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Himalaya Dharohar
India
Приєднався 23 бер 2019
इस चैनल का मुख्य उद्देश्य है हिमालय की लोकसंस्कृति के अंतर्गत मेलों, त्योहारों, लोकनृत्यों और लोकगीतों से अवगत करवाना है।
हिमालय क्षेत्र के इतिहास की कड़ियों को खोज करके सामने लाना।
पुरातात्विक महत्व के मंदिरों, मठों एवं भवनों के महत्व से परिचित करवाना।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के महत्व का वर्णन करना और अछूते पर्यटक स्थलों को सामने लाना।
ट्रैकिंग, हाईकिंग, पैराग्लाइडिंग आदि गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध करवाना।
हिमालय क्षेत्र के इतिहास की कड़ियों को खोज करके सामने लाना।
पुरातात्विक महत्व के मंदिरों, मठों एवं भवनों के महत्व से परिचित करवाना।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के महत्व का वर्णन करना और अछूते पर्यटक स्थलों को सामने लाना।
ट्रैकिंग, हाईकिंग, पैराग्लाइडिंग आदि गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध करवाना।
रघुपुर गढ़ में एक पिता ने बेटे को जिताने के लिए अपनी सेना को कैसे हरवाया?
रघुपुर गढ़ में एक पिता ने बेटे को जिताने के लिए अपनी सेना को कैसे हरवाया?#travelling #villagelife #himachalitradition #himachalisanskriti #himachal #home# ट्रैकिंग#forts of Himachal #raghupur gadh #trekking
रियासती काल में हिमाचल प्रदेश में सभी रियासतों के राजाओं ने अपने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए किलों,कोट और गढ़ों का निर्माण करवाया था। जो आज भी बहुत से ऐतिहासिक तथ्यों को समेटे हुए हैं। इनमें कुछ ही गढ़ एवं किले व्यवस्थित रूप में हैं, जबकि अधिकांश गढ़ और किले जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़े हुए पुनर्जीवन की बाट जोह रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के इन्नर सराज और बाह्य सराज की सीमा पर समुद्र तल से 10200 फुट की ऊँचाई पर स्थित है जलोड़ी जोत । यहीं से होकर ओट लुहरी सैंज राष्ट्रीय राजमार्ग 305 बना हुआ है।
जलोड़ी जोत की दाईं तरफ एक पगडंडी से होकर पैदल रास्ता बना हुआ है, जो एक चोटी तक ले जाता है। तीन किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने पर समुद्र तल से 3540 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जीर्ण शीर्ण अवस्था में एक गढ़ के अवशेष दिखाई देते हैं। यही वह ऐतिहासिक गढ़ों में गढ़ है, जिसे रघुपुर गढ़ कहते हैं।
कहते हैं कि इस गढ़ को मंडी के राजाओं ने बनवाया था। इस गढ़ पर 1719 तक मंडी के राजा का अधिकार था। 17वीं शताब्दी तक कुल्लू के राजाओं ने रूपी, सिराज और बाह्य सराज के राणा ठाकुरों को हराकर अपने राज्य का विस्तार किया। उस समय बाह्य सराज के जलोड़ी जोत सहित कुछ गांव मंडी के राजाओं के अधीन थे। मंडी के राजा ने सीमा की सुरक्षा के लिए रघुपुर में एक किले का निर्माण करके वहां अपने सैनिक तैनात कर रखे थे। इससे कुल्लू के राजा को बाह्य सराज पर शासन करने में दिक्कत होने लगी। अतः 1719 में कुल्लू के राजा राज सिंह ने रघुपुर किले पर अधिकार जमाने के लिए आक्रमण कर दिया। उसने चारों ओर से इस गढ़ को घेर लिया। ऊपर गढ़ में मंडी राजा की सेना थी और नीचे कुल्लू राजा की सेना। मंडी राजा के सिपाही कुल्लू के सैनिकों को ऊपर से पत्थर मारकर पीछे धकेल रहे थे। जिससे कुल्लू सेना के बहुत से सैनिक अपनी जान गंवा बैठे ।
कुल्लू के राजा राजसिंह के पास महाराजा कोठी के सैनिक थे जो गुरिल्ला युद्ध तथा ढींग से पत्थर फेंकने में माहिर थे।
यह भी कहा जाता है कि मंडी राजा के सैनिकों में भी ढींग से पत्थर फेंकने वाले महाराजा कोठी के ही कुछ सैनिक थे। मंडी के सैनिकों को ऊपर होने का लाभ मिल रहा था, जबकि कुल्लू के सैनिक नीचे से बिना देखे अनुमान से ही गढ़ की तरफ ढींग से पत्थर फेंक रहे थे।
दिलचस्प बात यह थी कि महाराजा कोठी से ही एक बाप मंडी के राजा की तरफ से ढींग से पत्थर फेंक रहा था, जबकि उस का बेटा कुल्लू राजा की तरफ से। मंडी सेना की तरफ से लड़ रहे बाप को लगने लगा कि कुल्लू राजा की सेना हार रही है।
बाप तो बाप होता है, बाप कभी नहीं चाहता कि बेटे की हार हो। जब कुल्लू के सैनिकों के निशाने गलत लग रहे थे, तब बाप ने एक लामन गीत के माध्यम से संदेश दिया कि यदि मैं तुम्हारी तरफ होता तो दो हाथ दाएं काटकर फेंकता। बेटा उसका संकेत समझ गया। उसने अपने साथियों को लामन में कहा गया संकेत समझा दिया। तब वे दो हाथ दाईं तरफ ढींग से पत्थर फेंकने लगे, जो मंडी के सैनिकों के सिरों पर लगने लगे। इस तरह मंडी के सभी सैनिक वहीं पर ढेर हो गए। उधर से कुल्लू के बाकी सैनिक ऊपर चढ़ गए और उन्होंने गढ़ पर कब्जा कर लिया।
इस प्रकार कुल्लू के राजा ने मंडी के राजा से रघुपुर नाम का गढ़ और आसपास के गांव अपने कब्जे में ले लिए।
प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी यह स्थान अत्यन्त रमणीय है। यहां से चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियां और हरे भरे देवदार, रई, तोस के जंगल सुहावने दिखते हैं। कुछ वर्षों से यहां पर्यटकों का आना भी जारी हो गया है। यहां पहुंची एक पर्यटक का कहना है
इस गढ़ की टूटी हुई दीवारें चार फुट चौड़ी हैं। अगर इनका जीर्णोद्धार किया जाए तो इस ऐतिहासिक गढ़ की गरिमा और भी बढ़ सकती है और यह पर्यटकों को लुभाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
रियासती काल में हिमाचल प्रदेश में सभी रियासतों के राजाओं ने अपने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए किलों,कोट और गढ़ों का निर्माण करवाया था। जो आज भी बहुत से ऐतिहासिक तथ्यों को समेटे हुए हैं। इनमें कुछ ही गढ़ एवं किले व्यवस्थित रूप में हैं, जबकि अधिकांश गढ़ और किले जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़े हुए पुनर्जीवन की बाट जोह रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के इन्नर सराज और बाह्य सराज की सीमा पर समुद्र तल से 10200 फुट की ऊँचाई पर स्थित है जलोड़ी जोत । यहीं से होकर ओट लुहरी सैंज राष्ट्रीय राजमार्ग 305 बना हुआ है।
जलोड़ी जोत की दाईं तरफ एक पगडंडी से होकर पैदल रास्ता बना हुआ है, जो एक चोटी तक ले जाता है। तीन किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने पर समुद्र तल से 3540 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जीर्ण शीर्ण अवस्था में एक गढ़ के अवशेष दिखाई देते हैं। यही वह ऐतिहासिक गढ़ों में गढ़ है, जिसे रघुपुर गढ़ कहते हैं।
कहते हैं कि इस गढ़ को मंडी के राजाओं ने बनवाया था। इस गढ़ पर 1719 तक मंडी के राजा का अधिकार था। 17वीं शताब्दी तक कुल्लू के राजाओं ने रूपी, सिराज और बाह्य सराज के राणा ठाकुरों को हराकर अपने राज्य का विस्तार किया। उस समय बाह्य सराज के जलोड़ी जोत सहित कुछ गांव मंडी के राजाओं के अधीन थे। मंडी के राजा ने सीमा की सुरक्षा के लिए रघुपुर में एक किले का निर्माण करके वहां अपने सैनिक तैनात कर रखे थे। इससे कुल्लू के राजा को बाह्य सराज पर शासन करने में दिक्कत होने लगी। अतः 1719 में कुल्लू के राजा राज सिंह ने रघुपुर किले पर अधिकार जमाने के लिए आक्रमण कर दिया। उसने चारों ओर से इस गढ़ को घेर लिया। ऊपर गढ़ में मंडी राजा की सेना थी और नीचे कुल्लू राजा की सेना। मंडी राजा के सिपाही कुल्लू के सैनिकों को ऊपर से पत्थर मारकर पीछे धकेल रहे थे। जिससे कुल्लू सेना के बहुत से सैनिक अपनी जान गंवा बैठे ।
कुल्लू के राजा राजसिंह के पास महाराजा कोठी के सैनिक थे जो गुरिल्ला युद्ध तथा ढींग से पत्थर फेंकने में माहिर थे।
यह भी कहा जाता है कि मंडी राजा के सैनिकों में भी ढींग से पत्थर फेंकने वाले महाराजा कोठी के ही कुछ सैनिक थे। मंडी के सैनिकों को ऊपर होने का लाभ मिल रहा था, जबकि कुल्लू के सैनिक नीचे से बिना देखे अनुमान से ही गढ़ की तरफ ढींग से पत्थर फेंक रहे थे।
दिलचस्प बात यह थी कि महाराजा कोठी से ही एक बाप मंडी के राजा की तरफ से ढींग से पत्थर फेंक रहा था, जबकि उस का बेटा कुल्लू राजा की तरफ से। मंडी सेना की तरफ से लड़ रहे बाप को लगने लगा कि कुल्लू राजा की सेना हार रही है।
बाप तो बाप होता है, बाप कभी नहीं चाहता कि बेटे की हार हो। जब कुल्लू के सैनिकों के निशाने गलत लग रहे थे, तब बाप ने एक लामन गीत के माध्यम से संदेश दिया कि यदि मैं तुम्हारी तरफ होता तो दो हाथ दाएं काटकर फेंकता। बेटा उसका संकेत समझ गया। उसने अपने साथियों को लामन में कहा गया संकेत समझा दिया। तब वे दो हाथ दाईं तरफ ढींग से पत्थर फेंकने लगे, जो मंडी के सैनिकों के सिरों पर लगने लगे। इस तरह मंडी के सभी सैनिक वहीं पर ढेर हो गए। उधर से कुल्लू के बाकी सैनिक ऊपर चढ़ गए और उन्होंने गढ़ पर कब्जा कर लिया।
इस प्रकार कुल्लू के राजा ने मंडी के राजा से रघुपुर नाम का गढ़ और आसपास के गांव अपने कब्जे में ले लिए।
प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी यह स्थान अत्यन्त रमणीय है। यहां से चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियां और हरे भरे देवदार, रई, तोस के जंगल सुहावने दिखते हैं। कुछ वर्षों से यहां पर्यटकों का आना भी जारी हो गया है। यहां पहुंची एक पर्यटक का कहना है
इस गढ़ की टूटी हुई दीवारें चार फुट चौड़ी हैं। अगर इनका जीर्णोद्धार किया जाए तो इस ऐतिहासिक गढ़ की गरिमा और भी बढ़ सकती है और यह पर्यटकों को लुभाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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हिमाचली टोपी क्यों प्रसिद्ध है?|| पर्यटक क्यों पसंद करते हैं हिमाचली टोपी
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#हिमाचली टोपी क्यों प्रसिद्ध है?# पर्यटक क्यों पसंद करते हैं हिमाचली टोपी#himachal #travelling #facts #fair # villagelife #kullu #कुल्लू मनाली# Costumes of Himachal #Dressess of Himachal #Dances of Himachal
क्यों बनते हैं देवी देवताओं के प्रवक्ता:गुर || देवता है तो गुर है
Переглядів 17 тис.Місяць тому
#क्यों बनते हैं देवी देवताओं के प्रवक्ता:गुर# देवता है तो गुर है#himachal #kullu #facts #villagelife #himalayas #देव संस्कृति#Gods of kullu fair and festivals #travelling #Mystry हिमाचल प्रदेश में देव परंपराओं को निभाने में जिस कारकून की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वो है गुर या चेला l जिस प्रकार गुरू अपने शिष्यों को जीवन जीने की कला सिखाते हैं, उसी तरह देवताओं के गुर भी श्रद्धालुओं की समस्याओं क...
उत्तर प्रदेश के एक गांव की सादगी|| कुशीनगर का एक गांव की झलक
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#उत्तर प्रदेश के एक गांव की सादगी #कुशीनगर का एक गांव #travelling #facts #travel #कुशीनगर #gorakhpur #गोरक्षधाम #उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है उत्तर प्रदेश। यह प्रदेश अपनी विविध संस्कृति के लिए जाना जाता है। नाथ परंपरा के गोरक्षधाम से संबंध रखने वाले योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इनके नेतृत्व में इस प्रदेश ने नए आयामों को छुआ है। गांव गांव में सड़कों का जाल बिछ गया ...
क्या ऊपरी हिमाचल में पुराने काठकुणी के घर बच पाएंगे?||काठकुणी के घरों का महत्व
Переглядів 615Місяць тому
#क्या ऊपरी हिमाचल में पुराने काठकुणी के घर बच पाएंगे?# काठकुणी के घरों का महत्व #himachal #kullu #mountains #travel #fair #indianstate #travelling #himalayas #naturesglory#House of Himachal # life with nature एक समय में हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में ऐसे घरों का निर्माण किया जाता था जो सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडे हुआ करते थे। इन घरों की दीवारें इतनी पक्की हुआ करती थीं जो छोटे मो...
देवी देवताओं के मोहरे एवं अन्य मुखौटे||मुखौटों का महत्त्व
Переглядів 2,9 тис.2 місяці тому
#देवी देवताओं के मोहरे एवं अन्य मुखौटे #मुखौटों का महत्त्व #कुल्लू #kullu #himachal #travel #travelling #mountains #indianstate #fair #naturesglory देवी देवता #himachal #कुल्लू दशहरा #himalayas वैदिक काल से ही मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया के साक्ष्य उपलब्ध होते हैं। श्री मद्भागवत में श्री कृष्ण ने उद्धव को आठ प्रकार की मूर्तियों का उल्ले किया है। हिमाचल प्रदेश की संस्कृति में भी पुराने समय से ही...
Vocal for Local Handicrafts in Kullu Dussehra|| Kullu Dussehra Local Handicrafts
Переглядів 5952 місяці тому
#Vocal for Local Handicrafts in Kullu Dussehra# Kullu Dussehra Local Handicrafts#himachal #kullu #travel #कुल्लू #travelling #mountains #indianstate #trekking#Fair and festivals #Devmala Kullu Dussehra #Raghunath Kullu वैसे तो अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा विशुद्ध रूप से देवी देवताओं के महमिलन का उत्सव है। जब यह दशहरा पहली बार यहां आरम्भ हुआ था तो उस समय कोई भी व्यापार नहीं हुआ था। लेकिन जैसे जैसे...
क्यों और कैसे बनते हैं देवी देवताओं के रथ||देवताओं के रथ
Переглядів 11 тис.2 місяці тому
#क्यों और कैसे बनते हैं देवी देवताओं के रथ# देवताओं के रथ #himachal #travel #travelling #kullu #कुल्लू #mountains#Gods of kullu#kullu Dussehra सबसे पहले ऋग्वेद में देवी देवताओं के वाहन के रूप में रथ के बारे में उल्ले मिलता है। पूरे विश्व में केवल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी क्षेत्रों में ही देवी देवताओं के रथों का प्रचलन है। जो देवलोक का साक्षात स्वरूप है। देवी देवताओं के रथ उनके ऐसे वाह...
कुल्लू मनाली आयें तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें || कुल्लू मनाली आकर क्या न करें
Переглядів 4853 місяці тому
#कुल्लू मनाली आयें तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें #कुल्लू मनाली आकर क्या न करें#kullu #travelling #himachal #indianstate #mountains #trekking #naturesglory #कुल्लू #रोहतांग #व्यास घाटी #kullu fair and festivals हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की मनाली, लग, गढ़सा, सेंज, तीर्थन घाटी में हर वर्ष लाखों पर्यटक घूमने आते हैं l यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर प्रफुल्लित होते हैं l ऊंची ऊंची बर्फ से ...
कुल्लू में सायर की सक्रांति का क्या महत्व है?||सायर की सक्रांति
Переглядів 7283 місяці тому
#कुल्लू में सायर की सक्रांति का क्या महत्व है#सायर की सक्रांति?#himachal #kullu #himalayas # kullumanali कुल्लू त्योहार #मेले त्योहार #travel #fair and festivals #kullavi culture#travel कुल्लू में सायर की सक्रांति का क्या महत्व है?हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में सायर की सक्रांति के पर्व का विशेष महत्व है l वैसे तो पूरे हिमाचल में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है l लेकिन कुल्लू में यह खास है l यह ...
स्वर्ग-नरक का निर्णय होता है धर्मराज के इस मंदिर में|| Dharamraj Temple
Переглядів 4063 місяці тому
#स्वर्ग-नरक का निर्णय होता है धर्मराज के इस मंदिर में #Only Temple of Dharamraj in India# #himachal #travelling #indianstate #mountains #naturesglory #trekking #travel #chamba #Chaurasisidh#Manimahesh#ShivShakti#Bholenath#ShivShambhu हिन्दू धर्म के अनुसार मृतक की आत्मा मरने के बाद सबसे पहले धर्मराज के दरबार में उपस्थित होती है l वहां पर चित्रगुप्त उनके कर्मों का लेखा बही देखकर, उनके लिए स्वर्ग ...
Why Bathing in Bhadon is LIFE-CHANGING
Переглядів 5604 місяці тому
#बीस भादों के स्नान का क्या महत्व है?#तीर्थ स्थल में पवित्र स्नान#travelling #kullumanali #सर सरोवर #travel #भृगु तुंग # पार्वती घाटी # shrikhand # holibath# जड़ी बूटियां # aayurved हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में देवी-देवताओं और गांव के लोगों का प्रकृति के साथ सीधा ताल मेल रहता है l श्रावण भादो मास में वर्षा का मौसम रहता है l इस बीच लोग पर्वत चोटियों पर जाकर प्रकृत्ति के साथ आत्मसात हो जाते ह...
A sacred journey to Manimahesh| Manimahesh of Lord Shiva
Переглядів 6534 місяці тому
#A sacred journey to Manimahesh# Manimahesh place of Lord Shiva#himachal #travelling #mountains #indianstate #naturesglory #trekking #travel#Chamba #yatra mani mahesh ki # शिव कैलाशौ के वासी#भोले शिव हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर उपमंडल के मणि महेश में भगवान शिव के धाम में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लालायित रहते हैं l सावन भादो मास में यहां भक्तों का आना लगा रहता है l हर वर्ष कॄष्ण जन्मा...
लोक आस्था और शौर्य का प्रतीक देउखडी नृत्य|गुर नृत्य देउखडी
Переглядів 4764 місяці тому
#लोक आस्था और शौर्य का प्रतीक देउखडी नृत्य# गुर नृत्य देउखडी #travelling #himachal #kullu #mountains#devidevta#fair and festivals#indianstate हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में बारहों महीने देवी देवताओं के मेले पर्व एवं उत्सव मनाए जाते हैं l प्रतिदिन किसी न किसी गांव में देव मन्दिर के प्रांगण में उत्सव लगे रहते हैं l नव संवत से लेकर माघ मास तक ये मेले मनाये जाते हैं l बैसा और भादों मास में विशेष ...
योगिनियां पर्वत चोटियों में क्यों रहती हैं?| वन देवी क्या योगिनियां हैं?
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बहुत सुंदर, हार्दिक शुभकामनाएं 😊
Sundar jankari❤
Jai ho
रोचक जानकारी, सुन्दर प्रस्तुति!😊🙏
दिलचस्प ।
रोचक बहुत सुन्दर।
Such an informative input 👏
🌹🙏🌹🙏🌹🙏
बहुत सुंदर। बहुत बहुत बधाई सर।
बढ़िया जानकारी 🙏
Sir, bhut hi achi bat haj ki aap Himachal /kullu ka itihas sanjo rhe hain
Jai ho Dr sahab
❤😮🙏👍🌺
रोचक जानकारी एवं सुन्दर प्रस्तुति!😊🙏
रुचिकर जानकारी
Good Work
Bahut bahut shaandar
Rohru chansal mein bhi yoginio ka vaas hai
सब कुछ मात्र दिखावा है।।
Ao kabhi haveli p 😂
maa bhagwati jogni mahamai
Nice
जय हो देवता साहब की जय......
महत्वपूर्ण तथा शानदार जानकारी ।
❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉
Jay Shri Krishna ki
Hamrey bhi 1 sey jayda gur hai lakin varisth 1 hi hai
Jai bholenath
Bahut hi badiya jankari guru ji , aannd purn
देवी देवताओं के गुर लोगों को मुर्ख बनाने के लिए बनते है जबकि सभी देवी देवता काल्पनिक यनि फर्जी है यह सब पाखंड बर्ह्माणबाद की देंन है लोगों को लूटने के लिए! संसार में कोई ईश्वर नहीं है इसको ढूंढ़ने में अपना धन और समय बर्बाद न करें गौतम बुद्ध
बहुत ही अच्छा लगा है जो कि जानकारी दी
Sir, mahasu maali ke baare mein video banaye pls
शीघ्र बनायेंगे
महादेव का रथ माता शरवरी के साथ क्यों नहीं बैठता?
avdhara se apka matlab kya hai ji
Bahut achhi jankari di hai sir. Dhanyawad.
Ache gur kese bney
Time Ke Sath Badlab Zruri Ek To Aise Jungle Bhut Jyada Hai Hmare Pas Or Rhi Bat Sheli Ki To Time Ke Sath Usme Change Aa Rha Hai
Good 🙏
भाई जी नमस्कार आपने बहुत प्यारी जानकारी दी है दिल से आपका धन्यवाद ताहे दिल से एक बा
Jai ho Malik
बहुत अच्छी जानकारी
❤
👏👏👏👏👏🎉🎉🎉
Diyari thakar ji our mahamai mandasna ki jai jai kar
Bhai aap kaha k ho
Shaandar guru ji
भाई तुम तोड़ा सा गलत बता रहे हो, जोगणिया जो पर्वतों के ऊंचाई में होती है डाकनिया और शाकिनी जो है वो तंत्र में जो दस महाविद्या होती हैं उनकी एक छोटी सी शक्ति या अंश उनकी सेविकाएं की तरह आप मान सकते हो।
अपनी अपनी सोच और समझ होती है। हम हमेशा रिसर्च करने के बाद स्क्रिप्ट लिखते हैं। आप अपनी जगह ठीक हम अपनी जगह।
Bhai ab is tarah ke Ghar nhi bn skte h, bahut khrchile or lakdi ki jarurat hogi, jo aj ke time nhi banegi 😂
Bhai kha se ho tum?
❤
Bhut sunder❤❤