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तत्त्व Gyan
India
Приєднався 23 лип 2017
आध्यत्म का मतलब यह नहीं होता
कि घर परिवार को छोड़ कर साधु
सन्यासी बन जाना,
आध्यत्म का अर्थ होता है उस राह
पर चलना जो सीधा और सच्चा हो .
जिस राह पर चलने के बाद अंत समय
में परमात्मा से मिलने के बाद शर्मिदगी
न हो ,अंत में तो एक दिन चाहे न चाहें
परमात्मा से मिलना है ही..
कि घर परिवार को छोड़ कर साधु
सन्यासी बन जाना,
आध्यत्म का अर्थ होता है उस राह
पर चलना जो सीधा और सच्चा हो .
जिस राह पर चलने के बाद अंत समय
में परमात्मा से मिलने के बाद शर्मिदगी
न हो ,अंत में तो एक दिन चाहे न चाहें
परमात्मा से मिलना है ही..
विवेक चूड़ामणि / भाग- 3 / vivek chudamani / part - 3 / shree adishankaracharya#adishankarachaya
आचार्य शंकर
ब्रह्म के स्वरुप पर भी आचार्य शंकर का कहना है कि श्रुति अर्थात वेदों के समान गुरु भी केवल तटस्थरूप से ही ब्रह्म का बोध कराते हैं, यह विद्वान शिष्य के ऊपर है कि वह अपनी ईश्वरानुगृहीत बुद्धि से अनुभव कर इस संसार - सागर से पार हो जाये।
ब्रह्म का साक्षात् निरूपण कोई भी नहीं कर सकता, क्योंकि वह शब्द की शक्तिवृत्ति से बाहर है, शब्द वहां तक पहुँच ही नहीं सकता। उसका ज्ञान तो लक्षणावृत्ति से ही हो सकता है। अज्ञान की आवरण शक्ति रहने और न रहने को ही क्रमशः बंध और मोक्ष कहा जाता है और ब्रह्म का कोई आवरण हो नहीं सकता, क्योंकि उससे अतिरिक्त कोई और वस्तु है नहीं, अतः वह अनावृत्त है। यदि ब्रह्म का भी आवरण माना जाए तो अद्वैत सिद्ध नहीं हो सकता और द्वैत श्रुति को मान्य नहीं है। वास्तव में बन्ध और मोक्ष दोनों बुद्धि के गुण हैं। जैसे बादलों के द्वारा दृष्टि के ढंक जाने पर सूर्य को ढंका हुआ कहा जाता है, उसी प्रकार मूढ़ मनुष्य उनकी कल्पना आत्म तत्व में व्यर्थ ही करते हैं क्योंकि ब्रह्म तो सदैव अद्वितीय, असंग, चैतन्यस्वरूप, एक और अविनाशी है।
ॐ शान्ति विश्वम।।
ब्रह्म के स्वरुप पर भी आचार्य शंकर का कहना है कि श्रुति अर्थात वेदों के समान गुरु भी केवल तटस्थरूप से ही ब्रह्म का बोध कराते हैं, यह विद्वान शिष्य के ऊपर है कि वह अपनी ईश्वरानुगृहीत बुद्धि से अनुभव कर इस संसार - सागर से पार हो जाये।
ब्रह्म का साक्षात् निरूपण कोई भी नहीं कर सकता, क्योंकि वह शब्द की शक्तिवृत्ति से बाहर है, शब्द वहां तक पहुँच ही नहीं सकता। उसका ज्ञान तो लक्षणावृत्ति से ही हो सकता है। अज्ञान की आवरण शक्ति रहने और न रहने को ही क्रमशः बंध और मोक्ष कहा जाता है और ब्रह्म का कोई आवरण हो नहीं सकता, क्योंकि उससे अतिरिक्त कोई और वस्तु है नहीं, अतः वह अनावृत्त है। यदि ब्रह्म का भी आवरण माना जाए तो अद्वैत सिद्ध नहीं हो सकता और द्वैत श्रुति को मान्य नहीं है। वास्तव में बन्ध और मोक्ष दोनों बुद्धि के गुण हैं। जैसे बादलों के द्वारा दृष्टि के ढंक जाने पर सूर्य को ढंका हुआ कहा जाता है, उसी प्रकार मूढ़ मनुष्य उनकी कल्पना आत्म तत्व में व्यर्थ ही करते हैं क्योंकि ब्रह्म तो सदैव अद्वितीय, असंग, चैतन्यस्वरूप, एक और अविनाशी है।
ॐ शान्ति विश्वम।।
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अवधूत गीता अध्याय- 5 # avadhoot geeta part- 5 #avadhoota
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अवधूत गीता अध्याय- 5 # avadhoot geeta part- 5 #avadhoota
कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर भाग-2 || kalyan geetapress gorakhpur part-2||#kalyan
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कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर भाग-2 || kalyan geetapress gorakhpur part-2||#kalyan
vivek chudamani shankarhary | विवेक चूड़ामणि | Vivek Chudamani Part-2 | विवेक चूड़ामणि भाग-2
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Vivekachudamani begins with the importance of Brahmanishtha and ends with four anubandhas in the last part. Other sections in the middle mainly deal with means of acquiring knowledge, description of a person possessing Brahmajnana, teacher, sermons, questions, disciples, importance of self-effort (to acquire self-knowledge), importance of self-knowledge, subtle body, ego, love, illusion, three ...
कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर भाग-1|| kalyan geetapress gorakhpur part-2 #geetapress
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Three divisions of human time can be considered- 1. Instrumental period, 2. Behavioral period, 3. Bedtime. Out of these, people consider Sadhana period as Sattika, Vyavahara period as Rajas and sleeping time are considered as Tamas, but for welfare To the willing humans, all the three times are supremely sattvik. Should be made. we should try so That all our time is spent in the best work Engag...
vivek chudamani|विवेक चूड़ामणि|Vivek Chudamani Part-1|श्री विवेक चूड़ामणि - भाग-1#adishankarachaya
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#vivekchdamadi- by adishankaracharya part -1 THIS VIDEO IS FOR SPIRITUAL AND EDUCATIONAL PURPOSES ONLY, NOT FOR COMMERCIAL PURPOSES. I RESPECT THE COPYRIGHT OF THIS BOOK UNDER THE COPYRIGHT ACT 1957 IT CAN BE DOWNLOADED FOR PERSONAL USE, EDUCATIONAL PURPOSES ONLY. ►BUT, ALTERING/EDITING/ EXTRACTING AUDIO/VIDEO AND RE-UPLOADING ANYWHERE IS STRICTLY PROBHIBITED. #VIVEKCHUDAMANI Self-knowledge can...
सूर्य उपनिषद | surya upnishad | सूर्योपनिषद suryopanishad | #upnishad
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सूर्योपनिषद- इसे सूर्योपनिषत, सूर्याथर्वशीर्षम व अथर्ववेदीय सामान्य उपनिषद भी कहा जाता है। अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचयिता वैदिक काल के रिषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। सूर्याद्भवन्ति भूतानि सूर्येण पालितानि तु । सूर्ये लयं प्राप्नुवन्ति यः सूर्यः सोऽहमेव च ॥ (सूर्योपनिषद) अर्थ - सूर...
अक्षमालिकोपनिषद || अक्षमाला उपनिषद akshmala upnishad || अक्षर ज्ञान ||#upnishad
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अक्षरों की माला जो 'अ' वर्ण से प्रारम्भ होकर 'क्ष' वर्ण पर समाप्त होती है, उसे 'अक्षमाला' कहा जाता है। यह उपनिषद ऋग्वेद से सम्बन्धित है। इसमें प्रजापति ब्रह्मा और कुमार कार्तिकेय (गुह) के प्रश्नोत्तर को गूंथा गया है। इसमें सर्वप्रथम 'अक्षमाला' के विषय में जिज्ञासा की गयी है कि यह क्या है, इसके कितने लक्षण हैं, कितने भेद है, कितने सूत्र हैं, इसे किस प्रकार गूंथा जाता है तथा इसके अधिष्ठाता देवता ...
avadhoot geeta part- 4 | Avadhoot Geeta | अवधूत गीता | अध्याय- 4 | avadhoot geeta | #avadhoota
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अवधूत गीता अवधूत गीता, अद्वैत_वेदान्त के सिद्धान्तों पर आधारित संस्कृत ग्रन्थ है। 'अवधूत गीता' का शाब्दिक अर्थ है, 'मुक्त व्यक्ति के गीत'। यह ग्रन्थ नाथ योगियों का महत्वपूर्ण ग्रन्थ रहा है। यह ग्रन्थ #दत्तात्रेय भगवान द्वारा रचित माना जाता है। वर्तमान समय में प्राप्त पाण्डुलिपियाँ लगभग ९वीं या १०वीं शताब्दी में रचित प्रतीत होतीं है। इसमें २८९ श्लोक हैं जो ८ अध्यायों में विभक्त हैं। #भगवान_दत्ता...
पद्म पुराण (सृष्टिखण्ड) || padma puran || srashti khand
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श्री पद्म पुराण- यह पुराण सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वतंर और वंशानुचरित -इन पाँच महत्त्वपूर्ण लक्षणों से युक्त है। भगवान् विष्णु के स्वरूप और पूजा उपासना का प्रतिपादन करने के कारण इस पुराण को वैष्णव पुराण भी कहा गया है। इस पुराण में विभिन्न पौराणिक आख्यानों और उपाख्यानों का वर्णन किया गया है, जिसके माध्यम से भगवान् विष्णु से संबंधित भक्तिपूर्ण कथानकों को अन्य पुराणों की अपेक्षा अधिक विस्तृत ढंग स...
याज्ञवल्क्य और गार्गी- शास्त्रार्थ || gargi yagyavalk sanwad || Yagyavalkya and Gargi - Debate
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गरुड़ पुराण (सारोद्धार) आठवां अध्याय || garud puran (saaroddhar)- part-8 || #garud puran
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आध्यात्मिक जगत में सत्संग की महिमा || adhyatmik jagat me satsang ki mahima
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adi shankarhary || vivek chudamani hindi translate|| part- 2 || विवेक चूडामणि भाग- 2
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avadhoot geeta || part- 3 || श्री दत्तात्रेय कृत-अवधूत गीता || अध्याय-३
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avadhoot kaun hai ? || avadhoot kise kahte hai ? || अवधूत कौन है ? |sanyas ke charan - avadhoot
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avadhoot geeta | AVADHOOT GEETA | अवधूत गीता | अध्याय-2
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avadhut geeta || dattatrey ji ki vani
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avadhoot geeta || part -1|| अवधूत गीता || दत्तात्रेय कृत-अवधूत गीता || अध्याय-१
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mandukya upnishad || माण्डूक्य उपनिषद || Mandukya Upanishad || #upnishad
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pranav upnishad | प्रणव उपनिषद | ॐ का अर्थ
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स्वस्तिवाचन | swasti vachan | shanti path | shanti mantra
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अष्टावक्र गीता | ashtavakra geeta | ashtavakra, king janaka dialogue in hindi
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मोक्ष | Moksha | Emancipation | Salvation | moksh kya hai ? जानिये मोक्ष क्या है ?
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Full Narayana Suktam with Lyrics Hindi & Sanskrit Meaning | नारायण सूक्तम्
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गौकर्ण, धुंधुकारी और आत्मदेव की कथा || The story of Gaukarna, Dhundhukari and Atmadev
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मानव शरीर के सात चक्रों की जानकारी | Seven Chakras Of Human Body, Awakening Method
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गरुड पुराण सारोद्धार (सातवां अध्याय)#Garud Puran Sarodhar (part-7)#राजा बभ्रुवाहन तथा प्रेत की कथा
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👌👌👌👌💯💯💯💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🕉🕉🕉🕉🌹🌹🌹👏 Om Shanti vishvam
गुरुजी आपके हर वीडियो से बहुत अच्छा ज्ञान मिलता है 🙏
Waheguru ji ka Khalsa waheguru ji ki Fateh Fateh ♥️♥️🙏 Ram Ram ji
Aapke charno me koti koti pranam ❤❤
आदेश
Jai Mata Di❤❤❤❤❤❤❤
જય માતાજી જય સદગુરુ ભગવાન ઓમ શાંતિ ઓમ
જય માતાજી જય સદગુરુ ભગવાન ઓમ શાંતિ ઓમ
જય માતાજી જય સદગુરુ ભગવાન ઓમ શાંતિ
જય શ્રી માં ચામુંડા માતાજીની જય શ્રી સદગુરૂ દત્તાત્રેય ભગવાન ૐ શાંતિ ૐ શુભ દિપાવલી
❤ જય શ્રી કૃષ્ણ શરણંમમઃ ❤️🙏
परमपिता परमात्मा ही जीव आत्मा का आसार है ....
જય શ્રી માં ચામુંડા માતાજીની જય શ્રી સદગુરૂ દત્તાત્રેય ભગવાન ૐ શાંતિ ૐ શુભ
गोरक्ष किमयागार ग्रंथ व्हिडिओ
❤❤❤❤❤ श्री हरि 🎉🎉🎉🎉
Om sai guru
Hindi language mai upnishad book kaha or kaise milege.
गीताप्रेस गोरखपुर आप आनलाइन मंगवा सकते हैं शायद ये लिंक आपकी सहायता कर सकता है--gitapressbookshop.in/?route=information/contact&language=en-gb
Bhagban ko koti koti pranam
Ek baat , Hum jo hai ,jaisa hai waisa hi hume dikhai deta hai. Sansar hamari hi chaya hai. -Osho
3:59,6:10,7:33 gods location,8:49,12:30 aum,14:31
❤❤❤❤❤aak ooom kaar
आप सही कह रहे हैं मैं भी ध्यान में जाता हूं तो निराकार ब्रह्म से यही अबाज आती है तुम मूल रूप हों में विस्तार रूप हूं
ओम
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
,,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Om Sanatan namah
आपका एक बार दर्शन हो जाए तो जीवन धन्य हो जाए
Adbhut avdhoot bhagwan Dattatreya
हे प्रभु मुझ अधम पर दया किजए प्रभु।मै हर घडि हरपल आपकोहि भज्न चाहता हुँ।🙏🙏🌿🌹🌷🥀🌺🌼💐🇳🇵🇳🇵
मैंने किया है शिव का साक्षात दर्शन
Pranam ji🕉️💥
🎉🎉❤❤❤
Mahan Satya
Jai shree Ram Jai shree Ram Jai shree Ram Jai shree Ram
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नमो नमो
ओम् सूं सूर्याय नमः
Shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti shiv Shakti
Apki awaj m shndar bhkti bhaw h
Om namah shivaya
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Har har mahadev
Om namah shivaya
Om namah shivaya
Om namah shivaya
ओम सूर्य देवाय नमः 🙏
Jay puran bhagvan ki
3:15
यह विधि किस पुस्तक में मिल सकती है, कृपया बताइये।