।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-कबीर रैदास गोष्ठी:-सो तुम गावौ सो मैं गाऊँ, तेरा ज्ञान विचारूं। कहै रैदास कबीर गुरु मेरा, भरम करम धोई डारूं। माखन मथि तत दर्शाया, भरम करम सब जाई।कहै रैदास कबीर गुरु मेरा, या मति तुम सूं पाई।।01।।सर्गुण थापै सैन रैदासा, कबीर कै मन निर्गुण आशा। निर्गुण कथे भयौ मन थीर, गुरु समान थाप्यों कबीर।।तब निर्गुण गह्यो रैदासा, छूटि करम धरम से फांसा। तब रैदास विचारी बाता, गुरु समान कबीर बड़ भ्राता।।02।।रैदास खवास कबीर का, युगं युगं सतसंग। मीरा का मुजरा हुआ, चढ़ति नेवला रंग। अनभै कथी रैदास कू, मिल गए पीर कबीर। मगहर बीच झगड़ा मंडया, पाया नहीं शरीर।।03।।(सतगुरु रविदास जी की वाणी)-,,दोहा और टीप,,:-गिरी पर्वत को ही कहें, गिरि सम दृढ़ हो विचार। रहो हिमालय सम सबल, नेक रहे व्यवहार।।04।।:-टीप:-साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र वाले अपने सतसंग बातचीत में कहते हैं कि परमात्मा का अखण्ड सारशब्द सुमिरण का प्रबोध स्वयं परमात्मा ही सुपात्र जिज्ञासुओ के चित्त चेतना में निरंतर कराते हैं। मैं साँई अरुण जी महाराज आपका सतगुरु नहीं हूँ और ना गुरु दक्षिणा लेने का अधिकारी, तब भी मुझे भेदी गुरु मानकर मुझे भेदी गुरु दक्षिणा भी देते हैं। यह आपका बडप्पन है।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-केवल अकेला एक ही परम भेदी गुरु निःशब्द दर्शी खड़ा है। सत सनातन का सच्चा प्रबोध समझाने को। सभी विधर्मी अज्ञानी साथ खड़े हो गए, केवल उसे गिराने को।।01।।भ्रष्टी दुष्टी रावण और सूर्पनखा ने मिल कर, झूठा मन माया का पाखंड रचाया। कुकर्मी जितने कुनबे है सबने हिल मिल कर, हाथ मिलाया।।02।।समर संघर्ष भयंकर, दूर से दिखलाई देता है। परमपिता से सुख शांति आश लगाये। चारों ओर जनता और प्रकृति का क्रन्दन अब सुनाई देता है।।03।।तोड़ रहे हैं मंदिर मस्जिद सारे दुष्कर्मी मिलकर। सारे जन-मानस को तरसाने को। सभी पिशाच वृत्तिधारी एक हो गए हैं,सत सनातन को हराने को।।04।।सारे झगड़े दुखड़े भूल जाओगे, सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में पाने से। भवसागर सहज में तर जाओगे, परमपिता विदेही की परम प्रगट प्रत्यक्ष अनुभूति पा जाने से।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ he Kabir Saheb hi Satguru hi satpurush Meri Bhakti ko Shiv karykram aapke sath aapke bhakton ka Swagat Hai Phoolon Se Dil Se Pyar Se Mohabbat Se dher sari Khushiyon ke sath bhakton ka Swagat Hai Satguru Bandi Chhod bhakton ka Bhakt Raj is Sansar Mein Sabhi Koi Soye rahte hain yah Baat sampurn Satya hai lekin Jiski nindon Mein Parmatma chalta Ho To vah Kabhi sota Nahin Hai Satya to yahi hai isliye to Parmatma Kahta Hai are uth Main Tujhe Yad kar raha hun to mujhe Yad kar sakti Yahi Hai Jiski nindon Mein Jiski Vishwas Mein Jiski atmavishwas Mein Parmatma virajman ho jata hai to is Sansar Ki Nind bhi use Kabhi Juta bhi nahin hai aur Aise Bhakt kabhi-kabhi Is Dharti Mein Janm Lete Hain
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ और टीप:-साँई अरुण जी महाराज से वेदों का भेद जान कर, महाशब्द की शरण में आओ मेरे भाई। आवागमन से मुक्ति पाकर, अमरधाम सहजे पाओ मेरे भाई।।00।।ज्ञानी मर गया ज्ञान भरोसे, सकल भरमना जोई। दानी मर गया दान भरोसे, कोड़ी दमड़ी सोई।।01।।ध्यानी मर गया ध्यान भरोसे, उल्टी पवन चढ़ाई। तपसी मर गया तप के भरोसे, तप से मिला ना साँई।।02।।काट पत्थर लादे रे सोना, सुंदर मुरत बनाई। ना मंदिर में ना मस्जिद में परमेश्वर कोई ना पाई।।03।।खोजत खोजत समय का भेदी गुरु मिल गया, सकल भरमना खोई। कहत सालिकराम सारशब्द का सुमिरण करके, अमरधाम को जाई।।04।।कर्म करे किस्मत बने जीवन का यह मर्म, प्राणी तेरे हाथ में तेरा अपना निज धर्म। दोष भाग्य पर क्यों मढ़े दोष कर्म का जान, छल करता क्यों आप से अपने आप को पहचान।।05।।:-टीप:-अच्छी भूमिका अच्छे लक्ष्य और अच्छे विचारों वाले लोगों को हमेशा ही याद किया जाता है। मरणोपरांत भी लोगों के मन में भी, शब्दों में भी और जीवित जीवन में भी।।06।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
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Saheb bandagi saheb ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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ਸੰਤ ਕਬੀਰ ਸਾਹੇਬ ਜੀ 🙏❤️🙏
ॐश्री कबीर भगवान स्वामी जी महाराज जी के चरण कमल में रोज रोज कोटि कोटि प्रणाम जय राम जी🙏🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
Dhan satguru shree kabar ji Maharaj ji
Dhan satguru shree kabar ji Maharaj
❤ sat bhaktee ❤❤❤❤
Saheb bandagi Saheb Ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏
Saheb bandagi Saheb 🙏
Saheb bandagi Saheb 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सतगुरु कबीर साहब जी की जय 🙏🙏❤️
Sat Sahib ji ❤🙏🙏
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-कबीर रैदास गोष्ठी:-सो तुम गावौ सो मैं गाऊँ, तेरा ज्ञान विचारूं। कहै रैदास कबीर गुरु मेरा, भरम करम धोई डारूं। माखन मथि तत दर्शाया, भरम करम सब जाई।कहै रैदास कबीर गुरु मेरा, या मति तुम सूं पाई।।01।।सर्गुण थापै सैन रैदासा, कबीर कै मन निर्गुण आशा। निर्गुण कथे भयौ मन थीर, गुरु समान थाप्यों कबीर।।तब निर्गुण गह्यो रैदासा, छूटि करम धरम से फांसा। तब रैदास विचारी बाता, गुरु समान कबीर बड़ भ्राता।।02।।रैदास खवास कबीर का, युगं युगं सतसंग। मीरा का मुजरा हुआ, चढ़ति नेवला रंग। अनभै कथी रैदास कू, मिल गए पीर कबीर। मगहर बीच झगड़ा मंडया, पाया नहीं शरीर।।03।।(सतगुरु रविदास जी की वाणी)-,,दोहा और टीप,,:-गिरी पर्वत को ही कहें, गिरि सम दृढ़ हो विचार। रहो हिमालय सम सबल, नेक रहे व्यवहार।।04।।:-टीप:-साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र वाले अपने सतसंग बातचीत में कहते हैं कि परमात्मा का अखण्ड सारशब्द सुमिरण का प्रबोध स्वयं परमात्मा ही सुपात्र जिज्ञासुओ के चित्त चेतना में निरंतर कराते हैं। मैं साँई अरुण जी महाराज आपका सतगुरु नहीं हूँ और ना गुरु दक्षिणा लेने का अधिकारी, तब भी मुझे भेदी गुरु मानकर मुझे भेदी गुरु दक्षिणा भी देते हैं। यह आपका बडप्पन है।।04।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-केवल अकेला एक ही परम भेदी गुरु निःशब्द दर्शी खड़ा है। सत सनातन का सच्चा प्रबोध समझाने को। सभी विधर्मी अज्ञानी साथ खड़े हो गए, केवल उसे गिराने को।।01।।भ्रष्टी दुष्टी रावण और सूर्पनखा ने मिल कर, झूठा मन माया का पाखंड रचाया। कुकर्मी जितने कुनबे है सबने हिल मिल कर, हाथ मिलाया।।02।।समर संघर्ष भयंकर, दूर से दिखलाई देता है। परमपिता से सुख शांति आश लगाये। चारों ओर जनता और प्रकृति का क्रन्दन अब सुनाई देता है।।03।।तोड़ रहे हैं मंदिर मस्जिद सारे दुष्कर्मी मिलकर। सारे जन-मानस को तरसाने को। सभी पिशाच वृत्तिधारी एक हो गए हैं,सत सनातन को हराने को।।04।।सारे झगड़े दुखड़े भूल जाओगे, सारशब्द अखण्ड सुमिरण चित्त में पाने से। भवसागर सहज में तर जाओगे, परमपिता विदेही की परम प्रगट प्रत्यक्ष अनुभूति पा जाने से।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Saheb bandagi saheb ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏
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संत कबीर साहब जी की जय ❤️❤️🙏
संत कबीर साहेब जी की जय हो 🙏❤️🙏❤️❤️
Saheb bandagi Saheb Ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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❤ sat bhaktee ❤❤
Dhan satguru shree kabar Maharaj
ਸੰਤ ਕਬੀਰ ਸਾਹੇਬ ਜੀ ਦੀ ਜੈ 🙏❤️🙏❤️
Sant Shiromani Samrat Satyapurush param pujya aradhya Bandichhor Satyaguru Kabir Saheb ke charnon mein koti koti naman evam Sadar Saprem Jay Satyaguru Saheb 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai gurudev saheb bandagi
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ਸੰਤ ਕਬੀਰ ਸਾਹੇਬ ਜੀ ਦੀ ਜੈ 🙏🙏❤️
Dhan satguru shree kabar ji Maharaj
He parampita Parmatma satguru Kabir Saheb aapke charanon mein koti koti banne ki karte hue supreme Sahib bandagi Saheb
Sant Shiromani Samrat Satyapurush param pujya aradhya Bandichhor Satyaguru Kabir Saheb ke charnon mein koti koti naman evam Sadar Saprem Jay Satyaguru Saheb 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Saheb bandagi Saheb Ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai ho
He parampita Parmatma sachhidanand sadguru Kabir Saheb aapke charanon mein koti koti bandagi karte hue sabhi ne mein permission janon ke Pavan charanon mein Sahib bandagi Sahib 4.146 ke Pavan charanon mein supreme Sahib bandagi Saheb
Kabir is god 🙏
ਸੰਤ ਕਬੀਰ ਸਾਹੇਬ ਜੀ ਦੀ ਜੈ ❤️❤️🙏
संत कबीर साहब जी की जय हो 🙏🙏❤️❤️🙏
संत कबीर साहब जी की जय 🙏❤️🙏
Dhan satguru shree kabar ji Maharaj ji
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।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ और टीप:-साँई अरुण जी महाराज से वेदों का भेद जान कर, महाशब्द की शरण में आओ मेरे भाई। आवागमन से मुक्ति पाकर, अमरधाम सहजे पाओ मेरे भाई।।00।।ज्ञानी मर गया ज्ञान भरोसे, सकल भरमना जोई। दानी मर गया दान भरोसे, कोड़ी दमड़ी सोई।।01।।ध्यानी मर गया ध्यान भरोसे, उल्टी पवन चढ़ाई। तपसी मर गया तप के भरोसे, तप से मिला ना साँई।।02।।काट पत्थर लादे रे सोना, सुंदर मुरत बनाई। ना मंदिर में ना मस्जिद में परमेश्वर कोई ना पाई।।03।।खोजत खोजत समय का भेदी गुरु मिल गया, सकल भरमना खोई। कहत सालिकराम सारशब्द का सुमिरण करके, अमरधाम को जाई।।04।।कर्म करे किस्मत बने जीवन का यह मर्म, प्राणी तेरे हाथ में तेरा अपना निज धर्म। दोष भाग्य पर क्यों मढ़े दोष कर्म का जान, छल करता क्यों आप से अपने आप को पहचान।।05।।:-टीप:-अच्छी भूमिका अच्छे लक्ष्य और अच्छे विचारों वाले लोगों को हमेशा ही याद किया जाता है। मरणोपरांत भी लोगों के मन में भी, शब्दों में भी और जीवित जीवन में भी।।06।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
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Saheb bandagi saheb ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Saheb bandagi Saheb Ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏
G❤ smaayoyokj yourkikjkjikj kjkjkj kikjkj kikjkjikj❤
Saheb bandagi saheb ji koti koti bandgi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏