बाँसलोई
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पार्ट-11, कवि-सम्पादक प्रकाश देवकुलिश, 'गाडा टोला, का लोकार्पण सह कृतिचर्चा
पार्ट-11, कवि-सम्पादक प्रकाश देवकुलिश, 'गाडा टोला, का लोकार्पण सह कृतिचर्चा
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पार्ट -10, वक्तव्य- डॉ. प्रज्ञा गुप्ता, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
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पार्ट -10, वक्तव्य- डॉ. प्रज्ञा गुप्ता, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
पार्ट-9, युवा आलोचक डॉ. सुधीर सुमन, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
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पार्ट-9, युवा आलोचक डॉ. सुधीर सुमन, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
पार्ट -6, वरिष्ठ आदिवासी साहित्यकार महादेव टोप्पो, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
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पार्ट -6, वरिष्ठ आदिवासी साहित्यकार महादेव टोप्पो, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
पार्ट-7, कहानीकार पंकज मित्र, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
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पार्ट-7, कहानीकार पंकज मित्र, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
पार्ट-4, वक्तव्य- आदिवासी विचारक डॉ. जिन्दर सिंह मुण्डा, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
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पार्ट-4, वक्तव्य- आदिवासी विचारक डॉ. जिन्दर सिंह मुण्डा, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
पार्ट-5, वक्तव्य- आलोचक रविभूषण, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
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पार्ट-5, वक्तव्य- आलोचक रविभूषण, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
पार्ट-3 वक्तव्य- आदिवासी कवयित्री डॉ. सावित्री बड़ाईक, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
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पार्ट-3 वक्तव्य- आदिवासी कवयित्री डॉ. सावित्री बड़ाईक, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
पार्ट-8,वक्तव्य- कवि विनय सौरभ, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
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पार्ट-8,वक्तव्य- कवि विनय सौरभ, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा
पार्ट-2 कथाकार रणेन्द्र स्वागत वक्तव्य, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
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पार्ट-2 कथाकार रणेन्द्र स्वागत वक्तव्य, 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
पार्ट-1, उद्घाटन 'राही डूमरचीर के प्रथम काव्य-संग्रह 'गाडा टोला' का लोकार्पण सह कृति चर्चा'
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यह कार्यक्रम डॉ. रामदयाल मुण्डा जनजातीय शोध संस्थान, राँची के सभागार में 20 दिसम्बर को आयोजित हुआ। आदिवासी रवायत के अनुसार कार्यक्रम का उद्घाटन नगाड़ा बजाकर किया गया।
Birsa ko bhulenge nahin (बिरसा को भूलेंगे नहीं)
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यह गीत मैंने लिखा है पर गाया ए आई ने है। यह गीत हमारे पुरखे शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि तो है ही साथ ही उनकी कुर्बानियों को समझने की कोशिश है, ताकि लड़ाई जारी रखी जा सके। उन सारे पुरखों-पुरखिनों को भी यह समर्पित है, जिन्होंने हर मुश्किल परिस्थिति के बावजूद लड़ाई जारी रखी, लड़ाई जारी रखे हुए हैं। गीत : बिरसा को भूलेंगे नहीं सिदो को भूलेंगे नहीं फूलो झानो साथ रहेगी साथ में सिनगी दई पूछेंगे किसने काट...
पेलिंग से हिमालय-दर्शन
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पहाड़ और समुद्र को देखना, हमें हमारी क्षुद्रता से मुक्त करता है। प्रकृति की विशालता का अहसास किए बिना मनुष्य होने की झूठी श्रेष्ठता से मुक्त होना संभव नहीं है। यह अहसास परिचय से ही मुमकिन है। परिचित होने के लिए निकट जाना पड़ता है। प्रकृति की विशालता, उदारता और उसके निरन्तर प्रवाहित स्नेह को जीना पड़ता है। कृतज्ञ होना पड़ता है। कविता का यह हिस्सा नेपाली के प्रसिद्ध कवि वीरभद्र कार्कीढोली की 'हिमालय ...
'हम लौटेंगे' - राही डूमरचीर
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ज़िन्दगी एक उपहार है
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आदिवासियत : पहचान और साहित्य (साभार : इण्डिया हैबिटेट सेंटर )
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होर्हे लुइस बोर्हेस की लघुकथा - दन्तकथा
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रूपम मिश्र की कविता 'पिता के घर में'
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अनुज लुगुन की कविता 'औरत की प्रतीक्षा में चाँद'
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समकालीन कवि प्रभात की कविता- 'कि'
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स्टेज : वाहरू सोनवाने
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