्षण से वहाँ आयी थी। बिल्ली की ओर दृष्टि -- निक्षेप करने के साथ ही - बिल्ली ही वे हैं , "मैं ही बिल्ली हूँ " यह अनुभूति उनमे उत्पन्न हुई। एक क्षण के लिए वे सोचने लगे की शायद यह अनुभूति उनके मस्तिष्क के विकार का फल है। यह अनुभव करते ही वे उस बिल्ली को पकड़ने के लिए बढ़े। बिल्ली को स्पर्श करने के साथ ही वे फिर बिल्ली को देख नहीं पाये। तब उन्होंने देखा कि -- वे स्वंय बिल्ली हैं। उस समय उनका मानव - देह का संस्कार कुछ समय के लिए लुप्त हो गया था। मानव - देह के साथ लगे हुए सभी भाव तब कुछ देर लिए गायब हो गये थे और इसके साथ ही बिल्ली की देह - वासना और संस्कार तथा प्रकृति - प्रवृति उनके अंतर मे जाग उठी थी। अथवा वास्तव मे - वे बिल्ली बन गये थे , केवल कल्पना से नहीं , भावना रूप मे नहीं , वास्तव रूप मे। बिल्ली के प्रकृति के अनुरूप संस्कार तथा वृति उनमे जाग उठी थी अर्थात बिल्ली को देखकर , बिल्ली को जानकार वे वास्तव मे बिल्ली बन गये थे। इसे ही ईश्वर - दर्शन कहते हैं। ईश्वर - दर्शन माने है --- आत्म - दर्शन। वस्तुओं मे अपने को देखना अर्थात मैं ही सब कुछ हूँ , इस भाव से सर्वत्र आत्म के दर्शन करना , यही ईश्वर दर्शन के सोपान हैं। --------- पुस्तक - साधु दर्शन और सत्प्रसंग -- लेखक - गोपीनाथ कविराज
Jai jinedra
@@chanchalvjain3210 जय जिनेंद्र सा
अहिंसा अगर मैं दुसरे को परिपूर्ण स्वतंत्रता दे सकूं कि न तो मैं तुम्हें दुखी करूंगा और न मैं तुम्हें सुखी करुंगा मैं तुम्हें परिपूर्ण स्वतंत्रता देता हूं तुम जो होना चाहो हो जाओ मैं कोई बाधा नहीं डालूंगा उस भावका नाम अहिंसा है सागर मल सर्राफ
Great
Bilkul sahi
Link bhejiye
Pl contact at 9824011121
Yah kab aata hai pravachan time bataen please
8.30 to 9.30 morning
Awaaz Sahi Nahin a rahi hai
🙏🙏🙏🙏🙏
अहंकार चमत्कार जो भासता है वह वास्तव धर्म नहीं मिथ्या है वासना भ्रम से हुआ है और पुरुष प्रयत्न करके नष्ट हो जाता है, न मैं हूँ, न मेरा कोई है ‘अहं’’मम’ में कुछ सार नहीं । जब अहंकार शान्त होगा तब दुःख भी कोई न रहेगा । जब ऐसी भावना का निश्चय दृढ़ होगा तब अहंकार नष्ट हो जावेगा और जब अहंकार नष्ट हुआ तब हेयोपादेय बुद्धि भी शान्त हो जावेगी और समता आदिक प्रसन्नता उदय होगी ।
आप से कैसे मिलू
Mail me your contact number @. herequality@gmail.com
Pl contact 9427611171
જય જિનેન્દ્ર શુભ સંધ્યા
@@vaishalibenshah5803 jai jinendra sa
Phone number chahiye kuch puchna hai
9824011121
सभी परमात्माओ को, सादर, जय जिनेन्द्र, नरेंद्र कुमार जैन, जयपुर,🙏🙏🙏
Thanks 🙏🙏
Past Life Regression . Is it correct? Without higher गुणस्थान
Picture is not clear
Pl contact 94276111171
I want joining
Pl share your cell number on 9427611121
Bhut sunder charcha
धन्यवाद
Bhut sunder charcha
@@ushasogani1549 धन्यवाद
@@ushasogani1549 आप अपना नंबर अपर नंबर पर भेज दे आपको ग्रुप में ऐड कर देंगे
जय जिनेन्द्र हम आपसे कैसे गुरप जुड़े भाई साहब जी कृपा करे हमे भी ज्ञान कि बहुत इच्छा है कृपा करे मुझे एड what's group m
Aapko add kar diya haib
Ekadam sahi soal science
@@Krishnapatel-tt3im thanks
Past life regression के बारेमे आपका क्या कहना है l
This is quite possible . Eg your yesterday to few years and then life is all past . Only thing lower Karnik load and more clarity you can get including past life
Superb
What is Vipassana Meditation in Jainism Context?
@@yshah84 vipasna is vishuddh विशुद्घ पश्याना . It goes as man paray gyan in Jainism context . Means seeing the ever changing thing ( Paryay )
@@peacefulprofitmonk man paryay gyan is different. Have you done Vipassana Dhyan Sadhana?
Where in chennai.
Apka whatsapp gp he kya muje add hona he 12:31
@@varshachhajed325yes we do daily dharm dhyan / meditation practice you may pl share your cell number or contact 9824011121
@@varshachhajed325 yes
प्रणाम श्रावक जी मैं जब भी ध्यान करने की कोशिश करता हु तो मुझे तो बहुत सारे छोटे छोटे पार्टिकल्स दिखाई देते है और सिर भारी हो जाता है,दो आंखो के बीच में ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है।
Pl call on this cell number 98240211121 for further guidance
@@peacefulprofitmonk प्रणाम श्रावक जी जी जरूर सा ।
जो वीतराग होता है, वो ही अरिहंत हो सकता है। हर किसी को अरिहंत नहीं बना सकते।😮
Very Good
Sir, Jai Jinendra. Please remove the Buddha image from the background in this video if you are teaching Jainism principles. It is unfortunate that people make mistakes in recognising Jain images and often use Buddha immage in place of Lord Mahaveer Image.
Thanks for your observation will ask our technical team to correct it
Where's relation with अरिहंत
Yes I agree it’s not directly clear but the roadmap स गुप्ति समिति leads to Arihant avastha. Next time will take care to be more clear
Very Good
हर हर महादेव आप को मेरा प्रणाम आप भी अवश्य
🙏🙏
जय श्री माता
Aapko arihant kehkar pukar rahe aap koi bhi pratyutar nahi de rahen yeh uchit nahi hai
@@vipinchowdhary1744 क्षमा चाहते है 🙏ध्यान रखेंगे आगे अभी तो बहुत यात्रा बाक़ी है
मुझको मुझमें देखना है मैं खुश हूं तो मेरे कारण से दु:खी हूं तो मेरे कारण से अन्य से नहीं सागर मल सर्राफ
प्रणाम ध्यान कैसे करे ? बीगनिंग से बताए श्रावकजी।
Can you please join our group daily dharm dhyan pl message me your number to 9427611171
प्लीज़ कांटैक्ट 9427611171
अति उत्तम जानकारी, सागर मल सर्राफ
Thanks
Dhyaan karne ka kya process hai?
Pl join the group share your cell number
❤❤❤🎉🎉
Kya baat jordar
Promo'SM ☺️
Annkantvad or sydvad
Yes very true
जैसे लोहे की बेड़ी बांध ती वैसे ही सोने की बेड़ी भी बांध ती वैसे ही पाप और पुण्य है , कर्ता pan ka bhav Chad kr ye janana ki mu परमात्मा छू , एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ भी कर नही सकता कर्ता pan का वजन उतार देना , बस जानना और जानना, अपने gyak स्वभाव में रमना
Yes very true
How r u sir i m Anandhi from kushalpura
Hi
बहुत ही गहराई के शब्द है जिनको समझने की जरूरत है।
Woww❤ thank you so much for this❤